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दंगाइयों को बचाने तथा हिन्दुओं के खिलाफ इकतरफा कार्रवाइयों पर न्यायालय सख्त
समाजवादी पार्टी सरकार में घबराहट का माहौल
सर्वोच्च न्यायालय ने मुजफ्फनगर तथा उत्तर प्रदेश में अन्य जगहों पर हुए दंगों के संदर्भ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और नगर विकास मंत्री आजम खां को तलब किया है। इससे उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में घबराहट फैली हुई है। उसे आशंका हो चली है कि दंगों की जांच उसके हाथ से निकल जाएगी, मुलायम सिंह के मित्र, पूर्व जज विष्णु सहाय का जांच आयोग भंग अथवा परिवर्धित कर दिया जाएगा, यही नहीं, मुख्यमंत्री तथा आजम खां जांच के घेरे में फंस जाएंगे।
मुजफ्फरनगर और शामली में वास्तविक दंगाइयों को बचाने और हिन्दू युवकों के खिलाफ फर्जी नामजदगी सहित तमाम एकतरफा कार्रवाइयों को लेकर जनरोष की परिणति इलाहाबाद उच्च न्यायालय तथा उसकी लखनऊ बेंच में दाखिल कई जनयाचिकाओं के रूप में हुई थी। इन याचिकाओं को उच्च न्यायालय ने अपने यहां स्थानान्तरित कर लिया है। उच्चतम न्यायालय में पहले से लंबित एतद्विषयक याचिकाओं के साथ ही इनकी सुनवाई भी होगी। सर्वाधिक महत्वपूर्ण याचिका सामाजिक कार्यकर्ता डा. नेतन ठाकुर की थी, जो उन्होंने लखनऊ पीठ में प्रस्तुत की थी। इसमें सर्वप्रथम तो दंगों की सीबीआई जांच की मांग की गई है, फिर ह्यआज तकह्ण चैनल के ह्यस्टिंग ऑपरेशनह्ण की निष्पक्ष जांच की मांग है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जल्दबाजी में नियुक्त एक सदस्यीय विष्णु सहाय आयोग को परिवर्धित कर उसमें उच्च न्यायालय के एक सेवारत जज को शामिल करने का अनुरोध है। नेतन ठाकुर ने सपा सरकार के कार्यकाल में हुए तमाम दंगों की भी सीबीआई जांच की मांग उठाई है। इस जनहित याचिका की सुनवाई अब सर्वोच्च न्यायालय में ही चलेगी।
हिन्दुओं के शस्त्र लाइसेंस निरस्त करने तथा जाति-विशेष के पुलिस अधिकारियों के तबादलों पर भी अदालती नोटिस
इस बीच मुजफ्फरनगर-शामली से जाति-विशेष (जाट समुदाय) के पुलिस अधिकारियों के पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थानान्तरण करने अथवा निलम्बन के आदेशों को इन अधिकारियों द्वारा अदालत में चुनौती दिए जाने के बाद उच्च न्यायालय ने आजम खां को नोटिस जारी किए हैं।
उक्त दोनों जिलों में हिन्दुओं के लगभग पौने दो हजार शस्त्र लाइसेंस निरस्त कर दिए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं के संदर्भ में भी उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।
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