कैसे-कैसे रासायनिक हथियार
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कैसे-कैसे रासायनिक हथियार

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Aug 30, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 30 Aug 2013 15:58:15

सीरिया में रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है। मध्य पूर्व से लेकर एशिया महाद्वीप तक और अफ्रीका, अमरीका और यूरोप तक इस पर चिन्ताएं जतायी जाती रही हैं। बहस चल निकली है कि कैसे इन हथियारों को पूरी तरह समाप्त किया जाए। आखिरकार ये कौन से रसायन हैं जिनका हथियार के रूप में इस्तेमाल होता है?
रासायनिक हथियार गैस या तरल के रूप में हो सकते हैं। ये हथियार लोगों को जख्मी करने या उनकी जान लेने के लिए बनाए जाते हैं। माना जाता है कि सीरिया के पास कई तरह के रासायनिक हथियार हैं, जिनसे महाविनाश हो सकता है। ऐसे ही कुछ हथियारों पर नजर डालें तो उनमें सारिन, ताबुन, वीएक्स और मस्टर्ड गैस प्रमुख हैं। आइए, देखें इन हथियारों की बनावट और मारक क्षमता को।
सारिन
गेरहार्ड श्रेडर समेत कुछ जर्मन वैज्ञानिकों ने 1938 में सारिन तैयार किया था। इसे हानिकारक कीटों को मारने के लिए कीटनाशक के रूप में तैयार किया गया था। आज सारिन को सबसे खतरनाक तंत्रिका जहर (नर्व गैस) माना जाता है। रासायनिक रूप से यह दूसरे तंत्रिका जहर ताबुन और वीएक्स जैसा ही है। तरल रूप में यह गंधहीन और रंगहीन होता है। वाष्पशील होने के कारण यह आसानी से गैस में बदल जाता है। यह बेहद अस्थिर होता है इस वजह से यह जल्दी ही नुकसानरहित यौगिकों में बदल जाता है।
सारिन की एक छोटी सी मात्रा भी घातक हो सकती है। गैस मास्क और पूरे शरीर को ढंकने वाली पोशाक इससे बचा सकती है। यह आंखों और त्वचा के रास्ते भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह तंत्रिकाओं के आवेग लगातार भेजता रहता है जिसके कारण नाक और आंख से पानी गिरने लगता है, मांसपेशियों में ऐंठन आ जाती है और इन सबके बाद आखिर में मौत हो जाती है।
ताबुन
श्रेडर ने ही 1936 में ताबुन की खोज की थी। दूसरे विश्व युद्घ के दौरान बमों में रासायनिक हथियार भर दिए जाते थे। हालांकि इन बमों का इस्तेमाल कभी नहीं हुआ। तरल रूप में ताबुन फल जैसी खुशबू देता है, कुछ कुछ कड़वे बादाम की तरह। गैस त्वचा के संपर्क में आने पर या फिर सूंघने पर नाक के जरिए शरीर में चली जाती है। इसका असर और लक्षण सारिन जैसा ही है।
वीएक्स
सारिन की तरह वीएक्स को भी कीटनाशक के रूप में ही तैयार किया गया था। ब्रिटिश रसायनशास्त्रियों ने इसे तैयार किया और बहुत जल्द ही उन्हें पता चल गया कि खेती में इस्तेमाल करने के लिहाज से यह ज्यादा खतरनाक है। इसके घातक असर ने हालांकि उन्हें भविष्य के रासायनिक हथियार की आशंका से जरूर बाखबर कर दिया।
वीएक्स का असर और लक्षण तो सारिन और ताबुन की तरह ही होता है, लेकिन यह उनकी तुलना में ज्यादा स्थायी और कई गुना जहरीला होता है। स्थिरता के कारण वीएक्स त्वचा, कपड़ों और दूसरी चीजों से चिपक जाता है और लंबे समय तक वहां बना रहता है। इसकी खुद की आयु भी लंबी होती है यह कुछ कुछ तैलीय होता है।
मस्टर्ड गैस
पहले विश्व युद्घ में मस्टर्ड गैस का पहली बार इस्तेमाल हुआ था। हालांकि युद्घ से बहुत पहले ही इसके साथ प्रयोग किए गए थे। जर्मन रसायनशास्त्री विलहेम लोमेल और विलहेम स्टाइंकोपिन ने 1916 में हथियार के रूप में इसके इस्तेमाल की सलाह दी थी। रासायनिक हथियार के रूप में इस्तेमाल होने वाली दूसरी गैसों की तरह इसे महाविनाश का हथियार आधिकारिक रूप से नहीं माना गया है।
मस्टर्ड गैस कपड़ों को छेद कर त्वचा में समा जाती है। इसके संपर्क में आने के 24 घंटे बाद ही असर दिखना शुरू होता है। गैस के असर से पहले त्वचा लाल हो जाती है। फिर फफोले निकलते हैं। इसके बाद उस जगह की त्वचा छिलके की तरह उतर जाती है। नाक के रास्ते से अंदर गई गैस जानलेवा हो सकती है, क्योंकि यह फेफड़ों के उतकों को नुकसान पहुंचाती है।  प्रतिनिधि

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