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गोगोई सरकार ने मुआवजे का मरहम लगाकर अपनी जिम्मेवारी से मुंह मोड़ा
असम में सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार प्रदेश को उग्रवाद मुक्त करने की पहल के कितने ही दावे करती रहे, लेकिन हर समय गोगोई सरकार सिर्फ क्षतिपूर्ति का मरहम लगाकर अपनी जिम्मेवारी पूरी कर देती है। ऐसा ही गोगोई सरकार ने कार्बी व रेंगमा नागाओं की जनजाति के बीच उपजे खूनी संघर्ष में मरे लोगों के परिजनो को 6 लाख रुपये का मुआवजा देकर किया। इस खूनी खेल से एक बार फिर कार्बी-नागा सीमांत अंचल में तनाव काफी बढ़ गया है। यहां कभी भी दोनों जनजाति के बीच भीषण खूनी झड़प छिड़ सकती है।
कार्बी लोगों के 5 शरणार्थी शिविरों में 1679 लोग डेरा डाले हुए हैं, जबकि रेंगमा नागा लोगों के 4 शरणार्थी शिविरों में रह रहे 1183 रेंगमा नागा को क ड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। इस परिस्थिति का उद्भव तब हुआ जब नागालैंड के दीमापुर अंचल के पेरेन जाने वाली सड़क से सटे पचास पूरा इलाके में प्लास्टिक की थैली में लिपटे हुए 9 कार्बी युवकों के क्षत-विक्षत शव बरामद हुए हैं। जिन्हें कई दिन पहले मारा गया था। शवों के हाथ, पांव व आंखें बंधी हुईं थीं। उससे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि इन युवकों को किसी अपराध की सजा देते हुए श्रृंखलाबद्ध तरीके से नजदीक से गोली मारी गई हो। वहीं स्थानीय लोगों के अनुसार घटना के दिन तक अंचल में किसी प्रकार की कोई गोलीबारी की आवाज सुनाई नहीं दी है। इस लिए संभव है कि युवकों को पहाड़ पर गोली मारकर नीचे फेंका गया हो। वहीं इस खबर से पूरे कार्बी में सनसनी फैल गई। मरने वालों में एक मृतक की पहचान स्थानीय कार्बी स्टूडेंट्स एसोसिएशन के महासचिव हरलन्गबी इंग्ती कथार के रूप में की गई। अन्य सभी शवों की पहचान भी कार्बी युवकों के रूप में की हुई है। इस नृशंस हत्याकांड की घटना के बाद पूरे अंचल में तनाव व्याप्त है।
इस घटना को कार्बी जिले के कई हिस्सों में जारी रेंगमा नागाओं की हत्या व घरों को जलाने की घटना के जवाबी कार्यवाही के रूप में देखा जा रहा है। दूसरी तरफ इस बर्बर हत्याकांड कि जिम्मेवारी नागालैंड के रेंगमा हिल्स प्रोटेक्शन फोर्स (एनआरएचपीएफ) ने लेते हुए संवाद माध्यम को बताया कि कार्बी उग्रवादी संगठन कार्बी पीपुल्स लिबरेशन टाइगर (केपीएलटी) ने अकारण ही चार निर्दोष रेंगमा नागा लोगों की हत्या से जातीय हिंसा की शुरुआत कर हजारों लोगों को शरणार्थी बना दिया। इसलिए उनके संगठन ने 9 कार्बी युवकों की हत्या कर केपीएलटी को करारा जवाब दिया है।
इसके साथ ही एनआरएचपीएफ के प्रवक्ता ने संवाददाता को बताया कि संगठन के मित्र मंडलीय समिति के निर्णय के बाद ईस्टर्न कमांड ने इस घटना को अंजाम दिया। साथ ही मृतकांे को केपीएलटी के हथियार आपूर्तिकर्ता बतलाया। वहीं एनआरएचपीएफ के कमांडर इन चीफ ने बताया कि उनकी ये कार्यवाही खुफिया सूचना के आधार पर की गई है। उन्हें सूचना मिली कि बोकाजान के लाहुरिजान क्षेत्र में तीन हथियार आपूर्तिकर्ता समेत अन्य 6 लोगों के साथ हथियारों की आपूर्ति कर रहे हैं। उसके बाद कार्यवाही की गई और उनके हथियार आपूर्तिकर्ता की संतुष्टि होने के बाद उनके दस्ते ने 9 लोगों को मार गिराया। दोनों जनजातियों के गुटांे की आपसी रंजिश के कारण उजागर होने के बाद दीमापुर व कार्बी आंग्लांग जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इससे दोनों समुदायों की सामूहिक हिंसा को रोकने पर अंकुश लगाया जा सके।
एनआरएचपीएफ की इस कार्यवाही के बाद केपीएलटी भी उन्हें करारा जवाब देने पर उतारू हो गया है। इससे अंचलों में हिंसक घटनाएं होने की संभावना और बढ़ गईं हैं। गौरतलब है कि कार्बी आंग्लांग अंचल काफी समय से जातीय संघषोंर् व उग्रवादी गुटांे के झड़पों की मार झेलता आ रहा है। अंचल की आम जनता इन झड़पों की बलि चढ़ रही है। इसके बाद भी असम सरकार कोई सकारात्मक कदम उठाती नहीं दिख रही है। डिब्रूगढ़ से मनोज पाण्डेय
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