संतों की बैठक में पारित तीन प्रस्ताव
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महाशय चुन्नीलाल सरस्वती बाल मंदिर में केन्द्रीय एवं प्रान्तीय मार्गदर्शक मंडल विश्व हिन्दू परिषद् के दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर तीन प्रमुख प्रस्ताव पारित किए गए और राम विद्रोही सरकार की कड़ी निंदा की गई।
पूज्य डा. रामेश्वर दास जी श्री वैष्णव (ऋषिकेश) ने उत्तर प्रदेश में सत्ता में बैठी समाजवादी पार्टी की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार रामकाज विरोधी, संत विरोधी और जिहादियों का तुष्टीकरण करने वाली सरकार है। यह सरकार हिन्दुओं के मौलिक अधिकारों को कुचलने वाली और संविधान विरोधी है, जिसकी पूरा संत समाज घोर निंदा करता है। इस मौके पर तीन प्रस्ताव रखे गये। पहले प्रस्ताव में प्रस्तावक पूज्य स्वामी हरिओमशरण महाराज ने कहा कि राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने भारत के हिन्दू विरोधी, वामपंथी, मुस्लिम एवं ईसाइयों के साथ विचार-विमर्श कर जिस विधेयक का निर्माण किया है, वह साम्प्रदायिक एवं लक्षित हिंसा (रोकथाम) विधयेक-2011 है। यह विधेयक अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को हिन्दू समाज से अलग कर हिन्दुओं को तोड़ने का सोचा समझा षड्यंत्र है। अल्पसंख्यकों के अपराध पर यह कानून लागू नहीं होता है। संत समाज ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस विधेयक को संसद में पारित करने का प्रयास किया गया तो भारत के देशभक्तों का आक्रोश उमड़ पड़ेगा और साम्प्रदायिक मनोवृत्ति को समाप्त करने पर ही शांत होगा।
दूसरा प्रस्ताव मान बिंदुआंे की रक्षा का रखा गया। कैलाश पीठाधीश्वर पूज्य स्वामी दिव्यानंद जी महाराज (ऋषिकेश) ने कहा कि सत्ता की नीतियां हिन्दुओं के मूल्यों और मान बिंदुओं को विभाजित करने वाली हैं। हिन्दू समाज के अनेक मान बिंदु हैं, इनमें गो माता, गंगा माता, हमारे मठ-मंदिर व मूर्तियां हैं। हमारे पवित्र ग्रंथ, भारत माता, मातृृ-शक्ति समाज के मान बिंदु हैं। इन सभी के प्रति श्रद्धा-भक्ति, निष्ठा निर्माण के स्थान पर सत्ताधारियों ने इन्हें नष्ट करने की नीति बनाई है। उन्हांेने कहा कि संत समाज केन्द्र सरकार से मांग करता है कि विदेशी तत्वों द्वारा हिन्दुओं का छल, बल और लालच से जो मतान्तरण चल रहा है उसे रोकने हेतु केन्द्रीय मतान्तरण विरोधी कानून बनाकर देश-धर्म की रक्षा करें। सरकार से अपेक्षा की जाती है कि इसे समाप्त करने हेतु कठोर कार्रवाही करें। तीसरा प्रस्ताव ह्यआध्यात्मिक राष्ट्रवाद के नये युग का आरम्भह्ण पर रखा गया। इस पर रेवासा पीठाधीश्वर पूज्य राघवाचार्य महाराज ने कहा कि आज समय की मांग है कि भारत में पुन: राष्ट्रधर्म का उदय हो। भ्रष्टाचार, कदाचार करने वाली सत्ता को उखाड़कर देश में भारतीय आध्यात्मिक राष्ट्रवाद की स्थापना की जाए, सेकुलरवाद के नारे लगाने वालों को सत्ता से हटाकर
राष्ट्रवादियों को सत्ता सौंपी जाये। प्रतिनिधि
गांव से निकलेगा देश के विकास का मार्ग: संत सीताराम
देश को अगर विकास के मार्ग पर ले जाना है, और भारत को अगर फिर विश्वगुरु के पद पर आसीन करना है तो ग्रामीण विकास पर जोर देना होगा। इसके लिए जन, जीव, जंगल, जमीन, जल और संस्कृति की रक्षा करनी होगी। यह कहना था संत सीताराम का। गत दिनों उनकी भारत परिक्रमा पदयात्रा ने गांव कंदूखेड़ा से पंजाब में प्रवेश किया। वे वहां आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि 9 अगस्त 2012 को कन्याकुमारी से आरंभ हुई भारत परिक्रमा पदयात्रा आठ राज्यों का दौरा करने के बाद पंजाब की सीमा में प्रवेश कर गई और यहां 44 दिनों की यात्रा करने के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए रवाना हो जाएगी। हरियाणा के सीमावर्ती गांव जोतांवाली में श्री कृष्ण कुमार का के निवास स्थान से आरंभ हुई पदयात्रा के कंदूखेड़ा पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया।
गांव में श्री हनुमान मंदिर के बाहर हरियाणा में यात्रा संयोजक श्री विवेकानंद ने पंजाब संयोजक श्री विजयानंद को यात्रा का ध्वज सुपुर्द किया। अपने संबोधन में संत श्री सीताराम ने कहा कि अंग्रेजों के आने से पहले भारतीय गांव अपने आप में स्वतंत्र इकाई थे, लोगों की सभी आवश्यकताएं गांव में ही पूरी होती थीं इसीलिए न तो गांव से जन का और न ही धन का पलायन होता था। लेकिन अंग्रेजों ने हमारी ग्राम आधारित सामाजिक व्यवस्था को ध्वस्त करने का प्रयास किया। आज गांवों से नगरों की ओर हो रहा पलायन, नगरों में बढ़ रही बेतहाशा आबादी, इस आबादी के चलते पैदा हो रही समस्याएं इसी पलायन का परिणाम हैं। हमें अगर भारत को पुन: उन्नत करना है तो गांवों को मजबूत करना होगा। इस अवसर पर गांव तरमाला के सरपंच विक्रम कुमार विक्की, अकाली दल बादल के नेता हरिंद्र सिंह तरमाला, यात्रा के फिरोजपुर विभाग के प्रमुख इंद्रजीत भादू, भाजपा के जिला अध्यक्ष श्री सीताराम शर्मा, हरियाणा के प्रचारक प्रमुख कश्मीरी लाल, हिसार के विभाग प्रचारक डा. सुरिंद्र कुमार, हरियाणा आरोग्य भारती के संयोजक डा. भीमसैन सहित भारी संख्या में ग्रामवासी मौजूद थे। संत सीताराम ने गांव के स्कूल में बच्चों को संबोधित किया और वहां वृक्षारोपण कर विद्यार्थियों को वन एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। संत सीताराम प्रतिदिन 10 किलोमीटर की यात्रा करते हैं और पांच वर्षों में यह यात्रा पंद्रह हजार किलोमीटर का सफर तय करेगी। प्रतिनिधि
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