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-मुजफ्फर हुसैन
पाकिस्तान में जब से आतंकवाद का युग शुरू हुआ है तब से हत्या का जवाब हत्या से दिया जा रहा है। पाकिस्तान को आतंकवाद की अंधी गली में पहुंचे हुए कम से कम 25 वर्ष की अवधि हो गई है। पड़ोसी देश अफगानिस्तान ने पाकिस्तानियों को अपराधी मानस का बना दिया है ऐसी पाकिस्तान के बुद्धिजीवियों की सोच है। एक समय था कि वहां तस्करी होती थी और लोग धड़ल्ले से ऐसी वस्तुओं की खरीद-फरोख्त करते थे जिसमें उन्हें अच्छे दाम मिल जाते थे। लेकिन अफीम की तस्करी ने न केवल पाकिस्तान को अवैध कमाई के लिए अंधा बना दिया, बल्कि अखंड भारत की जो संस्कृति थी उससे बहुत दूर पहुंचा दिया। भारत की तरह पाकिस्तान की जनता भी उत्सव प्रिय थी। मुल्लाओं ने इस्लाम के नाम पर होली और दीवाली पर तो प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिए लेकिन पंजाब में मनाए जाने वाले वसंत को वे किसी भी रूप में बंद करने अथवा बदलने में सफल नहीं हो सके। पंजाब का वसंत उत्सव केवल पंजाब में ही नहीं मनाया जाता था, बल्कि फागुन की बयार आते ही जहां पंजाबी होता था वहां हीर रंझा और सोनी महिवाल जीवित हो जाते थे। वसंत उत्सव का सबसे बड़ा आकर्षण पतंग की स्पर्धा थी। कई दिनों पहले भांति-भांति की पतंगें बनाई जाती थीं। उसे उड़ाने के लिए उपयोग में आने वाला मांझा तैयार करने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच जाते थे। भारतीय पंजाब के लोग भी इस उत्सव को मनाने और दो पैसा कमाने के लिए पाक पंजाब पहुंचने में विलम्ब नहीं करते थे। जब आतंकवाद की आंधी चलने लगी तब लोगों को महसूस होने लगा कि भारत और पाकिस्तान केवल दो देश नहीं, बल्कि दो अलग-अलग संस्कृति भी हैं। इसे सिद्ध करने के लिए कट्टरवादियों की परछाइयां इस राष्ट्रीय त्योहर पर पड़ने लगीं और देखते ही देखते पंजाब अलगाववाद की आंधी में झुलसने लगा। एक समय था जब पाकिस्तान में वसंत उत्सव की तैयारियां बहुत पहले शुरू हो जाती थीं। परिधान और खानपान ही नहीं, बल्कि पतंग स्पर्धा में कौन कौन भाग लेगा और स्पर्धा कितने दिन पहले शुरू हो जाएगी इसका कार्यक्रम बन जाता था। स्पर्धा के लिए रात्रि का समय तय किया जाता था। इसलिए खुली छत पर पंजाबी परिवार अपनी पतंग और मांझे के साथ आकर डट जाते थे। ऐसे पेच देखने को मिलते थे कि कोई कल्पना नहीं कर सकता था। रात में उजाला रहे इसलिए अपने घरों की छतों पर बिजली पैदा करने वाले जनरेटर लगा दिए जाते थे। जब किसी की पतंग कटती थी तो शोर मच जाता था। सड़कों पर युवा पाकिस्तानी लड़के और लड़कियां पतंग लूटने के लिए दौड़ा-दौड़ी किया करते थे। यह एक प्रकार से पाकिस्तानी पंजाबियों का राष्ट्रीय त्योहर बन गया था जिसमें सरहद पार के पंजाबी भी मजे लूटने के लिए पंजाब के बड़े नगरों में पहुंच जाते थे। संध्या ढलते ही महिला और पुरुषों की टोलियां इस समारोह का आनंद लेने के लिए घरों से बाहर निकल जाती थीं। ह्यआज तेरी महफिल में रत जगा हैह्ण इस धुन पर पंजाबी थिरकते नजर आते थे। संक्षेप में कहा जाए तो सम्पूर्ण पंजाब पागलों की तरह वसंत उत्सव में डूब जाता था। लेकिन ज्यों ही पाकिस्तान में राष्ट्रपति जिया का राज आया वसंत पंचमी के उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया गया। जनरल जिया जमाते इस्लामी की आंखों के तारे थे। इसलिए सर्वप्रथम तो मुल्ला मौलवियों से फतवे लेकर इस भारतीय त्योहर पर प्रतिबंध लगा दिया गया। पुलिस विभाग को इसके लिए तैयार कर लिया गया कि रात के आठ बजे बाद कोई बाहर न निकले। बाहर से पतंग और मांझा बेचने आने वालों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। कटी पतंग की तरह तत्कालीन पंजाब सरकार की ओर से यह फतवा निकलवा दिया गया कि पतंग लूटते समय अनेक घटनाएं होती हैं। पंजाब हाईकोर्ट ने पतंग उत्सव पर प्रतिबंध लगा दिया। पाकिस्तान के मुल्ला मौलवी न केवल मस्जिदों में, बल्कि फतवे जारी करके कहने लगे कि यह हिन्दुओं का त्योहर है इसलिए इस्लाम के नाम पर बने पाकिसतान में इसको किस प्रकार जारी किया जा सकता है? धीरे-धीरे यह त्योहर दम तोड़ने लगा। सतलज, सिंध और व्यास के किनारे बसने वाले पंजाबियों की पीढि़यां भूलने लगीं कि उनके देश में वसंत उत्सव जैसा रंगीन और संगीन त्योहार भी कभी मनाया जाता था। इस्लाम का नाम लेकर पंजाबी संस्कृति को सोनी और महिवाल की तरह लोग भूलने लगे। लेकिन न जाने कया बात है कितना ही समय व्यतीत हो जाए लोग अपनी प्राचीन संस्कृति को नहीं भूलते। अब तो पकिस्तान में आतंकवाद पांव पसारे हुए है फिर भी किसी कोने से हीर रांझा के गीत कानों में पड़ ही जाते हैं।
पिछले दिनों पाकिस्तान के अखबारों में जब यह समाचार प्रकाशित हुआ कि इस बार वसंत पंचमी आते ही वसंत उत्सव फिर से पंजाब में मनाया जाएगा, तब युवा पाकिस्तानियों ने फिर से अंगड़ाई ली और इस बात को कहने का साहस किया कि आतंकवाद को केवल हमारी सांस्कृतिक धारा ही कब्रिस्तान में दफन कर सकती है। सामान्य आदमी में यह विश्वास जाग्रत हो गया कि वसंत के झोंके फिर से पाकिस्तान में महसूस किये जाएं तो बहुत आश्चर्य की बात नहीं। पंजाबियों में आशा और विश्वास भरने के लिए सिंध ने अग्रणी भूमिका निभाई। जुल्फिकार अली भुट्टो के परिवार ने इस दिशा में हुंकार भरी। यद्यपि अब वहां बेनजीर जैसा कोई जुझारू नेता नहीं है, लेकिन बेनजीर के बेटे बिलावल और बेटी बख्तियार ने इस बात की घोषणा की कि सिंध में इस बार वसंत उत्सव की शुरुआत होगी। धीमे-धीमे सही त्योहार सम्पूर्ण पाकिस्तान में मनाया जाने लगेगा। बिलावल और बख्तियार का कहना था कि पाकिस्तान के इस राष्ट्रीय त्योहार को कुछ कट्टरवादियों ने देश निकाला दे दिया है इसलिए भुट्टो परिवार का यह प्रयास रहेगा कि पाकिस्तान की इस विरासत को हम वापस लौटा सकें और सारा देश उस पर गर्व महसूस कर सके।
सिंध में इन दिनों बेनजीर की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार है। इसलिए दोनों भाई-बहन ने यह संकल्प लिया है कि सिंध से इसका शुभारम्भ होगा। पीपीपी की सरकार करांची से लेकर सक्खर तक वसंत पंचमी का आयोजन करेगी। पीपीपी ने सिंध के लोगों को आह्वान करते हुए कहा कि इस बार वसंत उत्सव भले ही करांची में जोर-शोर से मनाया जाए लेकिन भविष्य में लाहौर सहित पूरे पाकिस्तान में इसका आयोजन किया जाएगा। बिलावल और बख्तियार ने पाकिस्तान के कुछ नगरों का चयन किया है जहां इसकी शुरुआत होगी।
आज भी पाकिस्तान में कट्टरवादियों का जोर है। पंजाब में नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग का राज है इसलिए इसका विरोध तो निश्चित है। संभव है मुस्लिम लीग मुल्ला मौलवियों की फौज के साथ मैदान में उतरेगी इसलिए संघर्ष की पूर्ण संभावना है। पंजाब की मुस्लिम लीग ने पांच वर्ष पूर्व पंजाब में वसंत उत्सव को प्रतिबंधित कर दिया था। लीग परम्परावादी पार्टी होने के कारण मुल्लाओं का उसे समर्थन मिलना कोई बड़ी बात नहीं है। सिंध में चूंकि पीपीपी की सरकार है इसलिए वसंत उत्सव का संदेश वे सिंध में बैठ कर सम्पूर्ण पाकिस्तान को देने की राणनीति घोषित कर चुके हैं। सिंध की सरकार ने करांची में समुद्र तट पर सिंध फेस्टीवल आयोजित करने का निर्णय लिया है। सरकार का कहना है कि हम अपने देश में सिंधु घाटी की सभ्यता का प्रचार करना चाहते हैं। जिससे देशवासी अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर सकें और पूरी दुनिया में सिंधु घाटी की सभ्यता की लहर एक बार फिर पहुंच सके, यही सभ्यता पाकिस्तान की असली पहचान है।
बिलावल भुट्टो का कहना था कि पाकिस्तान इन दिनों दुनिया में ह्यबेनिस्तानह्ण बन गया है। यानी यहां हर वस्तु और हर विचार पर केवल प्रतिबंध ही प्रतिबंध है। इसलिए हमारा देश एक अंधी गुफा में चला गया है। 22 दिसम्बर की रात को बिलावल ने कहा कि कोई यू ट्यूब पर किसी बात को लेकर विरोध करता है तो पाकिस्तान में वेब साइट पर ही प्रतिबंध लगा दिया जाता है। हम यदि भारतीय सिनेमा से स्पर्धा नहीं कर सकते हैं तो उनकी फिल्मों पर ही प्रतिबंध लगा देते हैं। यानी हम कुछ कर तो सकते नहीं, केवल अपने मन को समझाने के लिए हर वस्तु पर प्रतिबंध लगा देते हैं। आंख बंद करके यह सोचने लगते हैं कि हमने चुनौती को भगा दिया। लेकिन जब कोई हमारा गला पकड़ता है तब मालूम होता है कि वह चुनौती तो हमारे सिर पर सवार है। बिलावल ने कहा कि पतंग को यह कहकर प्रतिबंधित कर दिया कि उसके मांझे में कांच होते हैं जिससे हाथ कट जाते हैं। पाकिस्तान की सेना और अधिकारी हर वस्तु को हिन्दुओं का भयानक रूप बता कर प्रतिबंधित कर देते हैं। क्या यह पाकिस्तान के लिए शर्म की बात नहीं है? बिलावल ने इस बात की भी घोषणा की कि 2014 में आयोजित किए जाने वाले सिंध समारोह की शुरुआत मोहन जोदड़ो से होगी। बिलावल का कहना था कि जनरल जिया जैसे लोगों ने पाकिस्तान के इतिहास के साथ मजाक किया है। उसे तोड़-मरोड़ कर हमें दुनिया के सामने लज्जित किया है। बिलावल और बख्तियार का कहना था कि दो सप्ताह तक मनाए जाने वाले समारोह में हम पाकिस्तान का उज्ज्वल रूप पेश करेंगे। बिलावल का कहना था कि हमारी विरासत खतरे में है। इसलिए समय आ गया है कि हम आकर्षण, सुनहरे और प्रगतिशील पाकिस्तान का रूप दुनिया के सामने पेश करें। दैनिक मश्रिक ने लिखा है कि अब भुट्टो परिवार व संत का झोंका बन कर हिंसक तूफानों में उबलते पंजाब में घुसपैठ की रणनीति बना चुका है।
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