पाकिस्तानी नेताओं की बे शरमी की हद
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पाकिस्तान द्वारा पुंछ, सांबा और जम्मू के दूसरे सीमावर्ती इलाकों से छूती सीमा पर पिछले एक पखवाड़े प्में बार-बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया गया है, गोले दागे गए हैं, भारत की 16 सीमा चौकियों पर बम बरसाए गए हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि भारत की तरफ से कोई दमदार जवाब नहीं दिया गया। सिर्फ पाकिस्तान के उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय तलब करके रस्मी ‘चिंता’ जता दी गई। फिर क्या था, भारत की ढिलाई का हमेशा फायदा उठाते आए पाकिस्तान के लाहौर सूबे की पंजाब असेम्बली ने 12 अगस्त को भारत के खिलाफ ही ‘नियंत्रण रेखा के उल्लंघन’ का आरोप लगाते हुए एक प्रस्ताव पारित कर दिया। इतना ही नहीं, बेशरमी की हद तो तब हो गई जब इसी प्रस्ताव के तहत असेम्बली ने पाकिस्तान की सरकार को ‘यह मसला अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने’ को कहा।
सूबाए पंजाब के कानून मंत्री राणा सनाउल्लाह ने सदन में प्रस्ताव रखा था। भारत को खरी खरी सुनाते इस प्रस्ताव में नियंत्रण रेखा के ‘भारत द्वारा उल्लंघन’ की भर्त्सना की गई है। इसमें ‘पाकिस्तानी फौजियों और नागरिकों के मारे जाने पर दुख और चिंता’ जताई गई है। प्रस्ताव पर जैसा होना था वह ही हुआ। पूरी असेम्बली ने एक आवाज से उस प्रस्ताव का समर्थन किया। सनद के लिए बता दें, पंजाब में उन नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग की सरकार है जो भारत से दोस्ती करने को उतावले दिख रहे हैं, आएदिन दोस्ती के कसीदे पढ़ते हैं, पुराने ‘खुशनुमा लम्हों की याद में खोए’ रहते हैं। इस सूबे के मुख्यमंत्री हैं उनके भाई शाहबाज शरीफ, और सनाउल्लाह दोनों ‘शरीफों’ के खासमखास हैं।
वीकिलीक्स के विवादित संस्थापक ने अमरीकी रक्षा प्रतिष्ठान में खुफियागिरी की पोल खोलकर रूस में पनाह ले चुके स्नोडन की तरफदारी में एक और बयान जड़कर अमरीका की त्योरियां चढ़ा दी हैं। जूलियन असांजे ने कहा है कि, अमरीका को तो स्नोडन का आभार मानना चाहिए कि उसने राष्ट्रपति ओबामा को यह वायदा करने के लिए मजबूर कर दिया कि वे गुप्त निगरानी को और चुस्त-दुरुस्त कर देंगे, कि अब ज्यादा नजर रखी जाएगी और पारदर्शिता बरती जाएगी। असांजे के ये बयान उनकी आस्ट्रेलियाई वेबसाइट पर आए हैं। वे खुद जन्म से आस्टेÑलियाई ही हैं। असांजे की मानें तो, स्नोडन को सबसे बड़ी चिंता यह थी कि उसके खुलासा करने के बाद भी कोई बदलाव तो देखने में नहीं आया। लेकिन ओबामा के निगरानी बढ़ाने के वायदे के बाद सुधारों की तरफ कदम बढ़ाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। इसके लिए, असांजे के मुताबिक, अमरीका के राष्ट्रपति, वहां की जनता और दुनिया के लोगों को स्नोडन का शुक्रगुजार होना चाहिए। असांजे अपनी मिर्च-मसालेदार बातों के चलते कई लोगों को तिलमिलाते रहे हैं। उनकी इस ताजा चुटकी ने पक्का अमरीका में कुछ अधिकारियों का रक्तचाप बढ़ा दिया होगा।
गुस्साए बंगलादेश ने जमात पर लगाई पाबंदी
13-14 अगस्त को बंगलादेश में अफरातफरी और उठापटक का माहौल था। दो दिन वहां की कट्टरवादी जमाते इस्लामी पार्टी के लोगों ने देश में आम हड़ताल का ऐलान किया था। उन्होंने लाठी-बल्लम लेकर जत्थों में सड़कों, बाजारों पर धावा बोलते हुए दफ्तर, दुकानें बंद कराईं। लोग लीगी हिंसा के डर से आमतौर पर यूं भी ज्यादा बाहर नहीं निकले। सरकार ने चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात की हुई थी। कुछ इलाकों में हिंसक झड़पें भी हुईं। जमात वालों ने कई बड़ी सड़कों को जाम कर दिया था। कई जगह देशी बम फेंके गए। पुलिस ने कुछ हुड़दंगी जमातियों को धरा भी।
दरअसल जब से बंगलादेश की अदालत ने जमाते इस्लामी पर जनवरी 2014 में होने वाले आम चुनावों में भाग लेने पर पाबंदी लगाने वाली याचिका पर हामी भारी है, जमाते इस्लामी के मजहबी उन्मादी देश में अफरातफरी का माहौल बनाए हुए हैं। जमाते इस्लामी खालिदा जिया की बंगलादेश नेशनलिस्ट पार्टी की खास साथी है और उसे काफी वोट जुटाकर देती है। ’71 के युद्घ में अपने ही मुल्क वालों से धोखा करने और बड़ी तादाद में महिलाओं से बलात्कार करने के आरोपी बड़े वाले कई जमाती नेताओं को पिछले दिनों युद्घ अपराध ट्राइब्यूनल ने उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा सुनाई थी।
कट्टर जमाते इस्लामी पर पाबंदी लगाए जाने के फैसले पर ज्यादातर बंगलादेशी खुश हैं। ढाका के संभ्रांत तबके का मानना है कि ‘जमाते इस्लामी’ और ‘हिफाजते इस्लाम’ जिस तरह के कट्टरवाद पर चलती हैं उससे तो बंगलादेश की ही चूलें हिल जाएंगी। इसीलिए शेख हसीना सरकार के समर्थक ‘हिफाजत’ पर भी पाबंदी लगाने की मांग कर रहे हैं।
मुस्लिमों के लिए ‘पार्किंग’ नहीं
अमरीका के शहर टैक्सास में पिछले हफ्ते एक बाजार की पार्किंग में एक बोर्ड ने सबको हैरत में डाल दिया। उस पर मुसलमानों को उस पार्किंग की जगह पर गाड़ी न खड़ी करने को कहा गया था। ‘वेस्टव्यू शॉपिंग सेन्टर’ की पार्किंग में इस बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखा था-‘नो मुस्लिम पार्किंग इन वेस्टव्यू शॉपिंग सेन्टर’। साथ में लिखा था कि ‘कहना न मानने वाले की गाड़ी उठवा ली जाएगी।’ दिलचस्प बात यह थी कि जहां बोर्ड टांगा गया था उसके सामने सड़क के दूसरी तरफ एक मस्जिद थी। वाशिंगटन टाइम्स की खबर है कि, मॉल के कई कर्मचारी इस बात से नाराज रहते थे कि उनकी पार्किंग की जगह मस्जिद में आने वाले मुस्लिम कब्जा लेते हैं। हालांकि मामले के तूल पकड़ने पर बोर्ड तो हटा दिया गया है, पर तनाव बना हुआ है। उधर पुलिस मामले की ‘जांच’ कर रही है।
आलोक गोस्वामी
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