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पाक द्वारा लगातार की जा रही इस गोलीबारी से सीमा पर रहने वाले लोगों में दहशत फैल गई है और वे पलायन को मजबूर हो रहे हैं। एक ओर सुरक्षित ठिकानों की ओर जाना पड़ रहा है तो दूसरी ओर खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो रही हैं।
तारबंदी के उस पार फसल काटना तो दूर की बात है किसान सीमा के पास वाले खेतों तक जाने से भी डर रहे हैं। इन क्षेत्रों में हजारों बीघा धान की फसल तैयार है मगर उसे काटने के लिए कोई भी किसान उस ओर रुख करने को तैयार नहीं है। किसानों को डर इस बात का है कि पाकिस्तानी रेंजर्स कहीं अपनी भड़ास निकालने के लिए किसानों पर गोलियां न बरसा दें। पिछले 5-7 दिनों से सीमा पार से हो रही ताबड़तोड़ गोलाबारी के डर से परगवाल व सांबा सेक्टर के सुचेतगढ़ क्षेत्र से ग्रामीणों का पलायन शुरू हो गया है। इन क्षेत्रों से लगभग 400 के करीब लोग अपने घर खाली कर सुरक्षित जगहों पर आ गए हैं। सीमा पर यदि ऐसे ही हालत रहे तो परगवाल, आऱएस़पुरा, रामगढ़, साम्बा व हीरानगर और पुंछ के सेक्टरों से भी पलायन शुरू हो सकता है।
इन सीमावर्ती सेक्टरों के कई ऐसे गांव हैं जो अंतरराष्ट्रीय सीमा के बिल्कुल करीब हैं, बल्कि जीरो प्वाइंट से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। 1947, 1965, 1971, कारगिल युद्घों के अलावा भी समय समय पर सीमा पर बनने वाले युद्घ के हालातों में यह लोग विस्थापन का दर्द झेलते आ रहे हैं। इन लोगों के चलते ही सीमा सुरक्षा बल के हौंसले बुलंद रहते हैं क्योंकि यह देशभक्त लोग उनकी हर तरह से मदद करने को हर समय तत्पर रहते हैं। इन्हीं लोगों की वजह से घुसपैठ पर भी रोक लगती है और सीमा की सुरक्षा में लगे सुरक्षाबलों के हौंसले भी बुलंद रहते हैं।
साम्बा व हीरानगर सैक्टर में हजारों बीघा भूमि भारत द्वारा की गई तारबंदी के आगे चली गई है जो पिछले 20 वषोंर् से विरान पड़ी हुई है। बंजर हो गई इस जमीन का न तो किसानों को कोई मुआवजा मिला है और न ही इस जमीन पर वह खेती ही कर सकते हैं। तमाम असुविधाओं के बीच सीमा पर प्रहरी की तरह जीवन व्यतीत कर रहे इन लोगों की पिछले 67 वषोंर् से अनदेखी हो रही है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सुविधाएं नाममात्र की होने से इन लोगों का रूझान भी धीरे-धीरे शहरों की ओर हुआ है। भारत सरकार को चाहिए कि सीमा पर रहने वाले इन लोगों के बच्चों के लिए उन्हीं क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ-साथ शिक्षा व स्वास्थ्य सहित अन्य सुविधाएं मुहैया करवाए ताकि इन क्षेत्रों से धीरे-धीरे हो रहे पलायन को रोका जा सके। बलवान सिंह
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