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संगठन ने आपको नई जिम्मेवारी सौंपी है। इसके संदर्भ में कौन सी चुनौती है जिसका सामना क रना है?
सबसे बड़ी चुनौती पिछले 15 वर्षों से सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार के कुशासन को उखाड़ फेंकने की है। पार्टी के पास देव-दुर्लभ कार्यकर्ता हैं जिनकी शक्ति हमारे काम आएगी। हमें जनता का अपार सहयोग और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शन और उनका अनुसरण हमारा मार्ग प्रशस्त करेगा। इन सभी के सहयोग से हम चुनाव जीतेंगे।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित राजधानी को पेरिस बनाने का दावा करती हैं। आप इस बारे में क्या मानते हैं?
पेरिस तो छोडि़ये जो दिल्ली वह भी कांग्रेस के शासन में रही-सही बिगड़ गयी। आज भी स्कूलों में बच्चे बिना डेस्क दरी पर बैठने को मजबूर हैं। यह बात वाकई कष्टदायक है और दिल्ली की मुख्यमंत्री और सरकार के लिए शर्मनाक है। सरकारी स्कूलों में सुविधाओं का सरकार को स्वयं ध्यान रखना चाहिए, लेकिन ऐसा न होना गलत है। भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान जब में दिल्ली का शिक्षा मंत्री था तो उस समय दिल्ली में अनेक स्कूल भवनों का निर्माण कराया गया। यहां तक की कई पोर्टा कैबिन भी स्कूलों में बनवाए गए। सत्ता मंे आने पर निश्चित रूप से स्कूलों का कायाकल्प किया जाएगा। स्कूलों में बैठने के लिए बच्चों के लिए समुचित व्यवस्था हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा।
राजधानी में स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है। हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों में एक बिस्तर पर कई-कई मरीजों का उपचार होता है। इस बारे में क्या कहेंगे?
मैं इस बात से सहमत हंू कि वास्तव में हम लोग दिल्ली में स्वास्थ्य सेवाओं में पिछड़ते जा रहे हैं। मेरे स्वास्थ्य मंत्री के कार्यकाल में कई नये अस्पताल खोले गए और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया गया। इस मामले में दिल्ली को कई पुरस्कार भी मिले और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर सराहनी मिली थी। लेकिन आज इस बात को लेकर काफी कष्ट है कि जो कार्य हम ने किए थे, उन्हें दिल्ली सरकार आगे नहीं बढ़ा सकी। स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें तो हम काफी पीछे रह गए हैं। वर्तमान सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर गंभीर नहीं रही। सरकार बदलने पर नये सिरे से स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कार्य करना होगा। आम जनता को ब्रिटेन, इजरायल और लैटिन अमरीका के देशों की तर्ज पर सुविधाएं देनी होंगी। मेरे समय में द्वारका और जेएनयू में अस्पतालों का शिलान्यास कराया गया, जो कि आज तक अधूरे हैं।
भ्रष्टाचार का दिल्ली ही नहीं पूरे देश में शोर है। इसे कैसे दूर करेंगे?
मैं स्वयं जनलोकपाल बिल को लेकर असहमत नहीं हूूं, लेकिन देश में शीर्ष एजेंसियां जैसे कि सीबीआई, सीवीसी, दिल्ली सरकार भ्रष्टाचार निरोधक शाखा आदि पहले से बनी हुई हैं। इन एजेसियों की कार्यप्रणाली में केवल पारदर्शिता लाने की आवश्यकता है। ऐसी व्यवस्था हो कि आरोपी दंड दिए जाने के नाम मात्र से ही भयभीत हो जाए। ऐसा करने पर संभव है कि भ्रष्टाचार की जड़े न केवल कम होंगी, बल्कि इसे फैलाने वालों पर भी अंकुश लग सकेगा। मेरा मानना है कि जिस क्षेत्र में भी बड़ी-बड़ी योजनाओं को लेकर लोगों में भ्रम रहता है कि योजना को लेकर मोटी रकम खाई या खिलाई गई है तो उसकी पूरी प्रक्रिया की रिकॉर्डिंग कराई जानी चाहिए। ऐसे अनेक सुधार किये जाने से भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है।
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आपका क्या मत है, क्या आप सुरक्षा से संतुष्ट हैं?
दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा की तो बात ही छोड़ दीजिए। 16 दिसम्बर वाली घटना के बाद से पूरे देश में आक्रोश था। तभी दिल्ली सरकार ने अपनी ताल ठोककर कहा था कि डीटीसी की बसों में होमगार्ड तैनात किये जाएंगे। यदि आज गौर किया जाए तो बसों में होमगार्ड दिखाई नहीं पड़ते हैं। राजधानी की सड़कों पर समुचित पथ प्रकाश नहीं होने से अपराध बढ़ रहे हैं। विदेशों की बात करें तो वहां मात्र पर्याप्त रोशनी सड़कों पर होने से ही अपराध का ग्राफ 35 से 40 फीसदी घट जाता है। यही नहीं पुलिस थानों में पर्याप्त संख्या में महिला पुलिसकर्मियों की तैनाती तक नहीं है। दिल्ली सरकार पिछले 15 वर्षों में भी इसे पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने में विफल रही है। श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार आने पर हम उनसे दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की प्रार्थना करेंगे।
दिल्ली में शिक्षा व रोजगार को लेकर आप कहां तक संतुष्ट हैं?
शिक्षा या रोजगार को लेकर संतुष्टि का तो सवाल ही नहीं होता है। सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार छात्रों की संख्या के अनुपात में शिक्षण संस्थान खोलने में असफल रही है। यही वजह है कि 12वीं कक्षा पास करते ही बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों या मजबूरी में विदेश का रुख करना पड़ता है। ऐसे में उनके बूढ़े माता-पिता असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। यही नहीं दिल्ली में अशिक्षित और बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सरकार उसे रोकने में भी असफल रही है। दिल्ली सरकार शराब के ठेके तो खुलवा सकती है, लेकिन युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने पर कोई ध्यान नहीं है।
दिल्ली सरकार की योजनाओं के बारे में क्या कहना है?
दिल्ली सरकार ने किस प्रकार योजनाएं लागू की हैं और उनका जनता कितना सदुपयोग कर पा रही है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। देश के दूसरे शहरों में जो लो फ्लोर बसें 40 लाख की थीं उन्हीं को 60-60 लाख रुपये में खरीदा गया। मात्र एक वर्ष के भीतर ही बसों में आग लगने की अनेक घटनाएं सामने आयी थीं। यही नहीं यमुना की सफाई पर दिल्ली सरकार करोड़ों-अरबों रुपया खर्च कर चुकी है, लेकिन यमुना आज भी मैली की मैली ही है। राशन कार्ड बनवाने के लिए लोग दर-दर भटक रहे हैं। सस्ता राशन मिलना तो दूर उनका राशन कार्ड बनना ही चुनौती का काम है। बिजली का निजीकरण करने के बाद से निजी कंपनियों की मनमानी बढ़ती जा रही है। दिल्ली की जनता को हर समय बिजली की दरें बढ़ने का डर सताता रहता है। यहां तक की दिल्ली विद्युत बोर्ड से सेवानिवृत्त हो चुके कर्मचारियों को स्वास्थ्य सेवा या पेंशन तक समुचित रूप से सरकार उपलब्ध नहीं करा पायी।
प्याज के दामों की तेजी ने पहले सरकार बदलवा दी थी और आज फिर से प्याज लोगों का रुला रही है। महंगाई को लेकर आपका क्या मानना है?
प्याज ही नहीं आज हर सब्जी और फल के दाम आसमान छू रहे हैं। आम व्यक्ति की थाली से सब्जी और दाल गायब होते जा रहे हैं। गृहणियों को दो समय का भोजन बनाते समय सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि ऐसा क्या बनाएं जिससे उनके घर का बजट बिगड़ न जाये। यदि एक मां अपने शिशु को दूध उपलब्ध कराने में संकोच महससू करे तो साफ सी बात है कि सरकार को आम लोगों के दर्द से कुछ लेना-देना नहीं है। प्याज के दामों की बढ़ोतरी को लेकर आए दिन नये-नये बयान जारी करने से दिल्ली की जनता को अब और ज्यादा मूर्ख नहीं बनाया जा सकेगा।
आरोप-प्रत्यारोप से अलग बात करें तो दिल्ली में लोगों के लिए क्या योजना है?
दिल्ली को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में मजबूत बनाना है। इसके लिए किसी विशेष नहीं, बल्कि पूरी दिल्ली की जनता की भागीदारी रहेगी। इस संकल्प को पूरा करने से न केवल बिजली के क्षेत्र में हम आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि एक समय पर उसे निर्यात कर राजस्व भी प्राप्त कर सकेंगे।
कोई संदेश देना चाहेंगे दिल्ली की जनता के लिए?
मेरा दिल्ली की जनता से केवल यही अनुरोध है कि वे आगामी चार दिसम्बर को विवेकानुसार अपने मताधिकार का प्रयोग करें। दिल्ली में फैले कुशासन और भ्रष्टाचार को उखाड़ फेंके। इसके लिए सभी अपने सगे-संबंधियों, मित्रों और पड़ोसियों के साथ मतदान करने अवश्य जायें। ल्ल
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