|
दिल्ली विश्वविद्यालय देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है। यहां पढ़ना हर छात्र का सपना होता है। देश के कोने कोने से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी छात्र यहां पर शिक्षा लेने आते हैं। दिल्ली को छोड़कर दूसरे राज्यों से पढ़ने आने वाले छात्रों की संख्या दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग पचास फीसदी है। दूसरे राज्यों से यहां पढ़ने आने वाले छात्रों के लिए सबसे पहला लक्ष्य होता है कि उन्हें रहने का ठिकाना मिल जाए। विश्वविद्यालय के छात्रवासों में सीमित संख्या में सीटें होती हैं। ऐसे में छात्रों को विश्वविद्यालय के आसपास किराए पर रहना पड़ता है। उनका दूसरा लक्ष्य होता है कि कम खर्च में किस तरह कॉलेज आना जाना हो। हर छात्र चाहता है कि वह सुरक्षित तरीके से कम खर्च में कॉलेज जा सके और आ सके। दिल्ली में मेट्रो और डीटीसी बसें छात्रों के सफर करने का जरिया हैं, लेकिन उनके किराए मंहगे हैं, छात्रों की संख्या और कॉलेजों की दूरी को देखते हुए पर्याप्त संख्या में यू स्पेशल (यूनिवर्सिटी स्पेशल, ऐसी बसें जो छात्रों की सुविधा के लिए दिल्ली परिवहन विभाग की तरफ से चलाई जाती हैं) बसें चलाना संभव नहीं हैं।
सरकारी उदासीनता के चलते पिछले तीन दशक से खामोशी से रेंगती इस रेलसेवा की तरफ ध्यान देने की किसी ने जरूरत नहीं समझी।
दिल्ली परिक्रमा रेलसेवा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज के छात्रों को आकर्षित कर सकती है, कम किराए में छात्र आसानी से सुरक्षा से अपने कॉलेज पहुंच सकते हैं और वहां से अपने घर पहुंच सकते हैं। ऐसा अभी भी हो सकता है, बशर्ते की सरकार इस तरफ ध्यान दे।
गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में बिहार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तरी पूर्वी राज्यों से हजारों की संख्या में पढ़ने के लिए छात्र आते हैं। कैंपस में छात्रावास सभी को नहीं मिल पाता, ऐसे में उन्हें दूसरी जगह जाकर किराए पर रहना पड़ता है। दिल्ली की बस सेवा और मेट्रो के किराए काफी महंगे हैं। इसलिए छात्र यू स्पेशल का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करने की कोशिश करते हैं, लेकिन दिल्ली के हर मार्ग पर यू स्पेशल चलाना संभव नहीं हैं। दिल्ली परिक्रमा रेल सेवा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकती है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के लिए दिल्ली परिक्रमा रेलसेवा को एक बेहतर व सुरक्षित विकल्प बनाया जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर के कई कॉलेजों के लिए यह कमाल की ट्रेन साबित हो सकती है। धौलाकुंआ के आसपास कई कॉलेज हैं। विश्वविद्यालय का दक्षिणी परिसर भी वहां पर है। वहां रिंग रोड फ्लाइओवर से पीछे की तरफ सरदार पटेल नाम से एक स्टेशन भी है, लेकिन इस बारे में शायद ही दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी छात्र को पता हो, क्योंकि सरकार ने कभी छात्रों की सुविधा के लिए इस तरफ ध्यान देने की जरूरत नहीं समझी।
दिल्ली विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में पिछले तीस वर्षों से नौकरी कर रहे हरकेश शर्मा ने बताया कि रिंग रेल एक बेहतर विकल्प बन सकता है। स्टेशल कॉलेजों के काफी करीब हैं। ट्रेन की गति भी काफी अच्छी है। किराया बेहद मामूली है। दिल्ली की बसों और मेट्रो ट्रेन के मुकाबले काफी सस्ता। महज पांच रुपए में पूरी दिल्ली की परिक्रमा की जा सकती है। यदि सरकार इस ओर ध्यान देती तो ट्रेन के फेरे कॉलेज के छात्रों के मुताबिक किए जा सकते थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम, सनातन धर्म कॉलेज, श्री वेंकेटेश्वर, दक्षिणी परिसर, रामलाल आनंद और मोतीलाल नेहरू कॉलेजों के छात्रों के लिए सरदार पटेल स्टेशन बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। यदि सरकार इस ट्रेन की तरफ ध्यान दे तो छात्रों की समस्याओं का काफी हद तक समाधान हो जाएगा। छात्रों को न तो बसों में धक्के खाने पड़ेंगे और न ही सड़क पर जाम में फंसना पड़ेगा। दिल्ली विश्वविद्यालय के रामलाल आनंद कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र अनूप भाटिया का कहना है कि यदि सरकार इस तरफ ध्यान देती तो ट्रेन के जरिए कॉलेज पहुंचना छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प बन सकता था। यदि दो या तीन डब्बे भी यू स्पेशल की तर्ज पर रिजर्व कर छात्रों के लिए रखे जाते तो काफी हद तक उनका सफर सुरक्षित हो जाता।
विशेषताएं
किफायत के मामले में यह ट्रेन बेजोड़ है। रेल का किराया काफी कम है। महज छह रुपए में छात्र कॉलेज पहुंच सकते हैं।
मुद्रिका बस की तरह कदम-कदम पर ट्रेन नहीं रुकती है। इससे छात्रों को कॉलेज पहुंचने में आसानी हो सकती है। महज सवा घंटे में इस ट्रेन से 35 किलोमीटर का सफर तय किया जा सकता है।
अरावली पर्वतमाला के लाल चट्टानी उभारों के बीच संरक्षित वन क्षेत्र के दर्शन का ऐसा मौका दिल्ली में किसी और परिवहन में नहीं मिलता है।
बिजली से चलने वाली यह ट्रेन प्रदूषण भी नहीं फैलाती है। पर्यावरण जैसे गंभीर मुद्दे को लेकर जागरूक छात्र बिरादरी इसे बहुत ज्यादा पसंद करेगी।
खामियां
सरकार की उदासीनता और लचर रवैये की वजह से इस ट्रेन का संपर्क दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी परिसर से नहीं है। सरकार यदि चाहती तो इस रूट को नई दिल्ली मेट्रो के रूट से जोड़ सकती थी, लेकिन ऐसा किया नहीं गया
इस सेवा के तहत सरकार गिनी चुनी ट्रेन ही चलाती है। सुबह कॉलेज जाने वाले छात्रों और सांध्य कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों के समय के अनुसार ट्रेन के फेरे नहीं रखे गए हैं।
टिप्पणियाँ