|
इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी हमले में 27 अक्तूबर को पटना में हुए 7 सिलसिलेवार विस्फोट में 6 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 83 लोग घायल हुये थे। भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार श्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा को लेकर 23 अक्तूबर को गुप्चतर विभाग ने पहले ही बिहार सरकार को आतंकी हमले की सूचना दी थी। उसके बाद भी राज्य सरकार ने कोई गंभीरता नहीं दिखायी। यही नहीं केन्द्र व राज्य सरकार एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ कर अपनी जवाबदेही से बच रहे हैं। ह्पाञ्चजन्यह्ण ने 27 अक्तूबर वाले अंक में ही श्री मोदी की रैली में आतंकी हमला होने की आशंका भी जतायी थी।
जेड प्लस सुरक्षा होने के बावजूद रैली से पूर्व मंच के आसपास मैदान में सघन जांच तक नहीं की गई और मेटल डिटेक्टर और जैमर तक नहीं थे। वीवीआईपी रूट से पूर्व कड़ी चौकसी में भी ढील बरती गई। मंच के आसपास आम लोगों की बिना जांच के आवाजाही थी और मैदान में आयोजित रैली से पूर्व सुरक्षा का अभ्यास भी नहीं किया गया। बिहार सरकार ने गुजरात टीम के साथ सुरक्षा व्यवस्था को लेकर तालमेल नहीं किया था। यहां तक की सुरक्षा के लिहाज से श्री मोदी को बुलेटप्रूफ गाड़ी के लिए गुजरात से एसयूवी गाड़ी भेजनी पड़ी। यही नहीं गुजरात के पुलिस महानिदेशक ने स्वयं बिहार के पुलिस महानिदेशक को तीन पेज का फैक्स कर फोन पर रैली में आतंकी हमले की आशंका व्यक्त कर दी थी। 23 अक्तूबर को स्पष्ट अलर्ट भी भेजा गया था। रैली से पूर्व गुजरात पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा अन्य अधिकारियों सहित पटना गए थे। बिहार पुलिस ने सुरक्षा रिपोर्ट की स्वीकृति से भी मना कर दिया था।
वहीं बिहार के पुलिस महानिदेशक अभ्यानंद का दावा था कि आईबी की ओर से दी गई सूचना स्पष्ट नहीं थी। विस्फोट के दो दिन बाद मंगलवार को पांच जिंदा मिलने के बाद से साफ है कि आतंकियों ने रैली और श्री मोदी पर आतंकी हमला करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रखी थी। यदि उन बमों में टाइमर फिक्स होता तो न जानें कितने निर्दोष लोग मारे जाते। बिहार के मुख्यमंत्री चाहे सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता होने का दम भर रहे हों, लेकिन स्थानीय प्रशासन ने रैली को लेकर कोई सतर्कता नहीं दिखाई थी। एक दिन पहले शनिवार को गांधी मैदान में एक लावारिस बैग मिला था, लेकिन प्रशासन ने उसे हल्के में लिया। इसके अलावा धमाकों में घायल लोगों को पीएमसीएच में जमीन पर लिटाया गया था। अगर इलाज में तेजी दिखाई गई होती तो दो युवकों की जान बचाई जा सकती थी, जिन्होंने अस्पताल में पहुंचने के बाद दम तोड़ा।
दिल्ली से संदिग्ध पकड़ा
एनआईए ने गुरुवार को दिल्ली से एक संदिग्ध मुजफ्फरपुर के अहियापुर थाना क्षेत्र में रहने वाले मोहम्मद आफताब को गिरफ्तार किया है। वह पत्नी को छोड़ने के लिए हवाई अड्डे आया था। इन धमाकों के सिलसिले में 30 अक्तूबर को उजैर अहमद को गिरफ्तार किया था। उस पर आतंकी हमले के लिए आर्थिक मदद करने का आरोप है। आफताब उसका रिश्तेदार है जिसके घर से छापेमारी में लैपटॉप, पैन ड्राइव, सीडी, पेजर व मजहब की किताबें मिली हैं। पटना विस्फोट मामले में इम्तियाज, तौफिक, उजैर, मेहर ए आलम और अरशद गिरफ्तार हो चुके हैं, इसके अलावा करीब एक दर्जन संदिग्ध हिरासत में हैं। एक अन्य संदिग्ध तारिक उर्फ एनुल अंसारी की गुरुवार देर रात अस्पताल में मौत हो गई। वह पटना रेलवे स्टेशन पर विस्फोट में घायल हुआ था और उसका शव लेने का खबर लिखे जाने तक किसी ने दावा भी नहीं किया है। पुलिस व एनआईए शुरुआती दिन से मानकर चल रही थी कि बम लगाते समय ही वह विस्फोट का शिकार हुआ था। इम्तियाज ने सुरक्षा एजेंसी को खुलासा किया है कि उनकी तीन टीमें थी जिसमें 12 से 18 सदस्य शामिल हैं। उजैर ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को पूछताछ में बताया है कि आतंकियों को विस्फोट के लिए पाकिस्तान और खाड़ी देशों से रुपया मिलता है। पाकिस्तान से मिली रकम से ही पटना में विस्फोट किए गए थे।
फरार मेहर ए आलम गिरफ्तार
सुरक्षा एजेंसियों की चूक का एक और उदाहरण मेहर ए आलम के फरार होने से सामने आ गया है। मेहर को पटना सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड तहसीन अख्तर का करीबी माना जाता है। उसे बुधवार को ही एनआईए की टीम ने दरभंगा से गिरफ्तार किया था। पुलिस उन ठिकानों पर उसे लेकर जा रही थी, जहां पर सीरियल ब्लास्ट के मुख्य आरोपी तहसीन और हैदर के छिपे होने की आशंका थी। बुधवार रात को आलम को मुजफ्फरपुर के होटल में रखा गया था। इस दौरान वहां एनआईए और बिहार पुलिस की टीम भी मौजूद थीं, लेकिन वह शौचालय जाने के बहाने सुरक्षा एजेंसियों को को चकमा देकर भाग गया। उसे काफी मशक्कत के बाद कानपुर से गिरफ्तार कर लिया गया। मेहर ए आलम को विस्फोट के सरगना तहसीन अंसारी का खास माना जाता है। एक माह पूर्व मुंबई में इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी अफजल उस्मानी फरार हो गया था जिसे 28 अक्तूबर को मुंबई एटीएस ने भोपाल से गिरफ्तार कर लिया।
सीडी दिखाकर उकसाया था युवाओं को इम्तियाज इंडियन मुजाहिदीन से दो वर्षों से जुड़ा है और उसने खुलासा किया वह इस्लाम की शिक्षा का प्रचार करने के नाम पर घर से कभी सप्ताह तो कभी 15 दिनों के लिए गायब रहता था। इस दौरान उनका उद्देश्य सिर्फ नये युवकों को जिहाद के नाम पर भड़काकर इस्तेमाल करना होता था। इसके लिए खास सीडी दिखाई जाती थी जिससे नये युवा आसानी से दहशत फैलाने को तैयार हो जाते थे। पूछताछ में खुलासा हो चुका है कि छात्रावास में रह रहे कुछ छात्रों को 10-10 हजार रुपये देकर गांधी मैदान में बम लगाने का काम दिया गया था।
चाचा तकी अख्तर जदयू के नेता
देश को लगातार धमाकों से दहला रहे आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन का नया चेहरा बनकर उभरा तहसीन अख्तर उर्फ मोनू जदयू नेता तकी का भतीजा है। हालांकि तकी ने पटना सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड तहसीन से अब अपना कोई संबंध नहीं होने का दावा किया है। जदयू के समस्तीपुर जिला महासचिव तकी ने कहा कि जनवरी, 2011 में मनियारी गांव स्थित उनकी पैतृक संपत्ति का बंटवारा हो गया था। तभी से उनका तहसीन के परिवार से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने बिहार मीडिया के समक्ष कहा कि तहसीन को उसके किए की कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
टिप्पणियाँ