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हाल ही में श्री नरेन्द्र मोदी ने चैन्नई के एस़आऱएम कॉलेज में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा था कि दुनिया झुकती है, लेकिन इसे झुकाने वाला चाहिए। यह बयान यहां इसलिए प्रासंगिक है क्योंकि वही अमरीका जो मोदी का नाम लेने से कतराता रहता था और सदैव विरोध करता रहता था, आज वह उन्हीं के दर पर जाकर उनसे मिलने को मजबूर है। चुनावी मौसम और सियासी हवा का रुख भांप अमरीका ने नरेंद्र मोदी से दोस्ती की पहल की है। विदेश मंत्रालय की मानें तो कई महीनों से अमरीकी दूतावास मोदी से मिलने के लिए आग्रह कर रहा था जिसके बाद मोदी ने 13 फरवरी का समय उनसे मिलने के लिए निश्चित किया। अमरीकी राजदूत नैंसी पॉवेल गांधीनगर स्थित मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात के लिए पहुंचीं तो मोदी ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। मोदी ने पॉवेल को गुलाब का गुलदस्ता भेंट किया और उसके बाद पॉवेल और उनके सहयोगियों ने मोदी के साथ एक लम्बी बैठक की। घंटे भर चली बैठक के दौरान भारत-अमरीका संबंधों के महत्व, क्षेत्रीय सुरक्षा के मसले, मानवाधिकार, व्यापार और भारत में निवेश के मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही पॉवेल ने आगामी लोकसभा चुनाव पर भी विस्तृत रूप से चर्चा की। जाते -जाते पत्रकारों को उन्होंने साफ संकेत देते हुए कहा कि मोदी प्रधानमंत्री बनते हैं तो अमरीका को उनके साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जब से मोदी राष्ट्रीय नेता के रूप में उभरे हैं तब से अमरीका सहित यूरोपीय संघ ने भी अपने रुख में परिवर्तन किया है। कई रिपब्लिकन सांसदों और अमरीकी व्यवसायियों के प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल अमदाबाद में उनसे मुलाकात की थी। इस मुलाकात में अमरीका के एक वरिष्ठ राजनयिक ने भी हिस्सा लिया था। मोदी से मुलाकात कर चुके पश्चिमी राजनयिकों में पॉवेल के अलावा जर्मनी के राजदूत माइकल स्टीनर और ब्रिटेन के उच्चायुक्त जेम्स बेवन शामिल हैं। नैंसी और मोदी की इस भेंट से कांग्रेस बौखला गई है। विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है कि अमरीका आखिर एक ह्यनरसंहारकर्ताह्ण को कैसे भूल सकती है, जबकि अमरीकी विदेश विभाग की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि ऐसे किसी भी विचार को हम खारिज करते हैं। प्रतिनिधि
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