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कभी दुनियाभर के अनेक देशों पर राज करने वाला ब्रिटेन का शाही परिवार इन दिनों आर्थिक तंगी का सामना कर रहा है। 2001 में ब्रिटिश शाही परिवार के खजाने में 350 लाख पाउंड की धनराशि थी,जो अब केवल 10 लाख पाउंड(लगभग 10करोड़ रु.) ही रह गई है। एक समाचार के अनुसार कामन्स पब्लिक अकाउंट कमिटी ने अपनी रपट में बताया है कि महारानी के परामर्शदाता उनके वित्तीय प्रबंधन को संभालने में अपने को असमर्थ पा रहे हैं। रपट में शाही परिवार के सदस्यों और उनके सलाहकारों को सलाह दी गई है कि वे कोषागार से बचत के सम्बंध में दी गई संस्तुतियों का पालन करें। माना जा रहा है कि पिछले कुछ वर्षों में खूब फिजूलखर्ची की गई है। इस कारण कोषागार तेजी से खाली हो रहा है। समाचार में यह भी लिखा गया है कि शाही परिवार के दो आलीशान महलों (बकिंघम पैलेस और विंडसर पैलेस) की भी हालत खराब है। इन महलों की मरम्मत की आवश्यकता है,परन्तु शाही खजाने में इसके लिए उपयुक्त पैसा नहीं है।
कैलिफोर्निया में भारतीयों का दबदबा
अमरीकी राज्य कैलिफोर्निया में भी भारतवंशियों का दबदबा बढ़ने लगा है,जबकि वहां भारतीयों की आबादी लगभग दो प्रतिशत ही है। भारतीयों की दूसरी पीढ़ी वहां की राजनीति में बढ़-चढ़ कर भाग लेने लगी है। अभी हाल ही में भारतीय मूल के नील कशकरी ने वहां के गवर्नर पद के लिए चुनाव लड़ा था। यह कैलिफोर्निया की राजनीति में भारतीयों के बढ़ते प्रभाव का नमूना है। कैलिफोर्निया में पिछले कई दशकों से भारतीय बस रहे हैं। वहां की सेन्ट्रल वेली में बड़ी संख्या में भारतीय रहते हैं। वहां की खेती,तकनीकी,प्रौद्योगिकी हर क्षेत्र में भारतीय अपना योगदान दे रहे हैं। कैलिफोर्निया की राजनीति में डा. अमी बेरा,आर.ओ. खन्ना,वनिला सिंह,रिकी गिल,हरमीत ढिल्लो,कमला हेरिस,कार्तिक रामकृष्णन,काश गिल,सोनी धालीवाल आदि भारतवंशी सक्रिय हैं। डेमोक्रेट अमी बेरा डाक्टर हैं और अमरीकी कांग्रेस में सेक्रेमेन्टो क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। डेमोक्रेट वनिला सिंह खाड़ी क्षेत्र में सक्रिय रूप से राजनीति करती हैं। रिपब्लिकन रिकी गिल अमरीकी कांग्रेस का सदस्य रह चुके हैं। कार्तिक रामकृष्णन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के प्राध्यापक रहे हैं। इन सबका मानना है कि कैलिफोर्निया की राजनीति में भारतवंशियों की दूसरी पीढ़ी रुचि लेने लगी है।
अब पाकिस्तान परमाणु बम बेचेगा?
यह तो पूरी दुनिया को पता है कि पाकिस्तान ताबड़तोड़ परमाणु बम तैयार कर रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि उसका परमाणु जखीरा भारत से भी बड़ा हो गया है। इसलिए दुनियाभर में यह सवाल उठता रहा है कि आखिर पाकिस्तान इतने परमाणु बम क्यों बना रहा है? लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। हाल ही में अमरीकी गुप्तचर संस्था सीआईए के पूर्व विश्लेषक और अमरीकी संस्था ब्रुकिंग्स इन्स्टीट्यूट से जुड़े ब्रूस रिडेल ने ओबामा प्रशासन की विदेश नीति पर आयोजित एक चर्चा में कहा है कि क्या सऊदी अरब परमाणु बम के लिए पाकिस्तान से पहले ही समझौता कर चुका है? उन्होंने यह भी कहा कि आखिर क्यों पाकिस्तान अपने परमाणु भण्डार में तेजी से वृद्धि कर रहा है? क्यों वह भारत की तुलना मेंं दोगुने या तिगुने परमाणु बम बना रहा है? क्या उसका कोई बाहरी साझेदार है? रिडेल ने यह भी कहा कि मेरे विचार से शायद सऊदी अरब और पाकिस्तान के बीच कोई समझौता हुआ होगा जिसके तहत पाकिस्तान सऊदी अरब को परमाणु बम दे सकता है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी पाकिस्तान पर परमाणु तकनीक बेचने का आरोप लग चुका है। कहा जाता है कि पाकिस्तान के परमाणु बम के जनक अब्दुल कादिर खान ने इरान और उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेची थी। इसके लिए कादिर खान काफी समय तक अमरीकी रडार पर थे। दुनिया के सुरक्षा विशेषज्ञ भी शंका व्यक्त कर रहे हैं कि पाकिस्तान के पास परमाणु बम सुरक्षित नहीं हैं। कभी भी तालिबान के हाथ में ये बम जा सकते हैं। यदि दुर्भाग्य से ऐसा होता है तो इसकी कीमत पूरी दुनिया को भुगतनी पड़ेगी।
नाइजीरिया में जिहादी हमले में 99 की मौत
पिछले दिनों नाइजीरिया में इस्लामी जिहादियों ने एक चर्च पर हमला कर दिया जिससे 99 लोगों की मौत हो गई। जब हमला हुआ उस समय वहां बड़ी संख्या में ईसाई समुदाय के लोग उपस्थित थे और प्रार्थना कर रहे थे। माना जा रहा है कि हाल के दिनों में नाइजीरिया में यह सबसे बड़ा जिहादी हमला है। नाइजीरिया से आ रही खबरों के अनुसार इस हमले में विस्फोटक और अग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल किया गया। धमाके से आसपास के मकान ढह गए। इस चर्च पर हमला करने से दो दिन पहले भी जिहादियों ने एक भीड़ भरे बाजार में बम विस्फोट किया था। उसमें भी अनेक बेकसूर लोग मारे गए थे। उल्लेखनीय है कि नाइजीरिया के तीन राज्यों में जिहादियों पर अंकुश लगाने के लिए आपातकाल लागू है। इसके बावजूद जिहादी वहां लगातार हमले कर रहे हैं। माना जा रहा है कि ये हमले बोको हराम से जुड़े जिहादियों ने किए हैं। प्रस्त़ुति : अरुण कुमार सिंह
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