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अबकी बार चुनावों में
नारों के भटकावों में
परिणामों का ऊंट न जाने
किस करवट से बैठेगा?
पूछा प्रश्न हवाओं ने
उत्तर दिया दिशाओं ने
जीतेगा मैदान रे भाई
देशभक्त ही जीतेगा।
वीर सुभाष, पटेल, भगतसिंह
जन्मे हैं जिस कोख से
वही हमारी जननी देगी
नायक हिन्दुस्थान का
जलसों और सभाओं में
वादों और छलावों में
मतदाता किसको ठुकराकर
अब किसको कुर्सी देगा?
पूछा प्रश्न हवाओं ने
उत्तर दिया दिशाओं ने
जीतेगा मैदान रे भाई
देशभक्त ही जीतेगा।
जिनकी रग-रग में पुरखों की
रमती भव्य कहानी हो
जिनकी सांस-सांस में झंकृत
ऋषि-मुनियों की वाणी हो
हों जिनके आदर्श शिवाजी
राणा, गुरु गोविन्दसिंह जी
जिनके सपनों में दहाड़ती
झांसी वाली रानी हो
इन सारे टकरावों में
उलझन और दबावों में
उनका झंडा विजयकेतु बन
अब फहराता दीखेगा।
पूछा प्रश्न हवाओं ने
उत्तर दिया दिशाओं ने
जीतेगा मैदान रे भाई
देशभक्त ही जीतेगा।
एक वंश की चले हुकूमत
राजा हो या रानी हो
नौसिखिए युवराज भले हों
बस पालकी उठानी हो
जिन लोगों ने सड़ी गुलामी
की यह रीत चलाई है
उनकी पीठ रीढ़ बिन शायद
प्रभु ने कभी बनाई है
इन भारी बदलावों में
परिवर्तन की राहों में
वोट का डंडा ले मतदाता
उनको जमकर पीटेगा।
पूछा प्रश्न हवाओं ने
उत्तर दिया दिशाओं ने
जीतेगा मैदान रे भाई
देशभक्त ही जीतेगा।
जो कुछ भी कर सको करो बस
यह निर्णय की वेला है
वनवासी राघव के दल में
कोई नहीं अकेला है
भागीदार बनो हर कोई
परिवर्तन तो होना है
कोई रोक नहीं पाएगा
लंक दहन तो होना है
इन स्वर्णिम अध्यायों में
रचना और रचावों में
देखें कौन सम्मिलित होगा
कौन परे पग खींचेगा?
बलवीरसिंह ह्यकरुणह्ण
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