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जब बादल पानी बरसाएँ।
उमड़–घुमड़कर नभ में छाएँ।
हम कागज की नाव बनाएँ।
पानी में उसको तैराएँ।
इधर घुमाएँ, उधर घुमाएँ।
मिल–जुलकर के मौज मनाएँ।
खेल–कूदकर के धूम मचाएँ।
हंसी–खुशी के गाने गाएँ।
-विनोद चंद्र पांडेय 'विनोद'
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जब बादल पानी बरसाएँ।
उमड़–घुमड़कर नभ में छाएँ।
हम कागज की नाव बनाएँ।
पानी में उसको तैराएँ।
इधर घुमाएँ, उधर घुमाएँ।
मिल–जुलकर के मौज मनाएँ।
खेल–कूदकर के धूम मचाएँ।
हंसी–खुशी के गाने गाएँ।
-विनोद चंद्र पांडेय 'विनोद'
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