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महाराष्ट्र में एक तरफ जहां महिलाओं के साथ आपराधिक मामले बढ़े हैं, वहीं नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) की रपट के अनुसार चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अपराध में लिप्त महिलाओं की भूमिका तेजी से सामने आयी है।
विगत तीन वर्षों की रपट के अनुसार महाराष्ट्र में 90884 महिलाओं की गिरफ्तारी हुई थी, जो कि देश में महिलाआंे से संबंधित मामलों में सर्वाधिक हैं। महाराष्ट्र के बाद आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात शामिल हैं। महिलाओं की गिरफ्तारी सर्वाधिक 20 हजार से अधिक दहेज प्रताड़ना के मामलों में की गई थी। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र में पहले महिलाओं की गिरफ्तारी हत्या या अपहरण में बहुत ही सीमित थी जिसमें अब तेजी से वृद्धि हो रही है। राज्य में महिलाओं की अपराध में संलिप्तता का विश्लेषण करने पर पाया गया कि सबसे अधिक 7264 महिलाएं मुंबई की रहीं। इसके बाद जलगांव से 5378, नासिक से 5235, अहमदनगर 4986 और पुणे से 4052 महिलाएं अपराध में शामिल रही हैं।
आंकड़ों के मुताबिक अकेले महाराष्ट्र में वर्ष 2010 में 30118, वर्ष 2011 में 30159 और वर्ष 2012 में 30607 महिलाएं लिप्त रह चुकी हैं। इससे एक बात उभरकर सामने आयी है कि पहले तो निम्न वर्ग की महिलाएं छोटे-मोटे अपराधों में लिप्त रहती थीं, लेकिन अब तो मध्यम वर्ग की महिलाएं भी हत्या, लूटपाट और धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराधों में सक्रिय हैं। धोखाधड़ी के मामलों में महिलाएं कागजी हेर-फेर खासकर मकानों के क्रय-विक्रय की ठगी में ज्यादा शामिल हैं।
रपट के अनुसार साफ हुआ है कि मध्यम वर्गीय महिलाएं अपने गलत शौक और इच्छाएं पूरी करने के लिए अपराध जगत में सक्रिय हो जाती हैं। अधिक से अधिक राशि जुटाने के लिए ये गलत रास्ते पर चलना शुरू कर देती हैं। रपट के मुताबिक अपराध में लिप्त महिलाएं पकड़े जाने के बाद भी बार-बार अपराध करती हैं। एक महिला तो 80 बार अपराध कर अपरा रिकॉर्ड बना चुकी है। ऊपर से महिलाओं के मामले अदालतों में लंबे समय तक लंबित रहते हैं जिसके पीछे कारण यह है कि वकील उन्हें डरा-धमका देते हैं कि यदि उन्होंने अपना जुर्म स्वीकार कर लिया तो जेल में सजा भुगतनी होगी। इसी के चलते महिलाएं लंबे समय तक न्यायिक प्रक्रिया में उलझे रहना सही समझती हैं।
महाराष्ट्र में महिलाओं के लिए उचित व पर्याप्त पुनर्वास की व्यवस्था भी नहीं है। मुंबई मंे ह्यटाटा सामाजिक विज्ञान संस्थाह्ण एवं ह्यप्रयासह्ण के माध्यम से कुछ पहल तो की गई, लेकिन राज्य सरकार का उचित सहयोग नहीं मिलने से महाराष्ट्र में महिलाओं के बढ़ते अपराध और उनकी संलिप्तता की समस्या बरकरार है।
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