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डॉ. भारत सिंह
आयुर्वेद में कहा गया है कि मानव शरीर में त्रिदोष (वात, कफ, पित्त) सम हों, अग्नि सम हो, सप्त धातुएं (रस, रक्त, मांस, भेद, अस्ति, मज्जा और शुक्र) सम हों, मल क्रिया ठीक हो रही हो, जो इन्द्रियों (पांच कर्म इन्द्रियां, पांच ज्ञान इन्द्रियां) तथा मन से प्रसन्न रहे, वही पूर्ण स्वस्थ कहलाता है।
मनुष्य चाहे तो वह स्वस्थ रह सकता है, परन्तु उसे कुछ नियम-संयम बनाने पड़ेंगे। हमारे स्वस्थ रहने की शुरुआत प्रभात काल से ही शुरू हो जाती है और रात्रि में सोने तक चलती है।
प्रात: उठते ही मूत्र विसर्जन करें। फिर दो-चार गिलास पानी पीएं। कुछ देर टहलें और मल सिजर्सन करें। इसके बाद प्रात:काल की मधुर बेला में किसी बाग- बगिया, झील या नदी तट पर रोज घूमने जाएं। इससे शुद्ध आक्सीजन मिलती है तथा हीमोग्लोबिन बढ़ता है।
प्रात: धूप में बैठकर शीतकाल में सरसों के तेल एवं गर्मियों में नारियल के तेल से मालिश करें तथा 30 मिनट बाद स्नान करें।
स्नान के बाद सूती तौलिए से शरीर को खूब रगड़ें। इससे शरीर के रोम-कूप खुल जाते हैं। इससे शरीर की कोशिकाएं पूर्णरूपेण आक्सीजन ग्रहण करती हैं और शरीर स्वस्थ रहता है।
प्रात: भस्त्रिका, कपालभांति और अनुलोम-विलोम प्राणायाम अवश्य करें।
सुखासन में बैठ कर त्रिबन्ध (मूल बन्द, उडि़यान बन्द तथा जालन्धन बन्द) लगाएं फिर प्रभु का नाम जपें। फिर ध्यान करें। इससे तन-मन शुद्ध होगा, मन शान्त होगा। बुद्धि जागृत हो जायेगी तथा आप जीवन में सफल होंगे। प्रतिदिन योगासन और व्यायाम भी करें।
प्रात: नाश्ते में रोज बदल-बदल कर अंकुरित आहार लें अथवा मौसम के फल खाएं या दूध में शहद डालकर पीएं। यही अच्छा नाश्ता है। हलवा-पूरी, चाय-काफी, ब्रेड, पराठा आदि न खाएं।
जमीन पर चटाई या दरी बिछाकर पालथी मारकर खाना चाहिए। इसके बाद 5-10 मिनट वज्रासन में बैठने से खाना ठीक से पच जाता है। पाचनक्रिया ठीक से होती है। सदैव शाकाहारी सुपाच्य भोजन करना चाहिए तथा भोजन के पौने घण्टा बाद पानी पीना चाहिए इससे जठराग्नि प्रदीप्त होती है।
सदैव सन्तुलित आहार लेना चाहिए। दिन में पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। रात्रि में कम से कम 8 घंटे अवश्य सोएं।
मनुष्य को 80 प्रतिशत क्षारीय तथा 20 प्रतिशत अम्लीय भोजन करना चाहिए। भूख का 75 प्रतिशत ही खाना खाएं (पूरा पेट भरकर खाना नहीं खाना चाहिए) तथा नशीले पदार्थों से दूर रहना चाहिए।
तला, भुना अधिक मसालों से युक्त गरिष्ठ भोजन से बचें। मौसम के फल, सब्जियां खानी चाहिए तथा रात्रि का भोजन हल्का, सुपाच्य लें।
चाय, कॉफी तथा कृत्रिम पेय पदार्थ न पीएं। लड़ाई-झगड़े से बचें।
15 दिन में एक बार नींबू निचोड़कर छानकर साफ ठंडे जल में मिलाकर एनिमा लेकर पेट साफ कर लेना चाहिए। जो ऐसा करता है उसे कभी आंतों के रोग, कब्ज, गैस, एसिडिटी, बवासीर, भगन्दर नहीं होता है। एनीमा से बड़ी आंत साफ हो जाती है। किसी चिकित्सक से सीखकर करें।
पानी गुनगुना करें। उसमें थोड़ा नमक मिलाकर उकड़ू बैठ कर जितना पानी पिया जाए पी लें। खड़े होकर थोड़े आगे झुककर बायां हाथ पेट पर रखें तथा दाहिने हाथ की दो उंगली धीरे से गले में डालकर उल्टी कर दें। 1-2 बार करने से पूरा पेट साफ हो जाता है। एक घन्टे तक कुछ न खाएं-पिएं।
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