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प्राय: लोगों को यह पता नहीं है कि रसोई घर एक औषधालय भी है। रसोईघर में तरह-तरह के मसाले होते हैं। इन मसालों को हम दवा के रूप में भी प्रयोग कर सकते हैं।
अजवाइन
पेट दर्द- यदि पेट दर्द की शिकायत हो तो ़1/2 चम्मच पिसी अजवाइन और 1/8 चम्मच काला नमक अथवा 5 ग्राम गुड़ मिलाकर गुनगुने पानी से लेने से आराम मिल जाता है।
शीत पित्ती : जो लोग पित्ती निकलने से परेशान हों वे 100 ग्राम पिसी अजवाइन, 150 ग्राम गुड़ की चासनी बनाकर कंचे के बारबर गोली बनाकर सुबह, दोपहर, सायं गर्म पानी से सेवन करें। 3-5 दिन में बिल्कुल आराम मिल जायेगा। गुदा में सरसों के तेल का फुहा रखें।
जुकाम में : यदि आप जुकाम से पीडि़त हैं तो आधा चम्मच अजवाइन, सात तुलसी के पत्ते, 2 काली मिर्च, 2 ग्राम अदरक, एक लौंग, एक ग्राम दाल चीनी की लकड़ी, एक डली गुड़, 2 ग्राम काला नमक कूट पीसकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम खाली पेट पियें।
पेट के कीड़े : 50 ग्राम अजवाइन पीस कर रख लें। छोटे बच्चों को आधा चम्मच, बड़े बच्चो को एक चम्मच अजवाइन चूर्ण और एक डली गुड़ मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी से पांच से सात दिन खिलाने से पेट के सभी प्रकार के कीड़े मर जायेंगे।
जीरा
यदि किसी बच्चे की मां को कम दूध उतरता हो, किसी को कम मूत्र आये या मूत्र रुक जाये या किसी को बवासीर हो तो जीरा पीसकर रख लें। एक चम्मच जीरा और एक चम्मच पिसी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम श्ीतल जल से लें।
बुखार में : कच्चा जीरा पीसकर रख लें। आधा चम्मच जीरा और गुड़ दिन में तीन बार ताजे पानी से लेने से साधारण बुखार ठीक हो जाता है। यदि सफेद जीरा प्रयोग करें तो अधिक लाभ होगा।
पुरानी पेचिस, पेट दर्द, अफारा: इन तीनों विकारों में एक चम्मच पिसा जीरा तथा एक चम्मच शुद्ध देशी शहद में मिलाकर दिन में तीन-चार बार चाटें। यह प्रयोग आवश्यकतानुसार अथवा एक सप्ताह करें।
धनिया
मूत्रदाह, अनिद्रा में : यदि किसी को मूत्र नली में जलन हो या मूत्र विसर्जन के बाद जलन हो या किसी को रात्रि में नींद न आती हो तो दोनों बातों में धनिया साबुत कूट कर रात्रि में कांच के गिलास में एक चम्मच डालकर रख दें। प्रात: खाली पेट मिश्री डालकर शीतल जल करके पियें ऐसा सुबह-शाम 5-7 दिन करें, पूर्ण आराम मिलेगा।
अधिक मासिक स्राव: जिन महिलाओं को अधिक मासिक स्राव होता हो तो साबुत धनिया पीसकर छानकर रख लें। एक चम्मच धनिया चूर्ण, एक चम्मच मिश्री चावल के धोवन पानी से दिन में तीन बार लेने से काफी आराम मिलेगा।
चेचक के ताप में, शरीर की गर्मी, हाथ पैरों में जलन में: चेचक की गर्मी शान्त करने के लिए या पैरों में जलन रहती हो तो एक चम्मच पिसी धनिया, एक चम्मच पिसा जीरा रात्रि में एक मिट्टी के बर्तन में एक गिलास जल में भिगो दें। प्रात: मिश्री मिलाकर ठण्डा-ठण्डा पानी में छानकर पी लें। यह प्रयोग चेचक के मुरझाने के बाद करें।
हल्दी
चोट लगने पर : यदि शरीर के किसी अंग में चोट लग गयी हो या घाव हो गया हो तो हल्दी पीसकर पानी में घोलकर गर्म करके लगाने से चोट का दर्द ठीक होता है। घाव में लेप लगाने से घाव जल्दी भरता है।
खांसी में: हल्दी की गांठ को रेत में भून लें तथा पीसकर रख लें। आधी चम्मच हल्दी चूर्ण एक चम्मच शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खांसी में लाभ होता है।
चेहरे की सुन्दरता में: चेहरे को सुन्दर बनाने के लिये आधा चम्मच हल्दी चूर्ण, दो चम्मच बेसन, सरसों का तेल मिलाकर, गुलाब जल से गूंदकर चेहरे में उबटन करने से चेहरे में निखार आता है।
काली मिर्च
खांसी, बलगम : यदि खांसी शुरू हो गयी हो तो दो काली मिर्च, 5 पत्ते तुलसी और एक टुकड़ा अदरक को पीसकर शहद मिलाकर दिन में तीन बार चाटें।
भूख न लगना: काली मिर्च, जीरा, सोंठ, पीपल तथा काला नमक 20-20 ग्राम लाकर पीसकर, छानकर रख लें। बस हर भोजन के बाद ढाई ग्राम चूर्ण आधा कप गुनगुने पानी से एक-दो सप्ताह लें।
नेत्र ज्योति: काली मिर्च 10 ग्राम, 100 बादाम गिरि, 100 ग्राम खसखस, 150 ग्राम मिश्री, 50 ग्राम छोटी खाने वाली सौंफ सब पीसकर, 50 ग्राम देशी गाय का शुद्ध घी मिलाकर मिश्रण बना लें। बस सुबह शाम दूध से एक चम्मच दवा लें। शीतकाल में गर्म दूध से, ग्रीष्मकाल में हलके गुनगुने दूध से ले सकते हैं। यह प्रयोग तीन माह कर सकते हैं।
आवाज में सुरीलापन: सुरीली आवाज करने के लिए आप 20 ग्राम काली मिर्च, 20 ग्राम अच्छी मुलैहटी, 50 ग्राम शुद्ध मिश्री पीसकर रख लें। सुबह शाम चौथाई चम्मच चूर्ण, एक चम्मच शुद्ध देशी शहद में मिलाकर चाटें। ल्ल डॉ. भारत सिंह 'भरत'
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