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Aug 17, 2013, 12:00 am IST
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‘भाषणों से नहीं, श्रद्धा जगाने से आएगी नैतिकता’

दिंनाक: 17 Aug 2013 16:09:46

अनूकूलता-प्रतिकूलता में रहे समता

-आचार्य महाश्रमण

गत 6 अगस्त को लाडनू (नागौर)  में एक कार्यक्रम में  राष्ट्रीय  स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि समाज में विपरीत स्थिति देखकर लगता कि नैतिकता चाहिए, लेकिन सवाल है कि वह कैसे आती है? नैतिकता के मूल में आत्मीयता है। मैं ही हूँ, मेरा ही भला होना चाहिये, मुझे ही सब कुछ मिलना चाहिए, जहां ऐसे विचार हों वहां  नैतिकता नहीं होती, वहां स्वार्थ होता है। जहाँ सभी हैं, सभी को होना चाहिए, सभी को मिलना चाहिए वहां आदमी अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सबके लिए कार्य करता है। वह नैतिकता होती है।

नैतिकता भाषणों  से नहीं आएगी। इसके लिए श्रद्घा को जगाना होगा और अपने उदाहरण से विश्वास पैदा करना, यही नैतिकता उत्पन्न करने का मार्ग है़, सनातन मार्ग है।

जैन विश्व भारती में तेरापंथ के आचार्य महाश्रमण की उपस्थिति में राजनीति और नैतिकता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री भागवत ने कहा कि समाज या  प्रवाह की एक गति होती है, उसमें जो कुछ जाएगा वह उस गति के साथ एक हो जायेगा। नैतिक व्यक्ति सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलता है। त्याग और संयम आना चाहिए। नैतिकता भाषणों  से नहीं आएगी। इसके लिए श्रद्घा को जगाना होगा और अपने उदाहरण से विश्वास पैदा करना, यही नैतिकता उत्पन्न करने का मार्ग है़, सनातन मार्ग है।  यह सब संतों ने भी किया है। समर्थ भारत के निर्माण के लिए देश की सज्जन शक्ति में परस्पर आत्मीयता का संबंध कायम होना आवश्यक है।
सरसंघचालक ने कहा कि नैतिकता की चर्चा करना ही पर्याप्त नहीं है। उदाहरण बनाने होंगे। प्रवाह के विरुद्घ जाकर सही सोच स्थापित करने के लिए जो नैतिक सामर्थ्य चाहिए उस नैतिक सामर्थ्य के व्यक्ति निर्माण करने होंगे। आदर्श तो बहुत हैं, महापुरुषों के पथ पर चलने वाले सामान्य लोग दिखें, आज की यही आवश्यकता है। ऐसा हो तो  सिर्फ राजनीति ही नहीं वरन् समाज के सब क्षेत्रों में फिर से नैतिकता के आदर्शों की पुनर्स्थापना होगी और फिर हम, जैसे दुनिया की अपेक्षा है वैसे सम्पूर्ण दुनिया को वास्तविक सुख, वास्तविक यश और वास्तविक समृद्धि  का मार्ग दिखाने के लिए समर्थ भारत का निर्माण करने में सक्षम होंगे।  देश की सज्जन शक्ति से हम जुड़ें, ऐसी हमारी भावना  है। सभी मतपंथ सत्य के स्वरूप के बारे में बताते हैं। उनका मार्ग अलग हो सकता है लेकिन शिक्षा सबकी एक है। सारी सज्जन-शक्ति एक ही ध्येय से चल रही है कि देश का व दुनिया का भला हो। सज्जन व्यक्ति प्रत्येक का भला चाहता है।
श्री मोहन भागवत ने आगे कहा कि राजनीति में नैतिकता भी बड़ी समस्या नहीं है क्योंकि वहां भी सब राजनीतिक विचारधाराओं को मानने वाले लोगों में अच्छे  लोग हैं।  विचार अलग-अलग हैं और परस्पर विरोधी भी हैं, लेकिन मन में प्रामाणिकता है और सबके कल्याण की कामना को लेकर जो कुछ उचित लगता है वह करते भी हैं। ऐसे लोग हैं तो सबका कल्याण किस बात में है वह अनुभव से उनको ध्यान में आएगा और एक न एक दिन सबके कल्याण के लिए पूरक बनने की कामना भी चलेगी तो अपने आप देश का तंत्र ठीक पटरी पर आ जायेगा।
श्री भागवत ने आह्वान किया कि नैतिकता का उदाहरण  बनकर समाज में चलें तो सारे समाज की जय होगी। जिस दिशा में समाज जाना चाहता है, समाज के द्वारा निर्मित सब व्यवस्थाएं, सब तंत्र उसी दिशा में जायें, ऐसा काम करना पड़ता है। समाज का दबाव, समाज की नैतिकता का दबाव, उन सब तंत्रों पर पड़ता है, ऐसा समाज खड़ा करने का काम संतों-सज्जनों का रहता है। राष्टÑीय  स्वयंसेवक संघ का भी यही प्रयास रहता है।
 सरसंघचालक ने कहा कि जिस स्वर्णिम दिन की कल्पना हम देश और दुनिया के जीवन में कर रहे हैं वह दिन हमारे जीते जी इस देश में इन्ही आंखों से देखेंगे, इतनी अनुकूलता भी मैं वातावरण में देख रहा हूँ इसलिए मैं निराश नहीं हूँ।
 आचार्य महाश्रमण ने ‘राजनीति व नैतिकता एक दूसरे की पूरक कैसे बनें।’ विषय पर कहा कि जैसे अनुकूलता व प्रतिकूलता में भी साधुओं में समता का भाव बना रहता है, वैसे ही राजनीति करने वाले व्यक्ति में भी समता की साधना होनी चाहिए। राजनीति को आवश्यक बताते हुए उन्होंने कहा कि बिना राजनीति दुनिया का काम नहीं चल सकता। राजनीति में काम करने वाले लोग योग्य होने चाहिए। वोट लेकर विजयी बनना उनकी एक अर्हता है, उनमें काम करने की क्षमता-दक्षता होना भी उनकी योग्यता है।  कार्यक्रम में क्षेत्रीय प्रचारक श्री दुर्गादास, श्री प्रकाश चाँद, प्रान्त प्रचारक श्री मुरलीधर, प्रान्त संघचालक श्री ललित शर्मा, सह प्रान्त प्रचारक श्री राजाराम, विभाग प्रचारकश्री ईश्वर सहित कई गणमान्य नागरिक      उपस्थित थे।

डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी भाजपा में शामिल

गत 11 अगस्त को डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी की अध्यक्षता वाली जनता पार्टी का विलय भारतीय जनता पार्टी में हो गया। नई दिल्ली में भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह, पूर्व अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता श्री अरुण जेटली की उपस्थिति में डॉ. स्वामी ने अपनी पार्टी के भाजपा में विलय की घोषणा की। इस अवसर पर  उन्होंने कहा, ‘देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है और यह देशहित के लिए मिलकर काम करने का समय है। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में हम नया भारत बनाने की दिशा में मिलकर आगे   बढ़ेंगे।’ वहीं भाजपा अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘डॉ. स्वामी ने अपनी पार्टी का भाजपा में विलय करने का फैसला किया है। मैंने इस विलय को स्वीकार कर लिया है। मैं डॉ. स्वामी का भाजपा में स्वागत करता हूं।'
स्वामी के तरकश में अनेक तीर
डॉ. स्वामी सोनिया-मनमोहन सरकार की करतूतों और घोटालों को जनता के सामने लाए। चाहे 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला हो,कोयला घोटाला हो या हाल ही में जेट-एतिहाद सौदा, इन सबको डॉ. स्वामी सुर्खियों में लाए। सरकार यह मानने को कतई तैयार नहीं थी कि 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कोई घोटाला हुआ है। डॉ. स्वामी ने इस मामले को सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँचाया और इसकी जाँच शुरू हुई। परिणाम सामने है, कई लोग जेल में हैं। डॉ. स्वामी ने वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम और उनके बेटे के कथित घोटालों को भी उजागर किया है। भाजपा में आने से उनके वार की धार और तेज हो सकती है।   ल्ल  प्रतिनिधि

पाञ्चजन्य के प्रतिनिधि साथ बैठे

गत 9 अगस्त को पश्चिम बंगाल के चितरंजन में एक विशेष बैठक हुई। इसमें हिन्दी साप्ताहिक पाञ्चजन्य, अंग्रेजी साप्ताहिक आर्गेनाइजर और बंगला साप्ताहिक स्वस्तिका के प्रचार-प्रसार में लगे करीब 40 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। ये प्रतिनिधि चितरंजन और आसनसोल के थे। बैठक में विचार किया गया कि कैसे इन साप्ताहिकों को जन-जन तक पहुँचाया जाए। बैठक के मुख्य वक्ता थे साप्ताहिक स्वस्तिका के सम्पादकीय विभाग के सहयोगी श्री सुकेश मण्डल। उन्होंने कहा कि हमारी नई पीढ़ी भारत और उसके महापुरुषों के जीवन से उतनी परिचित नहीं है। बच्चों को भारत विभाजन की जानकारी नहीं है। जबकि यह समय है अपने इतिहास को जानने का। नई पीढ़ी को इस दिशा में मोड़ना एक बड़ी चुनौती है। अपने पत्रों के जरिए इस चुनौती को हम स्वीकार कर सकते हैं।

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