लद्दाख के बाद अब अरुणाचल में चीनी घुसपैठ
|
20 किमी़ अंदर आकर
4 दिन जमे बैठे रहे थे चीनी सैनिक
लद्दाख में चंद दिनों के भीतर दो बार चीनी हेकड़ी दिखाने और हमारे विदेश, रक्षा मंत्रालयों और पीएमओ के उसे ‘ज्यादा चिंता की बात नहीं’ बताने के बाद ही अब की बार चीनी फौजी अरुणाचल में चार दिन तक घुसकर बैठे रहे। 11 अगस्त को चीनी सेना के कई सारे फौजी ‘गश्त’ करते हुए हमारे अरुणाचल के चागलागम इलाके में हमारी जमीन पर 20 किमी़ अंदर तक घुसे चले आए और चार दिन डेरा जमाए बैठे रहे। 13 अगस्त को भारत के सैनिकों ने अपनी जमीन पर चीनी सैनिक देखे तो अफसरों को खबर दी। तब जाकर उन्हें सांकेतिक बैनर दिखाए गए और वे 15 अगस्त को काफी देर बाद उस जगह से पीछे हटे। ऐसा सूत्र बताते हैं। अब यह देखना अलग मसला है कि लद्दाख में भारत के नेताओं के ‘दोस्ताना’ तेवर देखते हुए वे कितने पीछे हटे हैं। लेकिन इतना तो तय है कि जब प्रधानमंत्री लाल किले पर भारत का तिरंगा फहरा रहे थे तब चीनी हमारी जमीन पर ठसक से बैठे मूंगफली खा रहे होंगे।
चीनी सैनिक अरुणाचल में फिलहाल लौट भले गए हों, पर भारत की यूपीए सरकार का रवैया एक बार फिर देश की भौगोलिक एकता-अखंडता के मुद्दे को हल्के में लेने वाला ही रहा। अरुणाचल, जिसे चीन ‘दक्षिण तिब्बत’ बताता है, में चीनी घुसपैठ की जानकारी होने पर विदेश विभाग के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने मामला रफा-दफा करने के अंदाज में कहा कि ये कोई बड़ी बात नहीं है, जिसके लिए राजनयिक स्तर पर बात की जाए। इसी तरह एंटोनी के अधीन हमारा रक्षा विभाग भी इसे कोई गंभीर मसला नहीं मानता। लद्दाख की तरह यहां भी वह ‘नियंत्रण रेखा को लेकर गफलत' होने को वजह बताता है। उसका कहना है कि इस मामले में स्पष्टता नहीं होने से, चीनी गश्त करते हुए भटक कर इधर आ जाते हैं। एंटोनी को कोई बताए कि गलती से भटककर आने वाले डेरा डालकर नहीं जम जाते और अपने थैलों में कई दिन की रसद लेकर नहीं चलते। जिस तरह चीन लद्दाख में अपनी मनमानी परिस्थितियां तैयार कर रहा है, उसे देखते हुए, आश्चर्य नहीं अगर अरुणाचल प्रदेश में भी वह घुसपैठ बढ़ाकर भारत के नेताओं को मोल-तोल के लिए मजबूर कर दे।
वैसे हाल ही में गिरफ्तार लश्करे तोयबा के लिए बम बनाने वाले आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ने अपने आईएसआई आकाओं ने बारे में जो ‘राज’ उजागर किए हैं, दरअसल उनमें से ज्यादातर बातें राज थी ही कहां। कौन नहीं जानता पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी का लश्करे तोयबा, जैशे मोहम्मद और तमाम दूसरे जिहादी गुटों से नजदीकी रिश्ता है? कौन नहीं जानता आईएसआई की सरपरस्ती में सीमा पार आतंकी प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं? कौन नहीं जानता लश्कर का सरगना हाफिज सईद पाकिस्तान में खुलेआम तकरीरें करता है, उसकी और आईएसआई वालों की गहरी छनती है, चुनी हुई सरकार सिर्फ दिखावटी सत्ता चलाती है, सरकार की असली लगाम तो आईएसआई के पास है? कौन नहीं जानता कि डी कंपनी का सरगना और आतंकी दाऊद इब्राहीम पाकिस्तान में आईएसआई की चौकसी में बेखौफ रह रहा है और पाकिस्तान उसके वहां होने को लेकर भारत से लगातार झूठ बोलता आ रहा है? पूछताछ करने वालों को टुंडा ने ये सारे ‘राज’ बताए हैं।
लश्कर से अर्से से जुड़े इस आतंकवादी की दिल्ली पुलिस को लंबे समय से तलाश थी और पिछले दिनों नेपाल पुलिस की एक गुप्त सूचना के सहारे उसे नेपाल सीमा से पकड़ा गया था। दिल्ली लाने के बाद से टुंडा से पूछताछ जारी है और कहा जा रहा है कि उसके खोले ‘राज’ से आतंक के एक बड़े नेटवर्क से पर्दा उठेगा। टुंडा की मानें तो जब वह पाकिस्तान में था तब आईएसआई के पूर्व मुखिया हामिद गुल से सीधे संपर्क में था। वह कहता है, लश्कर आईएसआई की एक बाजू ही तो है। लेकिन हामिद ने इनकार कर दिया कि वह कभी किसी टुंडा नाम के आदमी से मिला था। इसी तरह लश्करे तोयबा ने भी टुंडा के पकड़े जाने के बाद उससे पल्ला झाड़ते हुए कहा कि वे ऐसे किसी आदमी को नहीं जानते।ल्ल
टिप्पणियाँ