सीधी चोट पड़ी तो सहयोग की माला जपने लगा चीन
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पहली बार चीन की राजधानी बीजिंग के जगत प्रसिद्घ थ्येनआनमन चौराहे पर पिछले दिनों हुआ आतंकी विस्फोट चीनी कामरेडों को लगता है भीतर तक झकझोर गया है। शायद यही वजह थी कि 10 नवम्बर को नई दिल्ली में एक अहम बैठक में चीनी नेताओं के सुर बदले बदले लगे और वे भारत और रूस के साथ आतंक निरोधी सहयोग की आवश्यकता पर जोर डालने लगे। इसमें कोई शक नहीं कि आतंकवाद सभ्य समाज का शत्रु है और देश चाहे जो हो, निर्दोषों की जान लेना सबसे बड़ा अपराध है। भारत तो पाकिस्तान-प्रायोजित जिहाद से वषोंर् से जूझ रहा है और इससे जूझते हुए भारतवासियों ने बड़ी संख्या में अपनी आहुति दी है, जवानों ने बलिदान दिया है। आज इस आतंक से आहत चीन इन तथ्यों से अपरिचित होगा, ऐसा असंभव है। लेकिन तब भी भारत के तमाम विरोध के बावजूद वह पाकिस्तान को हथियारों का जखीरा और परमाणु तकनीक सुलभ कराता रहा है, आईएसआई की नेपाल के रास्ते भारत विरोधी गतिविधियों की तरफ से आंखें मूंदे रहा है।
तो इस 10 नवम्बर को नई दिल्ली में हुई उक्त बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी खुद मौजूद थे और उन्होंने ही इस विषय पर खुलकर चिंता जताते हुए सहयोग की बात रखी। सूत्रों के अनुसार, थ्येनआनमन चौक पर हुआ हमला जिहादियों ने किया था, ऐसा वांग ने खुद कहा। रूस के विदेश मंत्री सरगेई लावरोव भी बैठक में मौजूद थे। बाद में एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया, ह्यआतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है, मानवता के खिलाफ अपराध है।ह्ण बयान में आतंक फैलाने वालों, उन्हें शह और पैसे की मदद देने वालों को रास्ते पर लाने की जरूरत पर बल दिया गया। जहां चीन के लिए मुस्लिम उइगर मुसीबत खड़ी कर रहे हैं वहीं रूस भी चेचन्या के विद्रोही आतंकियों से जूझ रहा है। लेकिन चीन जानता है कि जिहाद को हवा देने वाले पाकिस्तान के जिस पीओके नामक हिस्से में उसने अपने करीब 11 हजार फौजी तैनात किए हुए हैं वह भारत की जमीन है जो पाकिस्तान ने हथियाई हुई है। वह जानता है कि 1989 के आसपास भारत में पाकिस्तान की शह पर जम्मू-कश्मीर में शुरू हुए आतंकवाद के सारे पाकिस्तान में जिहादी तालीम पाए हत्यारे ही जुड़े हैं।
उत्तर कोरिया में तानाशाह सत्ता ने 80 लोगों को दिया मृत्युदंड
दक्षिण कोरिया के अखबार जूंग आंग इल्बो की मानें तो उत्तर कोरिया के तानाशाह शासक 30 साल के किम जोंग उन के फरमान पर इसी महीने 80 लोगों को देश के सात शहरों में मौत के घाट उतार दिया गया। कुछ का ह्यकसूरह्ण तो इतना सा था कि वे चोरी छुपे दक्षिण कोरिया के टीवी कार्यक्रम देखते पाए गए थे, कुछ के पास बाइबिल मिली थी, कुछ को यौन अपराधों के आरोप में मारा गया तो कुछ को वेश्यावृत्ति के आरोप में। पूर्वी तटवर्ती शहर वोनसान से आने वाली जानकारी दहला देने वाली है। वहां 10 हजार लोगों को एक स्टेडियम में इकट्ठा किया गया। उन्हें सात लोगों को खड़े खड़े गोलियां मारे जाते देखने को मजबूर किया गया। कथित आरोपियों को खंभे से बांधा गया, उनके मुंह ढके गए और फिर सामने खड़े पुलिस वालों ने मशीनगन से दनादन गोलियां दाग दीं। लोगों की चीखें निकल गईं, कुछ बेहोश होकर गिर गए। मरने वाले कैदियों की लाशें इतनी बुरी तरह छलनी हुई थीं कि पहचान तक करना मुश्किल था।
हैयान से भीषण तबाही, 10 हजार से ज्यादा की मौत
8 नवम्बर को फिलिपीन्स में आया भीषण तूफान जैसी तबाही मचा कर गया है उसने दिसम्बर 2004 में भारत के तटीय इलाकों को रौंदने वाली सुनामी की दुखद यादें ताजा कर दीं। 5 नवम्बर से ही फिलिपीन्स को झकझोरने वाली तेज हवाओं और बारिश ने आने वाले खतरे की पूर्व सूचना दे दी थी, लेकिन संभलते संभलते भी हैयान 10 हजार लोगों की जिदगी लील गया और एक मोटे अनुमान के अनुसार, 600,000 से ज्यादा लोग बेघर हो गए। चैनलों पर दिखे तबाही के दृश्य भीतर तक हिला गए। चारों तरफ टूटे मकान, सड़कों पर पानी के जहाज और समन्दर में डूबती-उतराती कारें, रोते-बिलखते अनाथ हुए बच्चे और खाने की तलाश में दुधमुंहे बच्चों को सीने से चिपकाटे भागती मांएं। समुद्र के किनारे बसे सैकड़ों गांव बह गए। टेक्लोबान शहर तो पूरा बर्बाद हो गया है। सड़क पर जहां देखो वहीं लाशें छितरी हैं। सड़कें, पुल और संपर्क के बाकी रास्ते ध्वस्त हो जाने के कारण राहत कार्यों में बाधा आ रही है। संयुक्त राष्ट्र और यूनीसेफ ने बेसहारा हुए बच्चों की खोज शुरू करके उन्हें मदद पहुंचाने का काम हाथ में लिया है। फिलिपीन्स में तबाही मचाने वाला यह तूफान उन प्राकृतिक आपदाओं की अगली कड़ी ही था जो पृथ्वी के बदलते तापमान और पर्यावरण के चलते देखने में आ रही हैं। भूकंपों और तूफानों का इस तरह बार बार आना चेतावनी देता है कि सावधान होने का समय आ गया है।
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