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पंजाब में प्राथमिक कक्षा के बच्चों को पढ़ने के लिए दी जाने वाली पुस्तकों में घपले का पता चला है। शिक्षा विभाग के अफसरों द्वारा ऐसे प्रकाशक को किताबें देने को कहा गया है जिनकी पृष्ठभूमि संदिग्ध है। जिस पुस्तक को वह प्रकाशक बाजार में 160 रुपए में बेच रहा है उसे ही विभाग को 270 रुपए में बेचा गया। जो किताब 150 रुपए में बाजार में बिक रही है वह विभाग को 250 रुपए में बेची गई।
पंजाब के 19,550 विद्यालयों में 36 लाख विद्यार्थी हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि कितने बड़े घपले का प्रयास किया गया है। न केवल घपला हुआ बल्कि ऐसी पुस्तकें भी छात्रों को दी गईं जिनमें अश्लीलता भरी पड़ी है और जिनके विषय विवादास्पद हैं। पुस्तकें तय करते समय सही जांच नहीं की गई। जिस पैनल के कहने पर ये पुस्तकें खरीदी गईं उसने देखा ही नहीं कि वे कौन सी पुस्तकों की सिफारिश कर रहे हैं।
इस मामले में राज्य के शिक्षा मंत्री सिकंदर सिंह मलूका जवाबदेह हैं। जब से वह शिक्षामंत्री बने हैं उन्होंने शिक्षा विभाग को सही करने का कुछ प्रयास तो किया, लेकिन उस कोशिश को बट्टा लग रहा है। वह इसलिए भी जवाबदेह हैं क्योंकि उनकी पुत्रवधू को दूसरे विभाग से लाकर शिक्षा विभाग में सर्व शिक्षा अभियान में तैनात किया गया, जहां वह 750 करोड़ रुपए के फंड के बंटवारे के लिए जिम्मेवार थीं। अब अवश्य उन्हें पुराने विभाग में भेजा जा रहा है।
सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत सरकारी स्कूलों के लिए केंद्रीय सहायता मिलती है लेकिन इस सहायता का इस्तेमाल मनमर्जी से नहीं हो सकता। इसके लिए नियम निर्धारित हैं। शिक्षा के क्षेत्र में पैसे की पहले ही कमी है और अगर इस पैसे में भी घपला हो जाए तो छात्रों का और अधिक अहित होगा। महंगी और गलत पुस्तकों की खरीद तो विद्यार्थियों के जीवन के साथ खिलवाड़ से कम नहीं है। अब अवश्य मुख्यमंत्री ने सरकार की छवि को बचाने के लिए जांच का आदेश दिया है।
एक और हैरान करने वाला समाचार आया है कि पंजाब सरकार फिर 'ऑन-लाइन' लाटरी शुरू करने जा रही है। पहले इसे 2002 में शुरू किया गया था पर कुछ समय बाद बंद कर दिया गया था। अब कुछ परिवर्तन के साथ इसे फिर शुरू किया जा रहा है। सरकार की समस्या है कि उसे राजस्व चाहिए। टैक्स अधिक बढ़ा नहीं सकते इसलिए इस रास्ते आय बढ़ाने की तैयारी है। लेकिन सरकार को यह देखना चाहिए कि ऐसी योजनाओं का समाज पर क्या असर पड़ता है। कहीं सरकार लोगों को जुए की तरफ तो नहीं धकेल रही? कई परिवारों पर इसका बुरा असर पड़ेगा। विशेषतौर पर जिस प्रदेश में 70 प्रतिशत युवा नशे के शिकार बताएं जाते हों वहां ऐसे कदम और हानिकारक हो सकते हैं। सरकार को बहुत सोच-समझ कर ऐसे कदम उठाने SÉÉʽþB* ®úÉEäò¶É सैन, पंजाब
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