उपराष्ट्रपति ने किया जनजातीय समाज के उत्थान में वनवासी कल्याण केन्द्र का योगदान’³f
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वनवासी कल्याण केंद,्र झारखंड की त्रैमासिक पत्रिका श्रद्धा का 14 वां अंक वनयोगी (बालासाहब देशपाण्डे) जन्मशती विशेषांक के रूप में प्रकाशित किया गया है। गत 14 सितंबर को इस विशेषांक का लोकार्पण बरियातु में किया गया।
इस अवसर पर वनवासी कल्याण केन्द्र के कार्यकर्ता, केन्द्र से जुड़े अन्य लोग, रा.स्व.संघ के प्रान्तीय एवं महानगर पदाधिकारी के और रांची शहर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम के राष्टÑीय संगठन मंत्री श्री सोमयाजुल ने बाला साहब देशपाण्डे के जीवन के कई अनछुए पहलुओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि वे बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। अनीति के खिलाफ लड़ते थे। नौकरी न करने के निश्चय से नौकरी से त्यागपत्र देना उनके उच्च चरित्र को दिखलाता है।
श्री गुरुजी के सुझाव पर उनका जशपुर आकर समाजसेवी संगठन शुरू करना और वर्षभर में 100 विद्यालयों की स्थापना करना उनकी क्षमता का उदाहरण है।
स्मारिका के मुख्य संपादक डा. प्रदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि वनवासियों को भारत स्वतंत्र होने के बारे में कोई ज्ञान नहीं था। यह काम कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं ने किया। वनवासी कल्याण आश्रम ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्वावलंबन के क्षेत्र में कार्य कर उनमें अपनी संस्कृति, धर्म, संस्कार की रक्षा कर अपने ‘मान-सम्मान और स्वाभिमान की वृद्घि करना सिखाया’ जिसका परिणाम घर वापसी के रूप में परिलक्षित हो रहा है।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वनवासी कल्याण केन्द्र, झारखण्ड प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष डा. एचपी नारायण ने भैयाजी जोशी के साथ के अपने पुराने संस्मरणों के बारे में बताया। एक घटना का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि महारानी विक्टोरिया की ताजपोशी के अवसर पर स्कूलों में मिठाई बांटते समय एक बालक ने दांत पीसते हुए कहा कि यह हमारी महारानी नहीं हो सकती। हम मिठाई नहीं खाएंगे। वह बालक कोई और नहीं बल्कि आद्य सरसंघचालक डा. हेडगेवार थे।
प्रदेश अध्यक्ष श्री जेठा नाग ने कहा कि भारत का उदय वनों से, गावों से, खेत खलिहानों से, गरीबों की झोंपड़ियों से संभव है।
समारोह के मुख्य अतिथि रा.स्व.संघ के सरकार्यवाह श्री भैयाजी जोशी ने कहा कि उत्तर पूर्व के क्षेत्रों में लंबे समय तक जनजातीय और गैर जनजातीय समाज के बीच संघर्ष रहा, लेकिन आज ऐसा यहां नहीं दिखाई देता तो इसका एक मात्र का इस क्षेत्र लोगों की मानसिकता का बदलना है। जनजातीय समाज के उत्थान में वनवासी कल्याण केन्द्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
हामिद अंसारी ने कहा -स्वामी जी ने लोगों को सेवा के लिए प्रेरित किया
विवेकानंद धार्मिक विशिष्टता व सर्वोच्चता के तमाम दावों से ऊपर थे
भारत के उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद का दर्शन, वेदों को लेकर उनका ज्ञान व उनकी समाज सेवा को कभी भुलाया नहीं जा सकता। स्वामी जी ने रामकृष्ण मिशन की शुरुआत कर लोगों को सेवा के लिए प्रेरित किया। सेवा का यह भाव सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा बना। उनका उद्देश्य समाज में व्याप्त करना कुप्रथाओं को दूर कर लोगों को एकजुट करना था।
श्री अंसारी गत दिनों उन्होंने तिरुअन्तपुरम में स्वामी विवेकानंद की कांस्य प्रतिमा का अनावरण करने गए थे। वहीं अपने वक्तव्य में उन्होेंने उक्त बातें कहीं। श्री अंसारी ने कहा कि स्वामी विवेकांनद ने हिंदू जीवन मूल्यों को जन जन तक पहुंचाया। उनका उद्देश्य हालांकि समाजिक में जो चल रहा था उसको सही ठहराना नहीं था, बल्कि उनको बदलना था और उसे एक तार्किक परिणति तक ले जाना था। वे धर्मप्राण व्यक्ति थे और धार्मिक विशिष्टता व सर्वोच्चता के तमाम दावों से ऊपर थे। स्वामी जी कहते थे कि यदि एक पंथ सही है तो दूसरे पंथ भी सही ही होने चाहिए। सभी पंथों के सार में सौहार्द है। इस भाव का प्रचार-प्रसार करने की इसी प्रतिबद्धता ने स्वामी विवेकानंद को ऊर्जा प्रदान की थी।
‘कांग्रेस से मुक्त हो तो पटरी पर आएगा देश’
भरतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य श्री शान्ता कुमार के 80 वें जन्म दिवस पर चौधरी सरवण कुमार कृषि विश्वविद्यालय,पालमपुर के सभागार में गत 12 सितम्बर को श्री शान्ता कुमार के व्यक्तित्व व कृतित्व पर आधारित पुस्तक ‘एक संवेदनशील राजनेता’ का स्वामी रामदेव ने लोकार्पण किया। इस अवसर पर श्री शान्ता कुमार की धर्मपत्नी की पुस्तक ‘टीणी पीणी चीणी’ का भी लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में स्वामी रामदेव ने देश में राजनीति के गिरते स्तर पर चिन्ता व्यक्त करते हुएं कहा कि देश में भ्रष्टाचार की जननी कांग्रेस है, जब तक कांगे्रस की समाप्ति नही हो जाती है तब तक यह देश पटरी पर नही आ सकता है। इस अवसर पर पालमपुर के अनेक समाजसेवी व नागरिक उपस्थित थे।
विद्यासागर के जन्मदिवस पर गलत शैक्षिक नीतियों के विरुद्ध अभाविप की रैली
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