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आज चीन व्यापारिक परिवहन साधनों के विस्तार, विद्युत निर्माण योजनाओं के संचालन और समुद्री डाकुओं से रक्षा के उपायों के नाम पर एक बड़ा षड्यंत्र रच रहा है, जिसका दूरगामी प्रभाव भारत के सामरिक अस्तित्व को चुनौती देने के अलावा कुछ भी नहीं। ब्रह्मपुत्र नदी पर निर्माणाधीन चीन की जल विद्युत परियोजना, भारत के हिस्से, पाक अधिकृत कश्मीर में स्थित गिलगित बाल्टिस्तान क्षेत्र में 11 हजार से अधिक चीनी सैनिकों की तैनाती, पाकिस्तान और चीन के बीच निर्मित कराकोरम मार्ग में बढ़ती हलचलें, हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ती नौसैनिक गतिविधियां, पूर्वी तिब्बत में शुगदेन संप्रदाय के मठों एवं अरुणाचल प्रदेश के भीतर भारत विरोधी अभियान को हवा देने, लेह के पूर्व में चुमार क्षेत्र में हवाई घुसपैठ, लद्दाख के ग्रामीणों को डराने धमकाने का कार्य, पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह पर प्रस्तावित हवाई अड्डे की योजना और गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में रेलमार्ग और पाइप लाइन बिछाना आदि गतिविधियां एक सुनियोजित दीर्घसूत्री कुचेष्टा की ओर इंगित करते हैं। आएदिन चीन भारत के अरुणाचल प्रदेश से लेकर लेह लद्दाख और उत्तराखंड की दुर्गम सीमाओं में निरंतर घुसपैठ करके, भारत की प्रतिक्रिया पर उसे आंखें तरेरता हुआ दिखाई पड़ता है। जल और थल दोनों ही क्षेत्रों से चीन लगातार भारत की घेराबंदी के अभियान में लगा हुआ है। पूरब में म्यांमार, दक्षिण में श्रीलंका और पश्चिमी पाकिस्तान तक चारों ओर चीन ने अपने नौसैनिक अड्डे स्थापित कर लिए हैं। हाल के दो-तीन महीनों में शांग श्रेणी की अपनी परमाणु पनडुब्बियों को हिंद महासागर और मलक्का जलडमरूमध्य में घुमाकर चीन ने अपने दुस्साहसी तेवर दिखाने का कोई भी अवसर हाथ से नहीं निकलने दिया है। शांग पनडुब्बी पानी के अंदर रहकर 30 नॉट्स प्रतिघंटे की रफ्तार से चल सकती है। युद्धपोतों और व्यापारिक जहाजों पर आक्रमण करने की क्षमता के साथ-साथ क्रूज मिसाइलों से जमीन पर भी मार करने में समर्थ होती है। ऐसे में तुलनात्मक दृष्टि से जब हम भारत की नौसैनिक तैयारियों पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि 2009 में तैयार पहली पनडुब्बी अरिहंत भी अभी समुद्री परीक्षण नहीं हो सका है और इसी प्रकार विद्यमान पनडुब्बियों को लंबा जीवन देने वाला आईएनएस सिंधुरक्षक स्वयं अपना अस्तित्व खो चुका है। नौसेना पर किए जाने वाले कुल व्यय पर यदि हम दृष्टि डालें तो भारत का नौसेना बजट छह अरब डॉलर है। वहीं चीन अपनी नौसेना पर 49 अरब डालर से अधिक खर्च करता है। चीन अपनी दोगली नीति को साकार करते हुए पड़ोसी देशों को सीमा विवाद पर धमकाने से भी नहीं चूकता। हाल ही में बीजिंग में राष्ट्रीय पीपुल्स कांग्रेस के सत्र में चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने स्पष्ट किया कि हम अपनी जमीन के एक इंच टुकड़े की भी रक्षा करेंगे। भारत का प्रत्यक्ष नाम न लेकर चीन ने बेशक प्रतिद्वंद्वी जापान को दक्षिणी चीन सागर पर उसके दावों को जापान द्वारा चुनौती दिए जाने के संदर्भ से जोड़ा, लेकिन यह संदेश भारत की सीमाओं के संदर्भ में ज्यादा प्रासंगिक दिखाई पड़ता है। ल्ल
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