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1. चार नहीं जी, तीन नहीं जी दो अक्षर का मेरा नाम, नभ में चमकूं खुल्लमखुल्ला है रोशनी लुटाना काम
2. तीन अक्षर का मेरा नाम आग जलाना मेरा काम प्रथम कटे तो ह्यकड़ी ह्ण कहाऊं ह्यलड़ी ह्णमध्य कट कर बन जाऊं
3. चावल-दाल नहीं खाता हूं और न रोटी खाऊं, जितनी मार मुझे पड़ती है, उतना ही चिल्लाऊं
4. जब जब छांव पड़े है मुझ पर मैं तो कुम्हला जाता, धूप मुझे पसंद है ज्यादा इससे जीवन पाता
5. दिन निकले ही आ जाती हूं झटपट पास तुम्हारे , सर्दी में मिसरी सी कहकर मुझको विश्व पुकारे
6. गुस्साने पर ठंडा होता चुप होने पर गर्म, बूंद कभी गिराने लगताबूझो मेरा मर्म
उत्तर- 1. तारा, 2. लकड़ी, 3. ढोल, 4. पसीना 5. धूप 6. मौसम (गुड़गांव से घंमडी लाल अग्रवाल )
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