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अजमेर में गत 30 जनवरी को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चार दिवसीय घोष शिविर ह्यस्वर निनादह्ण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस अनूठे कार्यक्रम के समापन अवसर पर 2 फरवरी को घोषवादकों ने मीरा, तिलंग, श्रीराम, अजेय, सोनभद्र, शिवराज, गोवर्धन, शिवरंजनी, मेवाड़, उदय, चेतक सहित अनेक भारतीय रचनाओं का अविरत वादन कर भव्य घोष प्रदर्शन किया। स्वयंसेवकों के लयबद्घ तथा विभिन्न आकृतियों में बैंड की प्रस्तुति से उपस्थितजन रोमंाचित हो उठे। घोषवादकों ने धनुषबाण, स्वास्तिक, सुदर्शन चक्र आदि व्यूह बनाकर अद्भुत कौशल दिखाया।
इससे पूर्व संघ के गणवेशधारी स्वयंयेवकों ने पूरे महानगर में पथ संचलन किया । उनके जय घोष से पूरा माहौल गुुंजायमान हो गया। समारोह में प्रमुख रूप से उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में पंथ, भाषा, परम्पराओं एवं
रहन सहन के विविध स्वरों के होते हुए भी भावात्मक एकता का आधार स्वर हिन्दुत्व ही है। उन्होंने कहा कि घोष की रचनाओं में अलग-अलग वाद्य यंत्र बजाए जाते हैं, सभी यंत्रों की ध्वनि, संचालन एवं रचना अलग-अलग होती है, लेकिन एक आधार स्वर पर स्थिर रहने के कारण एक मधुर सुर गुंजायमान होता है। उन्होंने कहा कि संघ का एक ही ध्येय है – भारत माता की जय। संघ का स्वयंसेवक सनातन आदर्शों को जीता हुआ सत्य के साथ समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। देश की सीमायें तो हमारे पुरु षार्थ से छोटी-बड़ी होती रहती हैं, लेकिन संस्कृति नहीं बदलती है। यहां पर धन या धनाढ्यों की पूजा नहीं होती बल्कि संन्यासी को पूज्य माना जाता है। पितृ वचन के लिये राज्य को ठुकराने वाले राजा राम को भगवान माना जाता है। देश की स्वाधीनता के लिये लड़ रहे महाराणा प्रताप को अपना सम्पूर्ण धन भेंट करने वाले भामाशाह आदर के पात्र होते हैं। उन्होंने विवेकानन्द के कथन को दोहराते हुए कहा कि अन्य देशों को झुकाने के लिये हमें वैभवशाली व सम्पन्न नहीं बनना बल्कि सेवा करते हुए दूसरों को भी अपने समान श्रेष्ठ बनाने के लिये भारत को बड़ा होना है। इस देश में सर्वाधिक महापुरुषों ने जन्म लिया है और समाज जागरण का काम किया है, किन्तु यदि देश को दुनिया का सिरमौर बनना है तो प्रत्येक नागरिक में गुणवत्ता, भावात्मक एकता और देश के लिये जीने का संकल्प आवश्यक है।
शिविर कार्यवाह श्री विनोद मेलाना ने शिविर का वृत्त प्रस्तुत किया। समापन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ़ प्रमोद सारस्वत थे। उन्हांेने देश के सामने खड़ी चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि देश के उत्थान में संघ ही प्रमुख भूमिका निभा सकता है। मंच पर क्षेत्र संघचालक श्री पुरुषोत्तम परांजपे, प्रांत संघचालक डॉ़ भवगती प्रकाश शर्मा, विभाग संघचालक श्री औंकार सिंह शक्तावत, शिविराधिकारी श्री हेमेन्द्र श्रीमाली उपस्थित थे।
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