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बंगलादेशी और पाकिस्तानी पिछले कई दशकों से भारत की अर्थव्यवस्था को ठप करने के लिए हजारों करोड़ रुपये के जाली नोट भारत के बाजारों में खपा चुके हैं। देखा गया है कि भारत के कुछ मुसलमान जिहादी, आतंकी, अपराधी तत्व और घुसपैठिये इस भारत विरोधी कुचक्र में शामिल हैं। बार-बार ऐसे दुष्कृत्य करने वाले पकडे़ जाते है, मगर सख्त कानून के अभाव में वे हमेशा छूट जाते थे, लेकिन इस बार यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रीवेन्शन एक्ट) के दायरे में इस संगीन अपराध को डाला गया। फरवरी के पहले सप्ताह में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) की अदालत ने जाली नोट प्रचार के मामले में पकड़े गए चार कैदियों को आजीवन कारावास की सजा दी गई। चारों आरोपी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के रहने वाले हैं। इनमें रबी घोष, मुहम्मद सामाद, नुरुद्दीन इस्लाम और आइजुल शेख शामिल हैं। ये लोग 14 मई, 2009 में जाली नोट प्रचार के आरोप में जब पकड़े गए थे तब इन पर यूएपीए नहीं लगाया था। लेकिन मामले की जांच एनआईए के पास आने पर इन सभी यूएपीए लगा दिया गया। यूएपीए लगाने पर देशद्रोह का मामला माना जाता है।
मुंबई के स्टार सिनेमाघर के सामने से 3 लाख 45 हजार रुपये के नकली एक हजार वाले नोट जब्त किए गए थे। फिर चारों आरोपियों के पकड़े जाने पर उनसे 18500 रुपये के नकली नोट और बरामद किए गए थे। जांच में मुंबई पुलिस की एटीएस शाखा ने पाया कि जाली नोट ऊंचे दर्जे के हैं जिसके बाद जांच एनआईए को सौंप दी गई। एनआईए ने पाया कि नोट छापने के लिए सरकारी मशीनरी जैसी मशीन का ही प्रयोग किया गया है, केवल नकली नोट वजन अधिक होने के कारण ही असली से भिन्न दिखाई पड़ रहे थे।
अदालत में साक्ष्य के तौर पर जब नकली नोट मामले से जुड़ी रपट पेश की गई तो बताया गया कि बंगलादेश से लाए गए नकली नोट मालदा बॉर्डर के रास्ते भारत में भेजे जा रहे हैं। पकड़े गए आरोपियों में से रबि घोष गिरोह का सरगना था, जो कि दलालों के माध्यम से महानगरों में नकली नोट भेजता था। फिर वहां से नकली नोट व्यवसायिक केन्द्र, सिनेमाघर और बाजारों में भुना दिए जाते थे। पूछताछ में आरोपियों ने बताया था कि पश्चिम बंगाल में विदेशी नकली नोट का साम्राज्य फैलाना चाहते हैं। अदालत में भी एनआईए ने कहा है कि बड़े आतंकी वारदात को अंजाम देने से पहले भारी मात्रा में नकली नोट की खेप भारत में पहंुचा देते हैं। नकली नोट के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को बिगाड़ कर वे गड़बड़ी फैलाना चाहते हैं। बासुदेब पाल
कर्नल पुरोहित की पत्नी ने लगाई राष्ट्रपति से गुहार
पूछा, जब आरोपपत्र में एनआईए ने नहीं दिया नाम तो क्यों नहीं दी जा रही जमाना?
मालेगांव विस्फोट के आरोपी कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित के परिवार ने मदद के लिए अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से गुहार की अपील की है। परिवार ने हवाला दिया है कि जब धमाकों में अभी तक आरोपपत्र में उनका नाम नहीं था तो पिछले पांच वर्षों से कर्नल को जेल में क्यों रखा गया है? कर्नल पर लगे आरोपों को लेकर सेना की जांच भी अंतिम चरण में पहंुच चुकी है।
जानकारी के मुताबिक कर्नल पुरोहित की पत्नी अपर्णा पुरोहित ने राष्ट्रपति से इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के मालेगांव में वर्ष 2008 में हुए बम धमाकों में साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित व अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था। मामले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पिछले साल मई में जो आरोपपत्र दाखिल किया था, उसमें कर्नल पुरोहित व साध्वी प्रज्ञा सहित अन्य किसी का नाम नहीं था। अपर्णा पुरोहित के साथ राष्ट्रपति से मिलने गए शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा है कि जिस तरह ह्यहिंदू आतंकवादह्ण का हौवा बनाकर एक सैन्य अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल में रखा गया है, वह सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक षड्यंत्र के तहत कर्नल पुरोहित की गिरफ्तारी को लेकर महाराष्ट्र की जनता में भी आक्रोश भरा है और शिवसेना इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। महाराष्ट्र विधानसभा में भी शिवसेना विधायक दल के नेता सुभाष देसाई ने कहा कि संजय दत्त को सजा के बावजूद किसी न किसी कारण से समय-समय पर पैरोल दी जाती है, जबकि, कर्नल पुरोहित को बीते पांच सालों में आज तक जमानत नहीं दी गई। देसाई ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त पार्टी की सांसद हैं, क्या इस कारण केन्द्र व राज्य सरकार उनके मामले में नरमी बरतते हैं? उल्लेखनीय है कि साध्वी प्रज्ञा भी पिछले काफी समय से गंभीर रोग से पीडि़त हैं और अब वह पांव से चलने में भी असमर्थ हैं, फिर भी उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए भी उन्हें जेल से जमानत या पैरोल पर नहीं छोड़ा गया। वहीं कथित राजनीतिक परिवार से जुड़ने के कारण संजय दत्त को बीमार पत्नी का हवाला देकर बार-बार पैरोल दे दी जाती है। प्रतिनिधि
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