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हिन्दी भाषी राज्यों के न्यायालयों में हिन्दी भाषा में भी काम-काज हो यह मांग वषोंर् से हो रही है,किन्तु इस मांग पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। सर्वोच्च न्यायालय तो हिन्दी को चीमटा से भी नहीं छूना चाहता है। इस स्थिति में दिल्ली के कड़कड़डूमा न्यायालय के एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए एस जयचंद्रा ने हिन्दी में निर्णय देकर एक इतिहास रच दिया है। उल्लेखनीय है कि ये न्यायाधीश महोदय स्वयं दक्षिण भारतीय यानी गैर-हिन्दी भाषी हैं। 9 सितम्बर को उन्होंने विवाह विच्छेद के एक मामले का निपटारा करते हुए कहा कि वादी और प्रतिवादी दोनों हिन्दी भाषी हैं और दिल्ली की स्थानीय भाषा हिन्दी है इसलिए यह निर्णय हिन्दी भाषा में लिखा जाए। उनका यह भी कहना था कि इससे दोनों पक्षों को निर्णय समझने में कोई परेशानी नहीं होगी और इससे न्यायालयों में हिन्दी को बढ़ावा भी मिलेगा। हालांकि उन्होंने पहले एक आदेश पत्र अंग्रेजी में तैयार किया और फिर स्वयं उसका हिन्दी में अनुवाद किया। इसके बाद उन्होंने न्यायालय के एक वरिष्ठ कर्मी से कहा कि यह निर्णय शुद्घ हिन्दी में लिखें। उन्होंने विशेष रूप से यह भी कहा कि इसमें उर्दू शब्दों का प्रयोग न करें। जब हिन्दी में वह निर्णय तैयार हो गया तो उसका निरीक्षण उन्होंने स्वयं किया और फिर उस पर हस्ताक्षर किए।
हिन्दी पखवाड़े के समय दिए गए इस निर्णय से हिन्दी समर्थकों के बीच उत्साह का संचार हुआ है,वहीं हिन्दी के लिए संघर्ष करने वाले संगठनों ने न्यायमूर्ति जयचंद्रा के प्रति आभार प्रकट किया है। दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष महेश चन्द्र शर्मा ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर न्यायमूर्ति जयचंद्रा को हार्दिक बधाई दी है। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली के अन्य न्यायालयों से अनुरोध किया है कि वे भी अधिक से अधिक निर्णय हिन्दी में दें। श्री शर्मा ने पाञ्चजन्य को यह भी बताया कि आज से पांच वर्ष पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय की एक न्यायाधीश न्यायमूर्ति रेखा शर्मा ने हिन्दी में बहस करने की अनुमति दी थी। इसके बाद ही दिल्ली के विभिन्न न्यायालयों में हिन्दी के लिए रास्ता खुला था। श्री शर्मा ने यह भी कहा कि हिन्दी को बढ़ावा देने वाले न्यायाधीशों और अन्य लोगों को सरकार या अन्य संगठन सम्मानित करें। उल्लेखनीय है कि दिल्ली हिन्दी साहित्य सम्मलेन हिन्दी को बढ़ावा देने के लिए 1944 से संघर्ष कर रहा है। इसके कई काम हैं। समय-समय पर कवि सम्मलेन करता है,हिन्दी से सम्बंधित लोगों को सम्मानित करता है,गोष्ठियों का आयोजन
करता है।
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