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हिन्दुओं की हत्या और दुकान-मकान जलाने के पीछे सोची-समझी साजिश
9 अगस्त 2013 को ईद के अवसर पर जिहादी तत्वों ने सामरिक महत्व के नगर किश्तवाड़ में जिस भयानक बर्बरता का प्रदर्शन किया उससे न सिर्फ जम्मू-कश्मीर राज्य प्रभावित दिखाई देता है अपितु इसकी पीड़ा को नई दिल्ली तथा देश के अन्य भागों में भी महसूस किया जा रहा है।
वैसे तो किश्तवाड़ तथा कुछ अन्य स्थानों पर तनाव की स्थिति पिछले कई सप्ताह से पैदा की जा रही थी। किन्तु ईद की नमाज पढ़ने आए मुसलमानों के एक वर्ग ने वहां जुलूस निकाला और हिन्दुओं के एक मोहल्ले से गुजरते हुए भारत विरोधी नारे लगाए। वहां कुछ लोगों ने जब देशविरोधी नारे लगाने पर आपत्ति जताई तो देखते ही देखते जैसे पूर्व योजना के तहत उस मोहल्ले के अतिरिक्त किश्तवाड़ के कई भागों में उपद्रव शुरू हो गए।
समाचारों के अनुसार उपद्रवकारी अपने साथ न केवल लाठियां तथा तेज धार वाले हथियार लाए थे, अपितु उन्होंने पेट्रोल बमों तक का प्रयोग किया। हिंसा का क्रम प्रात: साढ़े दस बजे शुरू हुआ और हजारों की संख्या में उपद्रवी कई घण्टे तक आगजनी तथा लूटपाट में लगे रहे। यह सब शाम के सात बजे तक जारी रहा। तब सेना ने वहां आकर स्थिति को नियंत्रण में किया। इससे पूर्व पुलिस ने उपद्रवियों को रोकने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। कुछ स्थानों पर पुलिस लूटपाट के भयानक दृश्य मूकदर्शक बनी देखती रही।
हैरानी की बात यह थी कि राज्य के गृह राज्यमंत्री सज्जाद अहमद किचलू वहां उपस्थित थे और स्थानीय डाक बंगले में बैठ कर सब कुछ देखते रहे थे। यह भी आरोप है कि उनका बेटा भी वहां उपद्रव मचाती भीड़ के साथ शामिल था।
लूटपाट और आगजनी के कारण तीन लोग मारे गए। कई अन्य घायल हुए। हिन्दुओं की लगभग सौ दुकानें जला दी गईं। कई लोगों को उनके घरों में घुस कर मारा गया। इस मारपीट का शिकार होने वालों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं।
बड़ा प्रश्न यह सामने आ रहा है कि जब सेना किश्तवाड़ के आस-पास ही थी तो उसे स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए समय पर क्यों नहीं बुलाया गया? कहा जाता है कि सेना को तब ही बताया गया जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने इस विषय पर प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से बात की तथा कुछ अन्य ने रक्षा मंत्री से नई दिल्ली में सम्पर्क साधा। कहा जाता है कि उपद्रवियों ने अरविंद भगत नामक एक युवक को पकड़ कर न केवल पीटा अपितु तब तक गोलियां दागीं जब तक उन्हें यह यकीन नहीं हो गया कि वह मर चुका है।
किश्तवाड़ में हुई इस जिहादी घटना का कई स्थानों पर विरोध शुरू हो गया है। प्रदर्शनों तथा कुछ हिंसक घटनाओं के पश्चात पहले जम्मू नगर, फिर जम्मू के दूसरे कई स्थानों पर कर्फ्यू लगाया गया है और हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए प्रयत्न जारी हैं। लगातार कर्फ्यू के कारण जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
जो कुछ किश्तवाड़ में हुआ वह एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा इसलिए भी दिखाई देता है कि राज्य में साम्प्रदिायक तनाव उत्पन्न करने से पूर्व ही सीमाओं पर पाकिस्तान ने घुसपैठ करवाने के लिए अपनी गतिविधियां बढ़ा दी थीं। भारतीय चौकियों को निशाना बनाया जा रहा है। पिछल्ले कुछ सप्ताह से संघर्षविराम के उल्लंघन की इतनी घटनाएं हुई हैं जिनसे स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि पड़ोसी देश के इरादे क्या हैं।
क्यों नहीं उठाए सुरक्षा के कदम?
किश्तवाड़ में मजहबी उन्माद भड़काए जाने के षड्यंत्रों की जानकारी राज्य सरकार को कई दिन पहले से ही दी जाती रही थी। आगामी चुनावों को देखते हुए गुप्त सूचनाएं थीं कि मजहबी उन्मादी किश्तवाड़ में साम्प्रदायिक तनाव पैदा कर सकते हैं, हिन्दुओं को निशाना बनाया जा सकता है, लेकिन बताते हैं, राज्य सरकार ने पुलिस के हाथ बांध दिए थे। खुद गृहमंत्री किचलू की कथित देखरेख में उपद्रवों को अंजाम दिया गया। 8 घंटे बाद सेना ने आकर हालात कुछ काबू में किए थे।
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