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पुणे स्थित 'श्री रजनीश आश्रम' में उनके अनुयायियों व न्यासियों में मतभेद एवं संघर्ष की खबरें दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही हैं। वैसे तो आचार्य श्री रजनीश के निधन के बाद से ही उनके अनुयायी आपस में उलझ रहे थे, पर अब मतभेद सार्वजनिक तौर भी उभर आए हैं और मामला न्यायालय तक पहुंच गया है। रजनीश आश्रम के नामांतरण को लेकर भी विवाद उठे हैं। आश्रम का नाम 'आशो इंटरनेशनल मेडिटेशन रिसोर्ट' रखने के प्रस्ताव से विरोध शुरू हुआ था। इस प्रस्ताव के साथ यह विवाद भी जुड़ गया कि रजनीश आश्रम के कुछ प्रमुख कर्ता-धर्ता आश्रम से संबद्ध सारी बातों में बदलाव चाहते हैं तथा कुछ प्रमुख अनुयायी इस बदलाव के पक्ष में नहीं है। आश्रम के प्रवक्ता तथा आचार्य रजनीश के निकटतम शिष्यों में से एक चैतन्य कीर्ति इन परिवर्तनों का विरोध कर रहे हैं। बावजूद इसके आश्रम का नाम बदल दिया गया और कुछ चुनिंदा लोगों की मनमानी जारी है। मनमानी करने वालों में मुख्य रूप से विदेश से आए शिष्य हैं। इनमें कनाडा मूल के स्वामी जयेश (माइकल ओबिरीन) तथा स्वामी योगेन्द्र (डार्सी ओबिरिन) एवं इंग्लैण्ड से आये स्वामी अमृतो (जार्ज मेरेडिथ) के नामों की चर्चा है। आचार्य रजनीश की सहायक के तौर पर काम करने वाली मां नीलम ने भी इन तीनों न्यासियों के मनमानी के तौर-तरीके उजागर किए और उन्हें 'आश्रम के तानाशाह' बताया है।
'रजनीश आश्रम' से जुड़े कुछ अनुयायियों के अनुसार आश्रम के इन तीन मुख्य न्यासियों की तानाशाही अब बर्दाश्त से बाहर हो गयी है। उनके अनुसार आश्रम में आने वाले जो भी अनुयायी इस मानमानी का विरोध करते हैं, उन्हें 'रजनीश विरोधी' करार देकर हर तरह से प्रताड़ित किया जा रहा है। परिणामस्वरूप आश्रम से जुड़े पुराने अनुयायी स्वामी कीर्ति ने आश्रम का त्याग कर अपना अलग रास्ता अपनाया है तथा अन्य कई सहयोगी भी उन्हीं के रास्ते पर चल निकले हैं।
इन न्यासियों द्वारा 'रजनीश आश्रम' के कारोबार एवं चंदे की राशि में भी हेराफेरी करने की चर्चा इन दिनों जोरों पर है। इन न्यासियों पर आरोप है कि उन्होंने रजनीश आश्रम की राशि अपने निजी खातों में जमा करायी है। स्वामी जयेश, स्वामी योगेन्द्र तथा स्वामी अमृतो ने ओशो आश्रम के तहत ओशो मल्टीमीडिया एण्ड रिसोर्टस् प्रा. लिमिटेड नामक निजी कंपनी का गठन कर घोटाला किया है। ओशो के नाम से निजी कंपनी का गठन व संचालन करने के कारण मूल 'ओशो न्यास' को मिलने वाले लाभ अब कम हो गये हें। इस कारण आश्रम को आर्थिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ रहा है और आश्रम से संबद्ध सभी लोगों में असंतोष है। दूसरी ओर ओशो मल्टीमीडिया एण्ड रिसोर्ट की पूंजी तथा मुनाफे में बढ़ोत्तरी हो रही है।
आश्रम के आर्थिक गतिविधियों से संबद्ध योगेश ठक्कर तथा स्वामी गीत ने मांग की है कि इस सारे मामले की सघन जांच करने के साथ ही अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए। स्वामी गीत द्वारा उठाया गया एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा है पुणे के कोरेगांव पार्क के महंगे इलाके में बसे रजनीश आश्रम के 50 करोड़ रुपयों की 6600 वर्ग फीट जमीन का किया गया गैरकानूनी हस्तांतरण, जोकि ओशो फाउंडेशन द्वारा किसी निजी व्यक्ति को किया गया है। यह काम भी संबद्ध लोगों को अंधेरे में रखते हुए गैरकानूनी तौर से किया गया है। इस मामले की पहले मुम्बई स्थित राज्य सार्वजनिक न्यास आयुक्तालय में तथा उसके पश्चात मुम्बई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गयी है तथा मामला अभी उच्च न्यायालय के विचाराधीन है। इसके अलावा आचार्य रजनीश के प्रयोग वाली किताबें, वीडिओ, कागजात, चित्र, चश्मा, छायाचित्र आदि बेचकर भी कुछ लोगों ने अच्छी-खासी कमाई कर ली है।
इन सारी अनियमितताओं के कारण आचार्य रजनीश के आश्रम में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या में भी अत्याधिक कमी आयी है। आश्रम से जुड़े सूत्रों के अनुसार पहले रजनीश आश्रम में आने वाले दर्शनार्थियों की संख्या प्रतिदिन 1200 से 1500 हुआ करती थी, वह अब मात्र 150 के आस पास तक ही सीमित हो गयी ½èþ* nù.¤ÉÉ. आंबुलकर
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