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सप्ताह का साक्षात्कार
दिल्ली से दूर, दुर्गम इलाकों में नक्सली जाल और विकास की गुत्थियां सुलझाते छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह को आमतौर पर उनकी सौम्य छवि के लिए ही जाना जाता है। मुख्यमंत्री कार्यालय में आगंतुकों का स्वागत करती 'आप मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं' की पट्टी उनकी अलग कार्यशैली और विनम्रता का भी संकेत करती है। विधानसभा चुनाव से पूर्व राज्य भर में भाजपा की विकास यात्रा के अनुभवों, प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी की ओर से नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी की घोषणा और राज्य के विकास प्रारूप की थाह लेते हुए पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर की रमन सिंह से विस्तृत वार्ता हुई। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के प्रमुख अंश।
केंद्र सरकार, खासतौर से कांग्रेस का मानना है कि खाद्यान्न सुरक्षा योजना 2014 के आम चुनाव में तुरुप का पत्ता साबित होगी, आपको क्या लगता है?
देखिए, उनका 'गेम चेन्जर' उनकी सोच की सीमा को दिखाता है। सचाई यह है कि जनता की वास्तविक भलाई की ऐसी योजना में छत्तीसगढ़ जैसे राज्य, केद्र सरकार से कहीं आगे हैं। हम सिर्फ पेट भरने की बात नहीं कहते, हम इसे खाद्यान्न सुरक्षा नहीं बल्कि पोषण सुरक्षा से जोड़ते हैं। हमारे यहां इस योजना के तहत आयोडीन नमक नि:शुल्क है। लोगों को प्रोटीन मिले इस लिए चना और दालें दी जाती हैं।
हाल में आपने पूरे राज्य में विकास यात्रा पूरी की है। कैसा अनुभव रहा?
बहुत अच्छा। 30-40 हजार और कहीं-कहीं डेढ़ लाख लोगों तक की भीड़।देखिए, (अपने मोबाइल में जनसैलाब के दृश्य दिखाते हुए) यह जनता के प्यार का समुद्र देखने जैसा अनुभव रहा।
पार्टी ने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम की घोषणा की, आपका क्या कहना है?
जनता और कार्यकर्ताओं में इस घोषणा से भारी उत्साह है। पूरे देश में माहौल है। लोकसभा और विधानसभा चुनावों में इस पहल का असर देखने वाला होगा।
बड़ी वनवासी आबादी, दुर्गम इलाकों और रायपुर-नया रायपुर जैसे तेजी से बदलते-बढ़ते शहरी क्षेत्रों का मिला-जुला तानाबाना। राज्य के मुखिया के तौर पर इस चुनौती को आप कैसे लेते हैं?
दरअसल, राह चुनौतियों से लड़ते हुए ही बनती है। दंतेवाड़ा, सरगुजा और राजनादगांव में 60-60 एकड़ में हमने लाइवलीहुड कॉलेज शुरू किए हैं। आजीविका के लिए युवाओं के हुनर को निखारना, प्रशिक्षण देना यह काम हमने शुरू किया है। मेरा मानना है हुनरमंद आदमी हाथ नहीं पसारता, भटकता नहीं। सौ से ज्यादा रोजगार क्षेत्रों में छह माह तक का प्रशिक्षण और योग्यता प्रमाणपत्र यह कॉलेज देते हैं। यह ऐसी पहल है जिसका फायदा सभी 27 जिलों के लोगों को पहुंचेगा। यह सिर्फ पेट भरने की नहीं बल्कि लोगों को जिन्दगी के लिए तैयार करने की बात है। जनता को भविष्य का रास्ता दिखाने वाली इस योजना के लिए हमारी प्रतिबद्घता को इस बात से समझा जा सकता है कि हमने इसे कानूनी अधिकार की शक्ल दी है। किसी भी जिले में यदि 25 युवक आवेदन करते हैं तो रोजगार के लिए उन्हें प्रशिक्षित करना प्रशासन की बाध्यता है, कोई उन्हें मना नहीं कर सकता। दंतेवाड़ा मॉडल को तो प्रधानमंत्री ने पुरस्कृत भी किया है।
नक्सली क्षेत्रों पर कोई विशेष ध्यान?
ध्यान तो सभी का है और उपाय भी हर तरह के सोचने होते हैं। यहां के बच्चे-युवा देश और राज्य के बाकी लोगों की ही तरह अच्छी जिन्दगी के मौके पा सकें यह हमारी कोशिश है। वैसे, नक्सली क्षेत्रों में 'छू लो आसमान' योजना को काफी सराहना मिली है। वनवासी वच्चों के लिए शिक्षा के जरिए तरक्की की राह तैयार हो यह ऐसा अनूठा प्रयास है। आईआईटी, एनआईटी, पीएमटी और सीपीएमटी में आज इन इलाकों के बच्चे अपनी जगह बना रहे हैं। बस्तर, दंतेवाड़ा, बलरामपुर तीन जगहों पर 250, 250 बच्चे कुल 750 बच्चों को प्रशिक्षण मिल रहा है।
दिल्ली से दूर मगर राजनीति को करीब से देखते हुए आपको क्या लगता है, क्या केंद्रीय सत्ता की लड़ाई में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) पिछड़ गया है?
यूपीए के अगुआ की बात कीजिए। कांग्रेस डरी हुई है। कभी शिवराज बनाम मोदी तो कभी मोदी बनाम रमन सिंह के शिगूफे छोड़ने वाले अपने हिस्से की बहस से कतराते हैं। भाजपा स्पष्ट है, यहां चीजें साफ हैं। यह 'सबके लिए और सबकी' पार्टी है। जबकि वंशवादी राजनीति के पैरोकार, कांग्रेस के तथाकथित रणनीतिकार जनता को यह बताने में नाकाम रहे हैं कि प्रधानमंत्री पद के लिए उनका उम्मीदवार कौन होगा। लोगों को लगता है कि यह अनिर्णय और पर्देदारी की स्थिति उनके उम्मीदवार की अयोग्यता की वजह से भी हो सकती है।
और राज्य में क्या हाल है? विधानसभा की चुनावी लड़ाई के लिए आपकी क्या तैयारियां हैं?
लोगों में भाजपा के पक्ष में भारी उत्साह है, हमारी पार्टी कार्यकर्ता आधारित है। पार्टी के सभी बड़े नेता राज्य में आकर उत्साहवर्धन कर गए हैं। केंद्र में भ्रष्टाचार और महंगाई के रिकार्ड तोड़ने वाली कांग्रेस छत्तीसगढ़ में आपसी कलह में उलझी है। नेतृत्वविहीन मुख्य विपक्षी दल में आपस में वर्चस्व की लड़ाई छिड़ी है।
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