असद का विरोधियों पर रासायनिक हमला!
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सीरिया में हालात इतने बेकाबू हो चले हैं कि 20 अगस्त को वहां दमास्कस में कथित रासायनिक हथियार इस्तेमाल करके बड़ी तादाद में असद विरोधियों को सोते में मार डाला गया या सांसें घोंट दी गईं। बताया जाता है कि रासायनिक हथियारों से हमला बोलने के सत्ता के मंसूबों को लेकर काफी समय से खतरा तो बना हुआ था लेकिन असद सरकार इस हद तक जाएगी ऐसा अमरीका और संयुक्त राष्ट्र को नहीं लगता था। असद विरोधियों की मानें तो, लोग सोते से उठे नहीं, जो उठे उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई। अस्पताल ऐसे मरीजों से पटे पड़े हैं जो न जीने में हैं न मरने में। महिलाओं और बच्चों की लाशों के अंबार लगे हैं, जिनके शरीर पर कोई चोट का निशान तक नहीं हैं। कुछ कहते हैं, सौ से ज्यादा मरे, तो कुछ हजार से ज्यादा मरे बताते हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी विस्तृत रपट तलब की है तो अमरीका सावधान हो गया है। रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के मायने हैं अमरीका के हरकत में आने की लाल बत्ती। अमरीका ने सीरिया को जता भी दिया है कि आम नागरिकों की मौतों के लिए राष्ट्रपति असद जिम्मेदार हैं। मध्य पूर्व में हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। सीरिया और इजिप्ट दुनिया के लिए गंभीर परेशानियां खड़े करते दिख रहे हैं।
उधर इजिप्ट में प्रधानमंत्री हाजेम अल बेबलावी ने 21 अगस्त को जेल में बंद 85 साल के पूर्व राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक को भ्रष्टाचार के मामले में अदालत से बरी होने के बाद जेल से छोड़ने के आदेश जारी किए। हालांकि मुबारक देश में लागू मौजूदा ‘आपातकालीन कानून के तहत’ घर में नजरबंद ही रहेंगे। वहां की अंतरिम सरकार ने इसके साथ ही अपदस्थ राष्ट्रपति मुरसी के समर्थकों पर शिकंजा कस दिया है। मुस्लिम ब्रदरहुड के बड़े वाले नेता मोहम्मद बादी को कथित हिंसा और हत्या के लिए उकसाने के आरोप में धर लेने के अलावा विद्रोहियों के डेरे-तंबू उखाड़कर कइयों को जेल में डाल दिया है। विद्रोही शिविरों में अफरा-तफरी मची है। मुबारक के धुर विरोधी मुरसी को रिहा करने की चर्चा से भी बाजार गर्म है।
बेनजीर हत्या मामले में मुशर्रफ पर आरोप तय
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के मामले में पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ पर पाकिस्तान की अदालत में आरोप तय होने के बाद मुशर्रफ ने भले अपनी बेगुनाही की दलीलें दी हों, लेकिन जानकार बताते हैं, यह मामला उनके बचे-खुचे सियासी अरमानों को भारी चोट पहुंचाएगा। मुशर्रफ पर हत्या, हत्या की आपराधिक साजिश और हत्या में सहयोग देने के आरोप तय किए गए हैं। पाकिस्तान में ऐसा पहली बार हुआ है कि सेना के किसी मौजूदा या पुराने जनरल पर जुर्म के आरोप लगाए गए हों। यहां बता दें कि बेनजीर की दिसम्बर 2007 में रावलपिण्डी में एक चुनावी रैली के दौरान हत्या कर दी गई थी। इस मामले में मुशर्रफ पर तलवार तो लंबे अर्से से लटकी थी और इसी से बचने के लिए वे कुर्सी छोड़ते ही दुबई और लंदन जा बसे थे। लेकिन उन्होंने अपने चंद समर्थकों के उकसाने पर कुर्सी की चाह में पाकिस्तान लौटकर चुनाव मैदान में कूदने का फैसला क्या किया उन पर भारी मुसीबत आन पड़ी। आरोप मुशर्रफ पर और भी हैं। बलूच नेता नवाब अकबर बुगती की 2006 में हत्या और 2007 में सारे जजों को रास्ते पर ले आने के पीछे भी मुशर्रफ बताए जाते हैं। अब कुर्सी के सपने लेने की बजाय वे घर में नजरबंदी के बीच अदालतों के चक्कर ही काट रहे हैं। अब सुनवाइयों के दौर चलेंगे।
जैसा पहले से भान था, मुशर्रफ ने अपने को बेदाग बताया है, उनके वकीलों ने सबूतों को फर्जी बताया है। जानकार कहते हैं, शरीफ के प्रधानमंत्री बनने के चलते, मुशर्रफ की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि वे शरीफ ही थे जिन्हें मुशर्रफ ने 1999 में सत्ता से हटाकर कमान संभाल ली थी।
हिन्दी बोलते हैं 6.5 लाख अमरीकी
एक दिलचस्प सर्वे हुआ है अमरीका में, जिसमें वहां भाषाओं के संबंध में आई जनसंख्या रपट के आंकड़े गौर करने लायक हैं। इसके मुताबिक, अमरीका में 6.़5 लाख लोग हिन्दी बोलते हैं, 8 लाख से ज्यादा भारत की दूसरी तमाम भाषाएं, जैसे मलयालम, तेलुगू, तमिल, गुजराती, मराठी वगैरह। यह अलग बात है कि कोई भी भारतीय भाषा अमरीका में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली दस भाषाओं में नहीं है। लेकिन गौर करने की बात यह भी है कि वहां बीते दसेक सालों में दक्षिण एशियाई भाषाएं बोलने वालों की तादाद काफी तेजी से बढ़ी है। ये बढ़ोतरी दक्षिण भारतीय भाषाओं के मामले में 115 फीसदी तक है, जबकि हिन्दी 105 फीसदी, गुजराती 52 फीसदी और उर्दू 42 फीसदी की दर से बढ़ी है। 2000 से 2007 के बीच अंग्रेजी बोलने वालों में बढ़ोतरी की दर बेहद कम यानी 8़1 फीसदी आंकी गई है। यह हिसाब 2011 में हुए सर्वे का है। 10 लाख से ज्यादा लोग घर पर अंग्रेजी और स्पेनिश बोलने के अलावा चीनी, विएतनामी,फ्रेंच, जर्मन और कोरियाई बोलते हैं। +्लथ््ल्लश्वएद्भ ट्ल्लश्वºप््ल्लच््लँ
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