|
महज चार वर्ष की आयु में पिता का साया सिर से उठ गया, गरीबी थी, लाचारी थी लेकिन उस चार साल के मासूम के इरादे बुलंद थे। जैसे जैसे आयु बढ़ी वैसे वैसे समझ भी बढ़ी। ट्यूशन पढ़ाकर अपनी पढ़ाई पूरी की। उत्कल विश्वविद्यालय से रासायनिक विज्ञान में एमएससी करने के बाद एक प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया। बचपन के देखे दिन युवा हो चुका वह युवक भूला नहीं था। उसने ट्यूशन पढ़ाना जारी रखा और भुवनेश्वर में एक छोटी सी जगह में गरीब और वनवासी बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। मेहनत, लगन और समाज कल्याण के इस जज्बे ने उसे इतना आगे पहुंचाया कि आज वह 20 हजार वनवासी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, रहने के छात्रावास और भोजन मुहैया कर रहा है। हम बात कर रहे हैं कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआईआईटी) विश्वविद्यालय की स्थापना करने वाले अच्युता सामंत (49) की,जो इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (केआईएसएस) संस्थान भी चला रहे हैं जिसमें 20 हजार बच्चों को नर्सरी से लेकर बारहवीं तक की शिक्षा, भोजन, आवास नि:शुल्क मुहैया कराए जाते हैं। बच्चों को वहां मुफ्त शिक्षा देने के साथ वोकेशनल ट्रेनिंग भी दी जाती है ताकि यदि बारहवीं के बाद कोई बच्चा नौकरी करना चाहता है तो उसके लिए ह्यकैंपस इंटरव्यूह्ण द्वारा नौकरी की व्यवस्था की जाती है। केआईआईटी विश्वविद्यालय में केआईएसएस के बच्चों के लिए सीटें आरक्षित हैं। यदि कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा है और आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहता है तो उसे उच्च शिक्षा, जैसे मेडिकल, इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी नि:शुल्क कराई जाती है। वनवासी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, भोजन और छात्रावास मुहैया कराने के चलते केआईएसएस का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉड्स में भी दर्ज है। इस इंस्टीट्यूट को दर्जनों पुरस्कार मिल चुके हैं। अस्सी एकड़ में फैले केआईआईटी के 20 कैंपस हैं जिनमें से केआईआईएस भी एक है। जहां वनवासी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। आज इस संस्थान में यूनिसेफ, यूएन, एफपी और यूएस फेडरल सरकार की भागीदारी है। इस संस्थान के बारे में प्रख्यात लेखिका पद्मविभूषण और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महाश्वेता देवी का कहना है कि बापू का सपना और रविंद्रनाथ ठाकुर के भारततीर्थ को सकार करने में केआईएसएस का योगदान अतुलनीय है। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम जब यहां गए थे तब उन्होंने कहा था ह्यमैं आज केआईएसएस में पहुंचकर स्वयं में हर्ष का अनुभव कर रहा हूं,मैं यहां के सभी सदस्यों का अभिनंदन करता हूं, जिन्होंने इस विद्यालय की स्थापना में अपना योगदान दिया। भारत के उपराष्ट्रपति श्री हामिद अंसारी का कहना है कि ह्यमैंने केआईएसएस के बारे में बहुत सुना था, मुझे बताया गया था कि यह छात्रों के लिए एक अच्छा संस्थान है, लेकिन यहां आकर देखा कि यह शहर के किसी अन्य संस्थान से किसी भी तरह कम नहीं है, डॉ. सामंत ने यह साबित कर दिया है कि यदि कोई पूरे मनोभाव के साथ समाज के लिए कुछ करना चाहे तो वह बहुत कुछ कर सकता है। उन्होंने जो काम किया है वह विरले लोग ही कर सकते हैं।ह्ण पंचानन अग्रवाल
टिप्पणियाँ