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पाकिस्तान में नौ माह के एक बच्चे मोहम्मद मूसा खान पर हत्या का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है। जब उसकी गिरफ्तारी की नौबत आई तो 3 अप्रैल को उसे अदालत में हाजिर होकर जमानत लेनी पड़ी। जमानत लेते समय वह अपने पिता की गोद में था और भूख के मारे रो भी रहा था। एक तरफ वह बोतल के जरिए दूध पी रहा था, तो दूसरी तरफ वकील जरूरी दस्तावेजों पर उसके अंगूठे का निशान लगवा रहा था। इसके साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि मोहम्मद मूसा को अगली तारीख (12 अप्रैल) को भी हाजिर किया जाए। अजीब तरह के इस मामले की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है। यह घटना लाहौर की है। कहा जा रहा है कि कुछ दिन पहले लाहौर की मुस्लिम कॉलोनी के लोगों ने बिजली की अनियमित आपूर्ति को लेकर प्रदर्शन किया था। जब उन्हें पुलिस ने रोकने का प्रयास किया तो भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया था। इस पथराव से अनेक पुलिस वाले घायल हो गए थे। गुस्साई पुलिस ने प्रदर्शन में शामिल लोगों पर हत्या का प्रयास करने का मामला दर्ज किया। प्रदर्शन में मोहम्मद मूसा के अब्बा और दादा भी शामिल थे और उस समय मूसा अपने पिता की गोद में था। इस कारण मूसा, उसके अब्बा और दादा के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है। मूसा के दादा मोहम्मद यासीन खान ने कहा पुलिस ने उनके खिलाफ फर्जी मुकदमा दायर किया है।
सीरिया में ईसाइयों का नरसंहार
सीरिया में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, सऊदी अरब, बंगलादेश, सूडान आदि मुस्लिम देशों के युवाओं के साथ-साथ भारत के मुस्लिम युवा भी जिहाद कर रहे हैं। सीरिया के प्रमुख जिहादी संगठन हैं- फ्री सीरियन आर्मी, अल-नुशरा फ्रंट, शम-अल-इस्लाम, अंसार-अल-शम आदि। इन जिहादी गुटों के निशाने पर सीरिया के ईसाई हैं। ये जिहादी कभी भी किसी ईसाई गांव में घुस जाते हैं और मारकाट शुरू कर देते हैं। हालिया घटना 23 मार्च की है। सीरिया और तुर्की की सीमा पर स्थित एक ईसाई गांव में जिहादियों ने ईसाइयों पर हमला किया और अनेक लोगों को मार डाला। इसके बाद वहां से करीब 3000 ईसाई पलायन कर गए हैं। इसके बाद ये लड़ाके सीरिया और लेबनॉन की सीमा पर स्थित अल-दुवेर गांव में गए और वहां भी ईसाइयों को मारा। जिन जिहादियों ने इन घटनाओं को अंजाम दिया उन्हें आतंकवादी संगठनों ने ह्यशुक्रियाह्ण अदा किया है। जब जिहादियों को ह्यशाबाशीह्ण मिलेगी तो जिहाद का दायरा बढ़ेगा ही। इससे पहले भी जुलाई, 2013 में सीरिया में ईसाई-बहुल गांव ॲम शरशौर में 'फ्री सीरियन आर्मी' के लड़ाके जबरदस्ती घुस गए और उन लोगों ने 80 ईसाइयों को बड़ी क्रूरता के साथ मार डाला था।
ईशनिन्दा के जरिए अल्पसंख्यकों का सफाया
पाकिस्तान में एक बार फिर ईशनिन्दा कानून का कोड़ा एक ईसाई दम्पति पर चलाया गया है। पिछले दिनों शफकत एमानुएल और उसकी पत्नी शगुफ्ता कौसर को ईशनिन्दा कानून तोड़ने का दोषी पाया गया है। इन दोनों को एक स्थानीय अदालत ने मौत की सजा सुनाई है। आरोप है कि इन दोनों ने एक मस्जिद के इमाम को मोबाइल के जरिए इस्लाम की तौहीन करने वाला सन्देश भेजा था। इमाम ने जुलाई, 2013 में इस दम्पति पर ईशनिन्दा का आरोप लगाया था। यह दम्पति पंजाब प्रान्त के गोजरा का रहने वाला है। उल्लेखनीय है कि 2009 में गोजरा में कुरान के अपमान की अफवाह फैलने के बाद दंगा भड़क गया था। उस दंगे में मुस्लिम कट्टरवादियों ने 8 ईसाइयों को मार दिया था और लगभग 50 घरों को आग के हवाले कर दिया था। 2012 में भी एक ईसाई लड़की पर ईशनिन्दा का आरोप लगाया गया था। रिम्शा मसीह नाम की यह लड़की भाग्यशाली निकली और बड़ी अदालत ने सबूत के अभाव में उसे बरी कर दिया। पाकिस्तान में 1990 के दशक में ईशनिंदा कानून बनाया गया था। इसके बाद से ही इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है।
सी.ए.आर. में शान्ति सेना
मध्य अफ्रीकी देश सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक (सी.ए.आर.) में इन दिनों मुसलमानों और ईसाइयों के बीच घमासान युद्ध चल रहा है। अब तक वहां हजारों लोग मारे जा चुके हैं। वहां की बिगड़ती हालत से संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.ओ.) भी चिन्तित है। यू.एन.ओ. का कहना है कि एक और युगांडा नहीं बनने देना है। इसलिए यू.एन.ओ. ने सी.ए.आर. में 12,000 शान्ति सैनिकों को तैनात करने का निर्णय लिया है। पहले से ही वहां अफ्रीकी संघ के 6000 और फ्रांस के 2000 सैनिक तैनात हैं। उल्लेखनीय है कि 2013 में कट्टरवादी मुसलमानों के एक गुट ने सी.ए.आार. की सत्ता पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से ही वहां खूनी हिंसा जारी है। कभी ईसाई मुसलमानों को मार रहे हैं, तो कभी मुसलमान ईसाइयों को मार रहे हैं। सेन्ट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक पर कभी फ्रांस का कब्जा था। खनिज के मामले में सी.ए.आर. बहुत ही सम्पन्न है पर राजनीतिक अस्थिरता की वजह से वहां के लोग गरीबी में जी रहे हैं। प्रस्तुति: अरुण कुमार सिंह
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