समाज बांटने की चाल
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समाज बांटने की चाल

by
Apr 5, 2014, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 05 Apr 2014 12:23:21

आवरण कथा ह्यकांग्रेस के लिए देश से बड़ा वोटह्ण से साफ स्पष्ट है कि वह वोट के लालच में कुछ भी करने को तैयार है। पूरी तरीके से मुस्लिम तुष्टीकरण पर आमादा कांग्रेस वोट के लालच में प्रत्येक वह कार्य कर रही है,जिससे मुसलमानों को खुश कर वोट पाया जा सके। यह पहला मौका नहीं है,जब कांग्रेस देश को बांटने और तोड़ने का कार्य कर रही है। देश के लोगों को चाहिए कि वह कांग्रेस की कुचाल को समझ कर उसको आने वाले चुनाव में मुहतोड़ जवाब दें।
-पंकज कुमार शुक्ला
खदरा,लखनऊ(उ.प्र.)
० कांग्रेस का इतिहास रहा है कि उसने सत्ता के पायों को मजबूत रखने के लिए सदैव राष्ट्रवाद को कमजोर करने के वे सभी तरीके अपनाएं हैं,जो देश के हित में नहीं हैं। एक साजिश के तहत देश के लोगों को पहले उसने अल्पसंख्यक-बहुसंख्यक में बांटा, फिर जाति में विभाजित किया। यह सभी कुछ उसने इसलिए किया कि लोगों को तोड़कर उन्हें जात-पात में बांटकर उनमें टकराव का बीज रोपा जा सके और काफी हद तक वह इसमें सफल भी रही है,लेकिन आज समय आपस में लड़ने का नहीं है बल्कि समय है देश के लिए कार्य करने का।
-मनोहर मंजुल
पिपल्या-बुजुर्ग,प.निमाड(म.प्र.)
० वोट के लिए राष्ट्रवाद और सामाजिक समरसता को दाव पर लगाने का पुराना इतिहास कांग्रेस का रहा है। बावजूद इसके अब समय बदल रहा है और इस बदलाव में उसको नई जमीन तलाशनी है। आगामी चुनाव कांग्रेस और भाजपा के मध्य नहीं बल्कि तुष्टीकरण की नीति और राष्ट्रवाद के मध्य है।
-शशि भूषण सिंह
दरभंगा(बिहार)
आखिर इन्हें शरण क्यों ?
वर्तमान में भाजपा में ऐसे दल-बदलू नेताओं को शामिल किया जा रहा है,जो वषोंर् से भाजपा और श्री नरेन्द्र मोदी पर भद्दे कटाक्ष करते रहे हैं। सवाल इस बात का है कि आखिर इन लोगों को पार्टी क्यों शरण दे रही है? साथ ही इन लोगों के आने से पुराने और कर्मठ कार्यकताओं को क्यों भुलाया जा रहा है? भाजपा को चाहिए, वह इस मामले को लेकर शीघ्र मंथन करे और ऐसे लोगों से दूरी बनाए, जो भाजपा के लिए लाभकारी नहीं बल्कि खतरनाक हो सकते हैं।
-उदय कमल मिश्र
सीधी (म.प्र.)
लहर केसरिया
देश में बह रही भाजपा की लहर से जहां कुछ पार्टियों की दिलों की धड़कन बंद हो रही है तो कई स्वयं नतमस्तक हो चुके हैं। एक तरफ, जहां संप्रग के कुनबे में दरार है तो वहीं राजग का कुनबा दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है। यह सभी संकेत बता रहे हैं कि आज देश का प्रत्येक नागरिक चाहता है कि आने वाले दिनों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बने।
-हरेन्द्र प्रसाद साहा
नयाटोला,कटिहार(बिहार)
राष्ट्रसेवा ही एक मात्र ध्येय
रा.स्व.संघ का प्रारम्भ से ही एक मात्र ध्येय राष्ट्र सेवा रहा है । यह विशाल वट वृक्ष समस्त देश को सदैव इस बात का एहसास कराता रहा है कि उसके लिए भारत भूमि व भारत की जनता से अधिक पूज्य कुछ भी नहीं है। बिना किसी लोभ-लालच के उसने सेवा कर संपूर्ण विश्व को बताया है कि उसका एक मात्र लक्ष्य देश को सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाना है।
-हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर,भिण्ड(म.प्र.)
राष्ट्र के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले संघ पर कांग्रेस सहित राहुल गंाधी कुछ भी बोल जाते हैं। यह परम्परा देश को जोड़ने वाली नहीं बल्कि देश को तोड़ने वाली है। जनता को इस बात को समझना चाहिए कि कांग्रेस वोट के लिए कुछ भी कर सकती है। राहुल संघ को कमजोर करने के लिए इस प्रकार के बयान देते रहते हैं,लेकिन उन्हें संघ की शक्ति का आकलन नहीं है। यह पहला मौका नहीं है,जब राहुल संघ के खिलाफ ऐसा दुष्प्रचार कर जनता को दिग्भ्रमित कर रहे हों। इससे पहले भी कई लोग यह कारनामा कर जनता को गुमराह कर चुके हैं,लेकिन उनके अनर्गल प्रलापों से संघ की शक्ति कम होने के बजाए बढ़ी ही है और उसने देश हित में नए प्रतिमान स्थापित किये हैं।
-हरिहर सिंह चौहान
जंवरी बाग नसिया,इंदौर (म.प्र.)
अधर में कांग्रेस की नैया
भाजपा के पक्ष में वर्तमान में माहौल है,क्यांेकि देश का नागरिक 10 वर्ष के भ्रष्ट शासन से मुक्ति चाहता है। अपने लम्बे कार्यकाल में संप्रग पूरी तरीके से महंगाई पर लगाम लगाने में असफल साबित हुई। इन्हीं सब चीजों को देखते हुए देश के अधिकतर अवसरवादी नेता, जो लम्बे समय से सत्ता का स्वाद चख रहे थे वे अब अन्य पार्टियों का दामन थाम रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि कांग्रेस का जहाज डूबने की कगार पर है।
-आशुतोष श्रीवास्तव
सी 30/82 राजाजीपुरम्,लखनऊ (उ.प्र.)
राजनीतिक विफलता
चीन और पाकिस्तान आयेदिन भारत को घेरने व कमजोर करने के लिए नई चालें चल रहे हैं। जहां पाकिस्तान कश्मीर में तो वहीं चीन अरुणाचल प्रदेश में आये दिन सैनिकों की आमद दर्ज कराता है। ग्वादर बंदरगाह प्राचीनकाल से भारत के लिए सामरिक महत्व का केन्द्र रहा है,लेकिन वर्तमान सरकार की राजनीतिक विफलता के कारण ही चीन ने एक प्रकार से लगभग उस पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया है।
-रमेश कुमार मिश्र
कान्दीपुर,जिला-अम्बेडकर नगर (उ.प्र.)
० आज देश में भ्रष्टाचार, नशाखोरी, बेरोजगारी, नक्सलवाद व अनेक अपराध अपने चरम पर हैं। यह हमारी राजनीतिक विफलता ही है कि देश में विघटनकारी शक्तियां आज सिर उठा रही हैं। समय रहते इनको मुहंतोड़ जवाब देने की आवश्यकता है।
-कुंवर वीरेन्द्र सिंह ह्यविद्रोहीह्ण
कम्पू,लश्कर-ग्वालियर(म.प्र.)
देश-विरोधी ताकतें सक्रिय
देश-विदेश से भारत में कुछ ऐसी ताकतें सक्रिय हैं,जो केन्द्र में एक कमजोर, लाचार, शक्तिहीन सरकार चाहती है,ताकि वे मनोवांछित तरीके से भारत को कमजोर करने वाली गतिविधियां सरलता से चला सकें। इस प्रकार की खतरनाक मानसिकता भारतीय जनमानस को भली प्रकार समझनी होगी ताकि समय आने पर उनको पाखंड का करारा जवाब दिया जा सके।
-आनन्द मेहता
सर्राफ बाजार, सहारनपुर (उ.प्र.)
आपा खोती ह्यआआपाह्ण
देश में नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता से बौखलाई आम आदमी पार्टी अलोकतांत्रिक तरीका अपना रही है। खुद को पाक-साफ और ईमानदार कहना और दूसरों को गलत और उन पर बेवजह आरोप लगाना केजरीवाल की आदत में आ चुका है। देश की संपूर्ण जनता को ऐसे ढोंगी लोगों से इस बार सावधान रहना है और लोकसभा में ऐसे उम्मीदवार को मतदान करना है, जिसकी आस्था सिर्फ देशहित में हो।
-सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
दिलसुखनगर(आं.प्र.)
बुरे फंसे राहुल
मुसलमानों के वोट पाने के लिए कांग्रेस का प्रत्येक नेता सामान्य तौर से संघ के खिलाफ बेबुनियाद और निरर्थक आरोप लगाता रहा है। लेकिन राहुल गांधी ने संघ के खिलाफ गैर जिम्मेदाराना बयान देकर सिद्ध कर दिया कि वे भी इस जमात से अलग नहीं हैं। देश को जानना चाहिए कि जिस टी.वी. के विज्ञापन में वह ह्यकट्टर सोच नहीं युवा सोचह्ण का झूठा नारा देते हैं वह सिर्फ एक दिखावा है। सोच तो उनकी कुछ और है। जनता को ऐसे गिरगिटों को समझना चाहिए,जो कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं।
-राममोहन चंद्रवंशी
विट्ठल नगर-टिमरनी
जिला-हरदा (म.प्र.)
काला इतिहास कांग्रेस का
अंग्रेजों के जाने के बाद आजाद भारत में कहने को लोकतंत्र प्रारम्भ हुआ। कांग्रेस को सत्ता मिली, जिस आशा के साथ भारत की जनता ने कांग्रेस को सत्ता सौंपी थी, उसमें पूरी तरह स्वदेशाभिमान का अभाव था। भारत के पास अपनी विश्वकल्याणकारी संस्कृति थी। हमारे पास जो था वह अन्य देशों के पास नहीं था। लेकिन दु:ख की बात यह है कि इस सरकार ने इन चीजों को सहेजने के बजाय उनको नष्ट किया। कांग्रेस को अगर भारतीयता से प्रेम होता तो वह गुलामी के काल में आई विकृतियों, बुराइयों को चुन-चुन कर हटाती-मिटाती। यहां की संस्कृति को शुद्ध और परिष्कृत करती। भारतीय धर्म को राष्ट्र-धर्म बनाती। भारतीय गौरवशाली इतिहास को पुनर्स्थापित करती। विदेशी भाषा को शासकीय कार्यों से तुरन्त बाहर करती। समाज जातियों में बंटा था तो जातिगत भेदभाव भुलाकर,जात-पात,ऊंच-नीच समाप्त करके राष्ट्रीय एकता कायम करती। लेकिन कांग्रेस सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। दु:ख है कि सत्ताधीश कांग्रेस ने भारतमाता के साथ धोखा किया। देश के बहुसंख्यक हिन्दू समाज को जितना अपमानित इस देश में किया गया उतना शायद ही किसी अन्य देश में किया गया हो। हिन्दू समाज की दर्दनाक उपेक्षा और प्रताड़ना की गई। इस बहुसंख्यक समाज ने अब तो सभी आशा छोड़ दी है। वह केवल परिवार पालन और भोजन के लिए एक दर से दूसरे दर और दूसरे दर से तीसरे दर पर भटक रहा है। क्या इसे ही लोकतंत्र कहते हैं? फिर अब क्या फर्क हैं मुगल शासन,अंग्रेजी शासन और कांग्रेस शासन में? क्या ऐसी ही आजादी के लिए 1857 से 1947 तक करोड़ों देशभक्तों ने अपने प्राणों की आहुतियां दीं?
हम आज तक यही समझते हैं कि भारत के स्वतन्त्र होने के बाद से यहां लोकतन्त्र पद्धति को अपनाया जा रहा है। यह मात्र हमारा एक भ्रम है, क्योंकि प्रजा जिस तंत्र को चलाती है,उसे प्रजातंत्र कहते हैं, लेकिन यहां इसके उलट हो रहा है। प्रजा तो सिर्फ एक बार वोट दे देती है, उसके बाद तो पांच साल देश और हमारे लोगों को ये नेता चलाते हैं। कहने भर को हमारी जनता जनार्दन लोकतंत्र की स्वामी है। ये है हमारे प्रजातंत्र का असली चेहरा। वर्तमान परिदृश्य में इसका उदाहरण भी हमारे सामने है। दस वर्ष से सत्ता के सिंहासन पर काबिज हमारे प्रधानमंत्री वास्तव में क्या पद से न्याय कर पाए हैं? क्या उन्होंेने देशहित, समाजहित में कुछ ऐसा कार्य किया, जिसने देश को गौरवान्वित किया हो? उन्होंने क्या वास्तव में देश के लोगों की चिन्ता की? यह तमाम सवाल इसलिए कि इस सरकार ने आम आदमी का जीना दुशवार किया है। महंगाई,भ्रष्टाचार की तो इसके शासनकाल में हद ही हो गई। जनता ने उन्हें शीर्ष पर पहुंचाया था तो उन्हें जनता के विषय में सोचना था,लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। फिर किस बात का लोकतंत्र? जहां न तो जनता की फिक्र है और न देश की। देश आज सब कुछ भूलकर विकास चाहता है। वह चाहता है कि देश का प्रत्येक नागरिक मजबूत हो न कि विशेष जाति वर्ग या समुदाय का। देश का वह प्रत्येक नागरिक,जो अपनी भारत माता से प्रेम करता है वह आशा रखता है कि भारत पुन: विकास के अन्य क्षेत्रों में नये कीर्तिमान स्थापित करे। लेकिन यह तभी संभव है,जब हम आगामी लोकसभा चुनाव में बिना किसी लोभ-लालच,जात-पात को भूलकर अपने मत का प्रयोग करेंगे। यह किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं बल्कि देश के समस्त नागरिकों के लिए है क्योंकि देश खुशहाल होगा तभी उसमें रहना वाले लोग भी खुशहाल होंगे।
-गिरीश त्रिवेदी
झलिना अपार्टमेंट, पुणे(महाराष्ट्र)

चले संभलकर
नये कलेवर में वही, तेवर वो ही धार
पाञ्चजन्य ने ले लिया, है नूतन अवतार।
है नूतन अवतार, स्वयं मोहन जी आये
पत्र जगत में दृढ़ता के कुछ सूत्र बताये।
है ह्यप्रशांतह्ण शुभमंगल सावधान का मौका
चले संभलकर, वरना खा जाएंगे धोखा॥
-प्रशान्त

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