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भुवनेश्वर के एक दैनिक समाचार पत्र ह्यसमाजह्ण में हजरत मोहम्मद का कथित रेखाचित्र प्रकाशित होने के बाद हिंसक मुसलमानों ने राज्य का विभिन्न शहरों में समाज के कार्यालयों पर हमला कर दिया। उन्होंने समाज कार्यालयों में तोड़फोड़ करने के साथ एक स्थान पर प्रिंटिंग प्रेस क ो आग लगा दी। इससे अखबार को भारी नुकसान पहंुचने का अनुमान है। उपद्रवियों ने स्वतंत्रता सेनानी पंडित गोपबंधु दास की मूर्ति को भी तोड़ दिया।
14 जनवरी को यह चित्र प्रकाशित होने के बाद मुसलमान हिंसा पर उतारू हो गए और उन्होंने अखबार के बालेश्वर, राउरकेला व कटक कार्यालय पर हमला किया। बालेश्वर में उपद्रवियों ने जमकर तोड़फोड़ कर प्रिंटिंग प्रेस को फूंकने के अलावा कंप्यूटर, एसी, टेलीफोन व अन्य सामान को नुकसान पहंुचा दिया। राउरकेला में भी उपद्रवियों ने ऐसा ही किया। कटक में उपद्रवियों द्वारा पत्थर फेंके जाने के कारण अखबार के भोजनालय में कार्य करने वाला एक कर्मचारी गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। रेखाचित्र प्रकाशित होने के मामले में पुलिस ने अखबार के एक उप संपादक को गिरफ्तार किया है। अखबार के कार्यालय पर हमले की चौतरफा निंदा हुई है और उसमें शामिल सभी आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग हो रही है ।
विभिन्न पत्रकार संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसके विरोध में विरोध-प्रदर्शन किया। पत्रकार संगठनों के अलावा अन्य संगठन व राजनीतिक दलों ने भी इसकी आलोचना की है । विश्व संवाद केन्द्र की ओर से इसके खिलाफ मौन विरोध-प्रदर्शन किया गया । इससे पूर्व विश्व संवाद केन्द्र, ओडिशा के अध्यक्ष रघुनाथ पति ने बताया कि पंडित गोपबंधु दास की मूर्ति को तोड़ा जाना निंदनीय है। इसमें शामिल प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्र गिरफ्तार किया जाए और उन्हें कड़ी सजा दी जाए । इस हमले के कारण हुए नुकसान को भी उनसे वसूला जाए । बजरंग दल ने भी इस घटना की निंदा करते हुए आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग करते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर जाम लगाया। इसके बाद बजरंग दल के कटक महानगर के पदाधिकारी ने कटक के पुलिस उपायुक्त से मिलकर उन्हें ज्ञापन सौंपा।
भारतीय जनता पार्टी ने अखबार के कार्यालय पर हुए हमले को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर हमला बताया है । पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सज्जन शर्मा ने कहा कि इस मामले में शामिल लोगों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने कहा कि पंडित गोपबंधु दास की मूर्ति को तोड़ना ओडिशा की अस्मिता का अपमान करने जैसा है। समन्वय नंद
प्रो. सतीश चन्द्र मित्तल को वाकणकर पुरस्कार
दिल्ली कर्नाटक संघ सभागार में 21 जनवरी को बाबा साहेब आप्टे स्मारक समिति दिल्ली की ओर से 16वां डा़ॅ विष्णु वाकणकर पुरस्कार प्रसिद्ध इतिहासकार प्रोफेसर सतीश चन्द्र मित्तल को प्रदान किया गया। श्री मित्तल ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी करने के बाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में ही शिक्षण प्रारम्भ किया, वह अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के अध्यक्ष हैं, उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन, इतिहास-लेखन एवं क्षेत्रीय अध्ययन में विशेषज्ञता प्राप्त की है। भारतवर्ष के स्वर्णिम अतीत को इतिहास लेखन और पुरातात्विक शोध के माध्यम से उजागर करने वाले इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को सम्मानित करने हेतु यह पुरस्कार प्रतिवर्ष बाबा साहेब आप्टे स्मारक समिति प्रदान करती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी ने प्रो. मित्तल को सम्मानित करते हुए कहा कि इस कार्यक्रम में आने पर तीन नाम ध्यान में आते हैं। पहला बाबा साहेब आप्टे, दूसरा डॉ़ विष्णु वाकणकर, तीसरा प्रो. सतीश चन्द्र मित्तल, जो सम्मानित हुए हैं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब आप्टे संस्कृत और इतिहास के लिए चिंतित रहते थे। उनका मानना था कि संस्कृत विद्वानों की ही भाषा न होकर रहे अपितु संस्कृत को जनभाषा भी होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इतिहास अगर विकृत होता है तो भविष्य भी विकृत होगा। इतिहास विकृत हो गया है, केवल यह कहने से काम नहीं चलेगा, सही इतिहास को सामने लाने का प्रयत्न करना चाहिए। वाकणकर जी पुरातत्ववेत्ता थे, बाबा साहेब आप्टे ने उनको सम्मानित किया था, आप्टे जी ने तब कहा था जिनको हम सम्मानित कर रहे हंै वह ह्यवाकह्ण यानी बोलता है, ह्यकणह्ण यानी कणों के साथ, ह्यकरह्ण यानी करता है, यानी यह कणों के साथ बात करता है, जिसके साथ पत्थर भी बोलता है। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित थे। प्रतिनिधि
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