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मुजफ्फरनगर जिले में 6 नवम्बर को दोबारा से तनाव पैदा हो गया। शाहपुर में एक कबाड़ी की गोली मारकर हत्या किए जाने के बाद से कुछ दंगाइयों ने उन्माद मचाने के लिए विभाग के संघचालक के क्लीनिक को आग के हवाले कर दिया। वहां मौजूद मरीजों के वाहन भी फूंक दिये गये। रा.स्व.संघ के विभाग संघचालक के घर को भी जलाने का प्रयास किया गया।
6 नवम्बर की शाम शाहपुर के बाहर 22 वर्षीय इरफान नामक कबाड़ी की मंसूरपुर रोड पर दो अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी। इस संबंध में इरफान के भाई ने पुरानी रंजिश के चलते हत्या की आशंका जतायी थी। इसी बीच शाहपुर के नजदीक एक शरणार्थी कैंप में कुछ मुस्लिमों ने अफवाह फैला दी कि आरएसएस नेता के भाई ने इरफान को गोली मारी है। आरोप यह भी है कि पुलिस कैंप से एक आरोपी को पकड़ कर ले जा रही थी जिसका मुस्लिम विरोध कर
रहे थे।
इससे उग्र होकर कुछ मुस्लिम नारे लगाते हुये विभाग संघचालक डा. हरवीर आर्य के क्लीनिक पर जा पहंुचे। वहां पहंुचकर उन्होंने आतंक शुरू कर दिया और क्लीनिक को आगे के हवाले कर दिया। इस बीच वहां मौजूद मरीजों ने किसी तरह से अपनी जान बचाई, लेकिन उनके तीन वाहन फूंक दिये गये। यहां डा. हरवीर के बेटे अखिल का भी क्लीनिक था जिसमें आग लगा दी गयी। इसके बाद दंगाइयों ने क्लीनिक के ऊपर बने घर की ओर रुख कर उसे आग लगाने का प्रयास किया, लेकिन किसी तरह से वहां मौजूद लोगों की जान बचा ली गई। इस घटना के बाद से पूरे कस्बे में भगदड़ से अशांति फैल गयी। बेकाबू भीड़ ने रोडवेज की बसों को भी निशाना बनाकर जमकर तोड़फोड़ की।
आरोप है कि इस घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहंुची पुलिस दंगाइयों को रोकने की बजाय एक सामने वाले घर में जाकर छिप गई और मूकदर्शक बनकर पूरा घटनाक्रम उन्होंने देखा। इसके बाद मुजफ्फनगर के डीएम और एसएसपी भी मौके पर पहंुच गये। शांति बहाल करने के लिए क्षेत्र में जनपद पुलिस के अलावा सशस्त्र पुलिस बल को तैनात किया गया है। डा. हरवीर ने 15 ज्ञात, जबकि 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है, पुलिस ने किसी हमलावर को गिरफ्तार नहीं किया है।
भाजपा नेताओं पर लगी रासुका हटायी गई
सपा सरकार द्वारा गलत आरोपों के आधार पर भाजपा विधायक संगीत सोम और सुरेश राणा पर लगी रासुका को हटा दिया गया है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ की रासुका सलाहकार परिषद ने सरकार के रासुका प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वरिष्ठ न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एस. एन. सहाय और न्यायमूर्ति खेमकरन ने यह निर्णय अघोषित किया है। रासुका के लिए प्रशासन ने जो आधार बनाए थे, उन्हें दस्तावेजों द्वारा प्रमाणित नहीं किया जा सका। इस फैसले के बाद से सरकार और प्रशासन दोनों की काफी किरकिरी हुई है और सभी अब कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। उल्लेखनीय है कि भड़काऊ भाषण के आरोप में दोनों भाजपा विधायकों पर रासुका लगाई गई थी, लेकिन ऐसे ही आरोपों के बावजूद बसपा सांसद कादिर राणा, विधायक नूर सली राणा और जमील अहमद का रासुका से मुक्त रखा गया। सपा के वरिष्ठ नेता राशि सिद्दिकी को तो आरोपी भी नहीं बनाया गया।
हम कुछ नहीं करेंगे, जो करना है खुद करो-पुलिस ने हिन्दुआंे से कहा
शाहपुर में संघ के विभाग संघचालक पर हुए हमले के बाद अगले दिन 7 नवम्बर को उनका हालचाल पूछने के बाद समर्थक पुलिस की लचरता के विरोध में थाने के लिए निकले। इस बीच फिर समुदाय विशेष की भीड़ ने उन पर हमला कर गोली चला दी। यही नहीं डा. हरवीर से मिलने गए डा. प्रदीप चौहान, कुलदीप चौहान और राजेश सैनी पर भी गोली चलाई गई। इसके बाद जब पुलिस से कार्रवाई करने को कहा तो वहां जवाब मिला कि ह्यजो करना है खुद कर लो, पुलिस कुछ नहीं करेगी।ह्ण इसके बाद पंचायत की गई। डाक्टरों पर हुए हमले के संबंध में एफआईआर दर्ज हो गई है, लेकिन ग्रामीणों पर हुए हमले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
हम हमेशा मुसलमानों के साथ-मुलायम आजम खान
उधर मैनपुरी में एक रैली में मुलायक सिंह यादव ने फरमाया कि वे सदा मुसलमानों के हितैषी हैं और रहेंगे। इसी प्रकार के शब्द कैबिनेट मंत्री आजम खान ने लखनऊ में कहे। सवाल यह उठता है कि जब समुदाय विशेष के हित में कार्य करने की घोषनाएं होंगी तो प्रशासन निष्पक्ष कैसे रह सकता है।
सपा नेता को देख कोतवाल ने कुर्सी छोड़ी
7 नवम्बर को मुजफ्फनगर कोतवाली में सपा नगर अध्यक्ष अंसार आढ़ती जैसे ही पहंुचे तो उस समय कोतवाल प्रेस वार्ता कर रहे थे। अंसारी को देखते ही कोतवाल और एसएसआई ने अपनी कुर्सियां छोड़ दी। फिर अंसारी कोतवाल की कुर्सी पर बैठ गये। ऐसे में जिले के लोगों के बीच चर्चा है कि जब थाने में पुलिस वालांे की कुर्सियां तक असुरक्षित हैं तो उनसे सुरक्षा व न्याय की क्या उम्मीद रखी जाये? अजय मित्तल
मुजफ्फरनगर की घटनाओं के पीछे किसी न किसी अदृश्य ताकत का हाथ
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिले, जो पिछले कुछ माह से सांप्रदायिक तनाव और हिंसा झेल रहे है, उनमें केरल के एक प्रतिबंधित कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन से जुड़े लोग अपनी जड़े जमाने में लगे हुुए है। हालांकि पिछले दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने एक भाषण के दौरान यह सनसनीखेज खुलासा कर सबको चौंका दिया था कि हिंसाग्रस्त मुजफ्फरनगर और शामली जिलों के एक-डेढ़ दर्जन मुस्लिम युवाओं से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी संपर्क कर रही है।
राहुल गांधी के इस कथन को भले ही उत्तर प्रदेश के शासन-प्रशासन ने हवा में क्यों न उड़ा दिया हो, लेकिन जिस संगठित और साजिश के तरीके से उस इलाके में हिंसा की वारदात का सिलसिला जारी है। ऐसे में ऐसी आशंकाओं को खारिज नहीं किया जा सकता कि इन घटनाओं के पीछे किसी न किसी अदृश्य ताकत या गिरोह का हाथ है।
कुछ भरोसे के सूत्रों से यह जानकारी मिल रही है कि केरल के एक बदनाम संगठन पिपुल फ्रंट ऑफ इंडिया से जुड़े लोग मुजफ्फरनगर और आसपास के जिलों सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा, बागपत, शामली, मेरठ एवं बुलंदशहर आदि जनपदों में सक्रिय हैं। पीएफआई के लोग मुस्लिम नौजवानों से संपर्क कर उनकी सोच बदलने और उन्हें सियासी एवं सामाजिक तौर पर जागरूक और सक्रिय करने में लगे हैं। माना तो यहां तक जा रहा है कि जौली नहर पर सात सितंबर को पंचायत से लौटते लोगों पर हुए हमले के पीछे भी इसी संगठन की भूमिका रही थी। पीएफआई संगठन के इन इलाको में सक्रिय होने की बात की जा रही है। उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक अभिसूचना (एडीजी इंटेलीजेंस) जवाहर लाल त्रिपाठी का इस संवाददाता से कहना था कि उनके पास इस तरह की कोई सूचना नहीं है। उन्होंने आईबी से इनपुट मिलने संबंधी सूचनाओं पर भी अनभिज्ञता जताई।
सहारनपुर के एसएसपी उपेंद्र अग्रवाल का कहना था कि पीएफआई पर उत्तर प्रदेश में प्रतिबंध नहीं है। इसलिए उसकी मौजूदा गतिविधियों पर खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। दीपावली की रात मुजफ्फरनगर शहर में कार में सवार अज्ञात लोगो ने बाइक सवार तीन युवकों पर अंधाधुंध फायरिंग की। उसमें एक युवक मुकुल शर्मा की मौत हो गई और उनका एक साथी शशांक त्यागी घायल हो गया। तीसरे युवक सचिन ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई। पुलिस-प्रशासन इस घटना को रंजिश से जो़कर देख रहा है जबकि पीडि़तों के परिजनों ने घटना को साइलेंट वार करार दिया है। इन घटनाओं का असर भैया दूज पर भी पड़ा। ज्यादातर भाइयों ने बहनों के बैंक खातों में टीके की राशि जमा कराकर रस्म अदायगी की। 6 नवंबर को मुजफ्फरनगर के सबसे ज्यादा हिंसा प्रभावित कस्बे शाहपुर में उपद्रवियों की एक गुस्साई भीड़ ने कुटबा निवासी जोगेंद्र सिंह की ट्रैक्टर रिपेयरिंग की दुकान पर धावा बोलकर जोगेंद्र सिंह को घायल कर दिया। भाजपा नेता डा़ संजीव बालियान का कहना था कि उन्होंने एक दिन पहले ही आला अफसरों से मिलकर इस तरह की घटना की आशंका जताई थी। डा़ बालियान का आरोप है कि बसीकलां और शाहपुर के कुछ संदिग्ध युवक सरेआम घूम रहे है और किसी भी घटना को अंजाम दे सकते हैं। सुरेंद्र सिंहल
सपा सरकार के विरोध में गांवों में नहीं मनी दीपावली
उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा तुष्टीकरण के आधार पर निरंतर एक पक्षीय कार्रवाई किये जाने के विरोध में हिन्दू समाज सुलग रहा है। दशहरे पर मुजफ्फनगर-शामली-बागपत सहित कुछ अन्य जिलों के दर्जनों गांवों में रावण आदि के स्थान पर मुलायम-आजम खां-अखिलेश के पुतले जलाये गये थे। वहीं इन जिलों के कई गांवों में इस बार दीपावली नहीं मनायी गयी।
लोगों ने न कोई रोशनी की, न पटाखे जलाकर आतिशबाजी की। केवल परम्परा का मान रखने के लिए पांच दीपक जलाकर पूजन किया। मलिकपुरा में गौरव-सचिन के घर तो एक भी दीपक नहीं जला, परिजनों का कहना था कि जब घर के चिराग ही बुझ गये तो मिट्टी के दीपक क्या जलायेंगे? इस बार दीपावली से कुछ दिन पहले ही स्थान-स्थान पर पंचायतों ने अखिलेश सरकार की कारगुजारियों पर रोष व्यक्त करते हुए प्रकाश पर्व नहीं मनाने का निर्णय ले लिया था। दंगों से प्रभावित तीनों जिले, मुजफ्फनगर, शामली व बागपत में इन निर्णयों का असर साफ-साफ दिखायी दिया। जानसठ के गांवों कबाल, सादपुर, जंघेड़ी, सिमोज, नहरौर, वाजिदपुर, सालारपुर, नया गांव, महलकी, नंगला मंदौड़, खूनी नंगला, नंगला कबीर, अहमदगढ़, निढ़ेरे, खेड़ा चौगामा, मुस्तफाबाद आदि जगहों पर लोगों ने केवल पांच ही दीपक दीपावली के उपलक्ष्य में जलाये।
शाहपुर थाने के सोरम, गोयला, कुटबा-कुटबी, काकड़ा, रसूलपुर, गढ़ी बहादराबाद, कमालपुर, हडौला, सदरुद्दीननगर, माजरा, शाहपुर, पलड़ा, पलड़ी, घनायन, आदमपुर, ढिंढ़ावली, चांदपुर कलां, उमरपुर किनौनी, बरवाला, हरसौली, निर्माणा, निर्माणी, सोंहजनी, तगान, चांदपुर खुर्द, सीमली व मीरापुर आदि गांवों में भी पांच ही दिये जलाये गये। शामली जिले के लिसाढ़, लॉक, बहावड़ी, फु गाना, खरड़, ताजपुर, सिंभालका, कुढ़ाना, काबड़ौत, लिलौन आदि गांवों में दीपावली नहीं मनायी गयी। बागपत जिले में सरूरपुर, नैथला, फैजपुर, निनाना, गांगनौली, बरवाला, बासौली, बिररौल, वाजिदपुर, मकलपुर, लोयन, कासिमपुर खेड़ी आदि गांव में दीपावली काली रही। तीनों जिलों के शहरी क्षेत्रों में भी दीपावली पर धूमधाम व रौनक बहुत कम थी। प्रतिनिधि
गोक शी पर तीन को उम्रकैद
अपर न्यायाधीश सहारनपुर ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सक्रिय गो तस्करों के खिलाफ सहारनपुर के एक न्यायालय ने तीन अभियुक्तों के खिलाफ आजीवन कारावास व 26-26 हजार रुपये के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई है। अर्थ दण्ड अदा न करने पर अभियुक्तों को अतिरिक्त कारावास भोगना पडे़गा।
संबंधित मामले में पुलिस द्वारा छापा मारे जाने पर बड़ी मात्रा में गोकशी करते हुए मौके से अपराधियों को गिरफ्तार किया गया था। मौके से गो मांस, गाय और बैलों की खाल बरामद की गई थी। इसके अतिरिक्त छह जिंदा पशु भी बरामद किये गये थे। आजीवन कारावास की सजा वाले इस मामले में डाक्टर की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही। अदालत में मुकदमे के दौरान डाक्टर की गवाही हुई थी। उसमें डाक्टर ने बताया था कि यदि ये मांस खाया जाता तो नुकसान हो सकता था। न्यायालय ने अपने फैसले में डाक्टर की इस गवाही को प्रमुखता से लिया। इस संबंध में न्यायालय ने गोवध निवारण अधिनियम के तहत तीन अपराधियों को सात-सात वर्ष कैद व एक-एक हजार रुपये का अर्थ दण्ड तथा धारा 273 के तहत मानव जीवन के लिये हानिकारक पदार्थ बेचने के अंतर्गत आजीवन कारावास और 25-25 हजार रुपये के अर्थ दण्ड की सजा सुनाई है। राजेन्द्र अटल
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