सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान
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सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान

by
Apr 12, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 12 Apr 2014 14:22:37

दुर्घटनासवालों के जवाब कहां!28 मार्च को ग्वालियर में हुई इस हृदय विदारक घटना ने पूरे देश को गहरा आघात ही नहीं दिया बल्कि कई प्रक्रियागत चूकों को लेकर बहस भी गरमा दी है

राहुल शर्मा
ग्वालियर में सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान हादसे में मारे गए पांचों वायुसेना अधिकारियों का 28 मार्च को हिंडन यमुनाघाट पर शाम 6 बजे अंतिम संस्कार किया गया। इससे पूर्व हिंडन एयरबेस पर सभी क ह्गार्ड ऑफ ऑनरह्ण के साथभावभीनी श्रद्धाञ्जलि दी गई। इस दौरान कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें नम हो गईं, इन सभी को उन जांबाजों के जान गंवाने का बेहद दुख था, जिन्होंने उत्तराखंड त्रासदी के समय राहत दल के सदस्यों के रूप में केदारनाथ की दुर्गम पहाडि़यों में फंसे लोगों को भी सुरक्षित बचाया था। इस अवसर पर एयर चीफ मार्शल अरूप राहा और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी. के. सिंह मौजूद रहे और उन्होंने हादसे में मरने वाले सभी अधिकारियों के परिजनों को सांत्वना दी। लेकिन हैरानी की बात है कि कोई भी राजनेता वहां दिखाई नहीं पड़ा।विमान हादसा28 मार्च को आगरा बेस से दो सी130जे हरक्यूलिस विमानों ने उड़ान भरी थी, करीब एक घंटे बाद ही ग्वालियर के निकट दो में से एक विमान अचानक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान उस समय कम ऊंचाई पर था और एक चट्टान से टकरा गया। उसमें सवार पांचों वायुसेना अधिकारियों की मौत हो गई। इनमंे विंग कमांडर प्रशांत जोशी, विंग कमांडर राजी नैयर, स्क्वाड्रन लीडर कौशिक मिश्रा, स्क्वाड्रन लीडर आशीष यादव और वारंट ऑफिसर कृष्णपाल सिंह सवार थे। विमान का संचालन करने वाली 77 विंग वेल्ड वाइपर हिंडन बेस पर स्थित है। सभी मृतक हिंडन बेस के ही थे और उनका परिवार भी वहीं रहता है। विमान ग्वालियर हवाई प्रतिष्ठान से 72 मील पश्चिम में दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और विमान ने आगरा से नियमित प्रशिक्षण मिशन के तहत सुबह 10 बजे उड़ान भरी थी। सूत्रों के मुताबिक हादसे से पहले ही विमान का संपर्क नियंत्रण कक्ष से टूट चुका था। विमान में लगे ब्लैक बॉक्स के कनेक्टर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं जिन्हें जांच के लिए अमरीकी कंपनी लॉकहिड मार्टिन को भेजा गया है, ताकि किसी डाटा का नुकसान न हो। ब्लैक बॉक्स की जांच रपट ह्यकोर्ट ऑफ इन्क्वायरीह्ण में मदद करेगी।सवालों के घेरे में था सुपर हरक्यूलिस विमानसी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से एक बार फिर विदेशों से खरीदे जाने वाले रक्षा उत्पादों पर सवालिया निशान उठने शुरू हो गए हैं, जबकि छह और सुपर हरक्यूलिस विमान अभी अमरीका से आने बाकी हैं। करीब 6 हजार करोड़ की कीमत पर खरीदे गए इन विमानों की विश्वसनीयता को लेकर भारत के एक अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्र ने कुछ सवाल उठाए थे। उन सवालांे का आधार था अमरीकी सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी ने सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान और पी8आई पोसिडेन सीरीज विमानों के संबंध में यह आशंका कि उनमें लगने वाली डिस्पले चिप तथा आइस डिटेक्शन सिस्टम में लगे कलपुर्जों में खामियां हैं, जिनका संबंध चीन से है। इस पर रक्षा मंत्री ए. के़ एंटनी ने कहा था कि गत चार वर्षों में अमरीकी रक्षा उत्पादों के प्रयोग में किसी भी खराब कलपुर्जर्े की बात सामने नहीं आयी है। रक्षा मंत्री ने तब कहा था कि पी8आई विमान के निर्माता बोइंग ने विश्वास जताया है कि इन विमानों में कोई भी खराब कलपुर्जा नहीं लगाया गया है, हालांकि उन्होंने सी130जे सुपर हरक्यूलिस की निर्माता कंपनी लॉकहिड मार्टिन द्वारा ऐसी किसी गारंटी की बात नहीं कही थी। उन्होंने बताया था कि भारतीय वायुसेना को अमरीकी सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई आपूर्तिकर्ताओं की एक सूची में से एक भी चीनी निर्माता नहीं है। ज्यादातर मामलों में खराब मैमोरी चिप से विमान को सीधे खतरा उत्पन्न नहीं होता, लेकिन उसके डिस्पले सिस्टम में लगने वाली मैमोरी चिप विमान की दशा, उसके इंजन की स्थिति और मिसाइल की चेतावनी का संदेश देती है। अमरीकी सीनेट द्वारा की गई जांच मंे पाया गया कि डिस्पले सिस्टम में नकली कलपुर्जे-मैमोरी कार्ड- के कारण डाटा नष्ट हो सकता है और बीच उड़ान में गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। वर्ष 2011-12 में अमरीकी सीनेट आर्म्ड सर्विस कमेटी ने पाया था कि सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान में नकली तकनीकी कलपुर्जे का संबंध चीन के शेंजेहन स्थित होंग डार्क इलेक्ट्रॉनिक टे्रड कंपनी से है। यह कंपनी इन कलपुर्जों को ग्लोबल आईसी ट्रेडिंग गु्रप को बेचती है, जो बदले में एल3 कम्यूनिकेशन डिस्प्ले सिस्टम को बेचती है। जो अन्तत: सी130जे सुपर हरक्यूलिस के लिए इन्हें अमरीकी सेना के मूल कान्ट्रेक्टर लॉकहिड मार्टिन कंपनी को बेचती है। अमरीकी वायुसेना ने वर्ष 2012 में होम डार्क कंपनी के सरकारी अनुबंधों मंे भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था। चिप की गुणवत्ता तेजी से गिरी थीवर्ष 2010 मंे एल3 डिस्पले सिस्टम कंपनी ने यह पाया कि डिस्पले यूनिट में प्रयोग में आने वाली चिप की गुणवत्ता जांच में असफलता दर 8़ 5 प्रतिशत से 27 प्रतिशत बढ़ गई थीं। कंपनी ने जब चिप को जांच के लिए भेजा तो उसमें बहुत सी कमियां पाई गई थी, जिससे उनके नकली होने की आशंका बढ़ गई थी। सीनेट की रपट मंे यह भी सामने आया था कि एल3 डिस्पले सिस्टम ने खराब मैमोरी चिप का प्रयोग 400 से ज्यादा डिस्पले यूनिट बनाने में कर चुकी थी। सीनेट की रपट में सामने आया था कि एल3 डिस्पले सिस्टम को जब नकली मैमोरी चिप की आशंका हुई तो कंपनी को इसकी सूचना दी तो उनके इंजीनियरों ने इस समस्या पर आपस में ही विचार किया और निर्णय लिया कि डिस्पले यूनिट न तो ठीक की जाएगी और न ही बदली जाएगी। अब भारतीय वायुसेना की कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में यह देखने की जरूरत है कि खरीदे गए सी 130जे सुपर हरक्यूलिस विमानों में कहीं इनमें से ही कोई खराब डिस्पले यूनिट तो नहीं लगी थी ? यदि खराब चिप लगाई थी तो क्या लॉकहिड मार्टिन कंपनी ने इसकी सूचना भारतीय वायुसेना को दी थी?चिंता का विषय नौसेना में शामिलअमरीकी विमान भीभारतीय सुरक्षा योजनाकारों के सामने एक चिंता का विषय यह भी है कि भारतीय नौसेना के बेडे़ में पी8ए पोसिडेन के रूपांतरित अन्य विमानों में तो कहीं नकली चीनी कलपुर्जे नहीं लगाए गए थे। अमरीकी वायुसेना के मुताबिक होम डार्क कंपनी से खरीदे 84 हजार संदिग्ध नकली कलपुर्जे रक्षा विभाग की आपूर्ति में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार के साथ-साथ नौसेना की चिंता भी बढ़ गई है।हरक्यूलिस की मदद से चीन को करारा जवाब देना चाहता है भारतदरअसल भारत-चीन से सटी सीमा पर सैनिकों की संख्या बढ़ाने के लिए गत वर्ष जुलाई माह मंे नई माउंटेन स्ट्राइक कोर बनाने को हरी झंडी दे दी थी, जिसका मुख्यालय पश्चिम बंगाल के पानागढ़ में बनना है। भारतीय सीमा पर चीन की बढ़ती सरगर्मी को देखते हुए यह फैसला लिया गया था। इस योजना के तहत सरकार को सात साल में 64 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2009 के बाद यह अहम फैसलों मंे से एक था।यहां पर सेना और वायुसेना के बीच आपसी सांमजस्य बढ़ाने के लिए सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान और उसमें हवा में ईंधन भरने वाले छह टैंकरों को तैनात किया जाना था, लेकिन विमान हादसे के बाद से पानागढ़ में सुपर हरक्यूलिस विमान की तैनाती मंे विलंब हो सकता है और तब तक एएन32 ट्रांसपोर्ट एयरक्रॉफ्ट का इस्तेमाल वहां किया जा सकता है क्योंकि उत्तर-पूर्व क्षेत्र मंे एएन32 ट्रांसपोर्ट विमान का भरपूर इस्तेमाल हो चुका है। यही नहीं लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दौलत बेग ओल्दी पर भी भारतीय वायुसेना ने गत वर्ष अगस्त माह मंे सी130जे सुपर हरक्यूलिस विमान उतारा था। सही मायने में यह चीनी घुसपैठ को देखते हुए एक करारा जवाब था। यह वही स्थान था जहां चीनी सैनिकों ने घुसपैठ कर अपना झंडा गाड़ दिया था। दरअसल चीनी सैनिकों ने घुसपैठ के बाद इस क्षेत्र में एक बैनर लगा दिया था कि ह्ययह चीनी सीमा है।ह्ण 16,614 फीट की ऊंचाई पर भारत ने 43 साल बाद अपना विमान उतारा था। इससे पहले वर्ष 1962 और वर्ष 1965 के युद्ध में यहां भारतीय वायुसेना के विमान उतारे गए थे। यही नहीं उत्तराखंड त्रासदी के समय भी सुपर हरक्यूलिस विमान की सेवाएं ली गईं थीं।
 

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