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हथियार तस्करी के एक दशक पुराने मामले में बंगलादेश की अदालत ने सुनाया फैसला
-जगदम्बा मल्ल-
भारत के वांछित अपराधी व उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम) के बागी प्रमुख परेश बरुआ सहित 14 को बंगलादेश में हथियार बरामदगी के सबसे बड़े मामले में 30 जनवरी, 2014 को मौत की सजा सुनाई गई है। वह 1990 से बंगलादेश में छिपा हुआ था। दोषियों को चटगांव दंडाधिकारी के विशेष पंचाट न्यायाधीश एस. एम. मुजीब उर रहमान ने सजा सुनाई है। इनमें बरुआ के अलावा पूर्व अतिरिक्त सचिव नूरुल अमीन, पूर्व मंत्री व जमात ए इस्लामी के प्रमुख मतिउर रहमान निजामी और बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार में गृह राज्य मंत्री रहे लुत्फज्जमान बाबर आदि लोग भी शामिल हैं।
दरअसल बंगलादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने देश के दक्षिणी-पूर्वी हिस्से में 2 अप्रैल, 2004 को कर्णफुली नदी के किनारे चटगांव में यूरिया फर्टिलाइजर लिमिटेड के प्लेटफॉर्म पर खड़े 10 ट्रक जब्त किए थे। इन ट्रकों में रखे 1500 बॉक्स में से अत्याधुनिक स्वचालित हथियार, राकेट, लांचर, हैंड ग्रेनेड और एक करोड़ से अधिक गोलियां बरामद की गईं थीं। यह हथियार उल्फा सहित उत्तर-पूर्वी राज्यों के करीब 40 संगठनों को बेचने के लिए लाए गए थे। चीन में हथियारों का निर्माण करने वाली कंपनियां नये-पुराने हथियारों का अवैध व्यापार करती हैं। परेश बरुआ इन कंपनियों का सबसे बड़ा व्यापारी और संगठनों को हथियार आपूर्ति करने वाला सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता था। सिंगापुर, हांगकांग व बंगलादेश होते हुए इन हथियारों की खेप भारत के सीमावर्ती इलाकों यानी असम, नागालैण्ड, मणिपुर और दूसरे राज्यों में सक्रिय आतंकवादियों को आपूर्ति की जाती थी। पाकिस्तान, चीन, बंगलादेश, गैर सरकारी संगठन, मरदसा, चीन का माओवादी संगठन, विदेशी मानवाधिकारवादी संगठन परेश बरुआ के अवैध धंधे का समर्थन करते रहे हैं। इनका लक्ष्य कश्मीर से लेकर उत्तर-पूर्व के आठों राज्यांे को हड़पना है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए आतंकवाद फैलाकर भारत को कमजोर करना इनका उद्देश्य है।
कुछ बरुआ के बारे में
उल्फा का सैन्य प्रमुख परेश बरुआ एक समय में असम की ओर से बेहतरीन फुटबाल खिलाड़ी हुआ करता था। 80 के दशक में वह छात्र आंदोलन में भी सक्रिय रहा था। वह उल्फा में शामिल होने से पूर्व रेलवे में नौकरी करता था और डिब्रूगढ़ की स्थानीय टीम का सदस्य था। बताया जाता है कि उसने करीब 30 करोड़ रुपये की संपत्ति अर्जित की हुई है। बंगलादेश के वस्त्र उद्योग, परिवहन, पानी का जहाज, होटल, विदेशी कंपनी, चाय बगान के क्षेत्र में उसने अपना निवेश किया हुआ है। नशीले पदार्थ, अवैध हथियार और नकली मुद्रा की तस्करी में भी वह सक्रिय है। हालांकि माओवादी और परेश बरुआ में आपसी मतभेद है, लेकिन दोनों भारत को शत्रु मानते हैं और मिलकर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। परेश ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उल्फा और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के बीच रणनीति संबंधी समझौता है। वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल में मारे गए माओवादी नेता किशन के बरुआ से घनिष्ठ संबंध बताये जाते हैं। वर्तमान में मौत की सजा सुनाए जाने के बाद वह इधर-उधर छिपता फिर रहा है। उसके चीन में छिपे होने की आशंका जतायी जा रही है।
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