साध्वी मरी तो जिम्मेदार कौन?

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दिंनाक: 08 Jun 2013 13:53:27

भगवान सिंह (साध्वी प्रज्ञा के भाई)

'एक संन्यासी के साथ इस भारत देश में जैसा अभद्र व्यवहार जांच एजेंसियों ने किया है, उसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। एक स्त्री को, एक साध्वी को आठ-आठ, दस-दस पुलिसकर्मी घेरकर लातों-घूंसों से फुटबाल की तरह मारें, इस चित्र को अपनी आंखों में उतारें तो पता चलेगा कि जांच के नाम पर कांग्रेस सरकार इन पुलिस वालों से क्या कराना चाह रही है। साध्वी जी अपने टिकट पर अपने पैरों पर चलकर सूरत तक गयीं थीं, पूरे विश्वास के साथ और चेहरे पर गरिमा लिए। आज वे अपाहिज हो गयीं हैं, पैरों पर खड़ी नहीं हो सकती, व्हील चेयर पर चलती हैं, उनकी रीढ़ की हड्डी में चोट है, फेफड़े में चोट है, और अब तो कैंसर भी हो गया है, कौन है इसके लिए जिम्मेदार? 10 अक्तूबर, 2008 से 24 अक्तूबर, 2008 को (जिस दिन उन्हें न्यायालय में पेश किया गया) के बीच 13 दिन तक उन्हें जो घोर यातनाएं दी गयीं, उसी का असर है कि आज साध्वी प्रज्ञा इस स्थिति में आ गयी हैं कि उनकी आयु साल-डेढ़ की ही बची है, ऐसा डाक्टर भी कह रहे हैं। न्यायालय ने भी जांच एजेंसी से पूछा कि आप साध्वी पर मुकदमा चलाना चाहते हैं या उसकी मौत?

साधना (लोकेश शर्मा की पत्नी)

क्या मेरा पति आतंकवादी है?

आंसू भरे चेहरे और रुंधे गले से अपनी दास्तान सुनाते-सुनाते साधना की आवाज बैठ गयी, लगा कि अब बोल नहीं पाएगी, अचानक वह फट पड़ी- 'नहीं है मेरा पति आतंकवादी। एनआईए लगातार उन पर दबाव डालती रही कि कुछ लोगों के नाम ले दो तो तुम्हें सरकारी गवाह बना देंगे, जल्दी छोड़ देंगे। पर मेरे पति ने ऐसा नहीं किया, वे सच के साथ खड़े रहे, वे खुद को बचाने के लिए कुछ और माताओं के बच्चों के खिलाफ कैसे झूठी गवाही देते? इसकी सजा उन्हें यह मिली कि उन्हें ही मालेगांव बम धमाकों का आरोपी बना दिया। अब समझौता एक्सप्रेस में धमाके में भी उनका नाम जोड़ दिया। जैसी न्याय प्रणाली है उसमें शायद ही जीवन में मैं उनके साथ रह सकूं। शादी को एक ही साल हुआ था और 13 मई, 2010 को एनआईए के लोग उन्हें उठा ले गए। कई बार लगता है कि आत्महत्या कर लूं, 3 साल का बच्चा अनाथ रह जाएगा, इसलिए आत्महत्या से पहले इसे भी मार दूं। पर फिर सोचती हूं क्यों? सिर्फ इसलिए कि एनआईए ने मेरे निर्दोष पति को बेवजह फंसा दिया? नहीं, इस झूठे आरोप का पर्दाफाश करने के लिए अंतिम सांस तक लडूंगी। वे निर्दोष थे, यही सिद्ध होगा।

राधेश्याम (कमल चौहान के पिता)

सच सामने कैसे आएगा?

'क्या दोष है मेरे बेटे का? 'क्या सुबूत है उसके खिलाफ कि उसने कोई आतंकवादी वारदात की? बस एनआईए ने उसे आतंकवादी बताया और अखबारों में उसके खिलाफ झूठी कहानी चल पड़ी। क्या इस देश में कोई कानून नहीं है? 9 फरवरी, 2012 को स्थानीय पुलिस के साथ कुछ लोग मेरे घर से मेरे बेटे को बुलाकर ले गए तब मैं खेत पर था, खबर मिली तो भागा-भागा थाने पहुंचा। वहां पता चला कि कोई 'सेंटर की टीम' आयी थी और कमल को अपने साथ ले गयी। बीच-बीच में वे लोग कमल से दिन में एक बार बात कराते कि सब ठीक है और किसी मामले में पुलिस की मदद करने उनके साथ आया है। और फिर अचानक चण्डीगढ़ में 13 फरवरी को एनआईए ने उसे प्रस्तुत किया, बताया कि कमल को 13 मई को ही नोएडा (उ.प्र.) से गिरफ्तार किया गया है। 9 फरवरी से 13 फरवरी तक एनआईए ने मेरे बेटे को कहां-कहां रखा? कहां-कहां ले गयी? नोएडा से गिरफ्तारी क्यों दिखाई? जो एजेंसी खुद झूठ बोलती हो, ठंड में रात-रात भर नंगा खड़ा करके, मजबूर करके जबरन अपराध कबूल कराती हो, आप उससे न्याय की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

पद्मा (दिलीप पाटीदार की पत्नी)

कहां हैं मेरे पति?

'ठंड की एक रात 12.30 बजे कुंडी खटकी, 2 वर्दी वालों के साथ 3 सादे कपड़ों में कुछ लोग आए, कहा, 'कुछ पूछताछ करनी है- खजराना थाने तक चलो'। उन्हें गाड़ी से ले गए और मैं पीछे-पीछे रात के दो बजे थाने पहुंची, वहां बताया गया यहां नहीं लाए गए, एस.पी. के घर जाओ। 'रात को वहां कैसे जाती? सुबह मेरे पति के मोबाइल से ही फोन आया कि एटीएस वाले मुझे मुम्बई ले आए हैं, एक मामले में जांच में मदद मांग रहे हैं, तुम इधर-उधर मत भागो, परेशान मत हो, मैं आ जाऊंगा। 17 नवम्बर तक उनके फोन आते रहे, उसके बाद से वे लापता हैं। मैं दर-दर की ठोकर खा रही हूं। अभी सीबीआई ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय को एक रपट सौंपी और बताया कि मुम्बई के कुछ एटीएस वाले मेरे पति की गुमशुदगी का कारण हैं, कौन हैं वे इनकी पहचान भी सीबीआई ने कर ली है। तब फिर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज क्यों नहीं होता? क्यों नहीं बताया जा रहा है कि एटीएस ने मेरे पति के साथ क्या किया? वे अब जिन्दा हैं भी
या नहीं?

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