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आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मुसलमानों को रिझाने हेतु नए-नए हथकंडे अपनाने शुरू कर दिए हैं। हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने मदरसों के आधुनिकीकरण के नाम पर चालू वित्त वर्ष में 10 करोड़ रुपए देने की घोषणा की है। गत दिनों राज्य मंत्रिमंडल ने यह फैसला लिया था। फैसले को सही बताते हुए अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने कहा कि यह सच्चर समिति की सिफारिश पर अमल करने की दिशा में एक कदम है । उन्होंने कहा कि सच्चर समिति ने अपनी सिफारिश में कहा था कि मदरसों में मजहबी शिक्षा के अतिरिक्त सामान्य विषयों की शिक्षा देकर उन्हें मुख्यधारा में लाने का प्रयास करना चाहिए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी राज्य में तीन हजार मदरसे हैं, जिन्हें यह अनुदान दिया जायेगा। इसमें ढांचागत सुविधाओं के लिए दो लाख, पुस्तकालय आदि के लिए पचास हजार एवं 40 छात्रों पर एक शिक्षक की नियुक्ति हेतु यह अनुदान तय है। खान ने कहा कि अनुदान से नियुक्त शिक्षक मदरसे के बच्चों को गणित, अंग्रेजी, हिन्दी और विज्ञान की शिक्षा देंगे। उन्होंने कहा कि मदरसों को सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए कुछ शर्ते पूरी करनी होंगी। सरकार के इस फैसले को देखकर समाजवादी पार्टी को लगा कि कहीं इससे उसके मुस्लिम वोट इधर-उधर न हो जायें। इसलिए समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आजमी ने बयान दे डाला कि यह तो ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। भाजपा और शिवसेना ने सरकार के फैसले की जमकर आलोचना की है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष देवेन्द्र फडनवीस ने सरकार के इस कदम को मुस्लिम तुष्टीकरण की हद एवं पंथ निरपेक्षता के सिद्घांत के विपरीत बताया है।
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