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पुलिस-प्रशासन लचर, बेलगाम गो तस्कर, फरीदाबाद व गुड़गांव में हमला कर दो युवकों की हत्या की
पुलिस-प्रशासन पर तस्करों से साठ-गांठ का आरोप
प्रदेश में गो तस्करों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं और पुलिस प्रशासन मूक दर्शक साबित हो रहा है। तस्कर मनचाहे तरीके से बेखौफ होकर पशु तस्करी को अंजाम दे रहे हैं। हालत यह है कि अब सड़कों पर बेसहारा हुई गोमाता ही निशाना नहीं रही है, वे डेयरी व गोशालाओं मे से भी जबरन गायों को निकालकर अपने मंसूबे पूरे कर रहे हैं। तस्करों ने फरीदाबाद व गुड़गांव में अलग-अलग घटनाओं में युवकों को निशाना बनाया जिसमें एक डेयरी कर्मचारी व एक गोसेवा दल के सदस्य युवक की मौत हो गई। प्रदेश में तस्करों द्वारा की गई निर्मम हत्या से गुस्साए लोगों ने सड़कों पर जाम लगाया और प्रदेश की हुड्डा सरकार के प्रति आक्रोश जताया। पहली घटना फरीदाबाद के सेक्टर 8 के गांव सींही में गत 23 अगस्त को हुई जब रात में तस्करों ने दूध की डेयरी से गायें चुराने का प्रयास किया और जब वहां उपस्थित मालिक व नौकरों ने उन्हें ललकारा तो तस्करों ने गोली चला दी, जिसमें नौजवान डेयरी कर्मचारी दिलीप की मौत हो गई, जबकि मौके पर मौजूद डेयरी मालिक महेंद्र दलाल बाल-बाल बचे। तस्करों ने 25 अगस्त को गुड़गांव के पटौदी मार्ग पर स्थित जमालपुर गांव के युवक को भी तस्करों ने तेज हथियार से हमला कर मौत के घाट उतार दिया। यहां गो तस्करों के आतंक के चलते ग्रामीण पहरे पर थे। देर रात को गायों सेभरे वाहन की खबर मिली कि तस्कर एक वाहन में पशु ले जा रहे हैं। जिस पर युवक विक्रांत और उसके साथी पटौदी मार्ग पर पुलिस नाके के नजदीक खड़े होकर उनकी प्रतीक्षा करने लगे। उन्होंने पास में ही तैनात पुलिसकर्मियों को भी चेताया और नाका मजबूत करने की मांग की। लेकिन तस्करों की गाड़ी पुलिस नाके को तोड़ते हुए निकल गयी और पुलिस कर्मी हाथ पर हाथ धरे देखते रह गये। लेकिन विक्रांत और उसके साथी ने मोटर साईिकल से वाहन का पीछा किया। तभी तस्करों ने तेजधार हथियार से वार किया जिसमें विक्रांत की मौत हो गई। ऐसे में पुलिस की लापरवाही और मिलीभगत साफ दिखाई दे रही है। पहले भी इस घिनौने धंधे में पुलिस की मिलीभगत होने की बात सामने आई है। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस अक्सर ऐसे वाहनों को आसानी से गुजरने देती है। जब गांववासी या गो सेवक तस्करी पर रोक लगाने की मांग करते हुए विरोध करते हैं तो पुलिस गो भक्तों व ग्रामीणों पर ही मामले दर्ज कर देती है और उन पर लाठियां भी भांजने लगती है। हुड्डा सरकार के कार्यकाल में पहले भी 700 से ज्यादा गो तस्करी के मामले दर्ज हुए हैं। करनाल, पानीपत, कुरुक्षेत्र के शाहबाद, इस्माईलाबाद, जींद के असंध, बरवाला, यमुनानगर में हर रोज पशु तस्करों के वाहन पकड़े जाते हैं।
सरकार के दावे खोखले साबित-प्रदेश में गो धन संरक्षण व गो तस्करी पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री हुड्डा द्वारा किए गए सभी वायदे खोखले साबित हुए हैं। उनके दूसरे कार्यकाल में भी न तो गोसेवा आयोग का गठन ही हो पाया है और न ही गोशालाओं में गोधन के चारे के लिए सहयोग राशि ही उपलब्ध हो पाई। यही नहीं गो संरक्षण के लिए कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया गया है। डा. गणेश दत्त वत्स
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