वोट राजनीति का सच कैसे बताएं दल?
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

वोट राजनीति का सच कैसे बताएं दल?

by
Jun 8, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

दिंनाक: 08 Jun 2013 13:55:36

3 जून (सोमवार) को केन्द्रीय सूचना आयोग ने एक निर्णय प्रसारित किया, जिसके अन्तर्गत आयोग की धारा 2(एच) के अनुसार मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सार्वजनिक संस्थान माना गया। आयोग द्वारा जारी प्रपत्र में कहा गया कि लगभग सभी राजनीतिक दल सरकार से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से वित्तीय पोषण प्राप्त करते हैं। वे सरकार से आयकर छूट पाते हैं, रियायती किरायों पर भवन लेते हैं, अपने भवन बनाने के लिए जमीन का आवंटन कराते हैं। आयोग का यह भी कहना है कि राजनीतिक दल जनता के प्रति उत्तरदायी हैं, अत: जनता को यह जानने का अधिकार है कि किसी दल के भीतर आंतरिक लोकतंत्र है या नहीं। वह अपने प्रत्याशियों का चयन किस आधार पर करता है, उसके निर्णय लेने की प्रक्रिया क्या रहती है, उसके वित्तीय स्रोत क्या हैं और उस सार्वजनिक धन को कैसे खर्च किया जाता है? सूचना आयोग ने कहा है कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता लाने के लिए राजनीतिक दलों की अपनी संगठनात्मक रचना एवं कार्यप्रणाली का पारदर्शी होना आवश्यक है। अत: इस दृष्टि से राजनीतिक दल भी सूचना अधिकार कानून के अन्तर्गत आते हैं। लेकिन पता नहीं क्यों सूचना आयोग ने अभी अपना आदेश केवल छह राजनीतिक दलों तक सीमित रखा है। कांग्रेस, भाजपा, माकपा, भाकपा, बसपा और शरद पवार की राकपा। सपा, तृणमूल कांग्रेस, जद (यू) बीजू जनता दल, तेदेपा, द्रमुक, अन्नाद्रमुक, मुस्लिम लीग, शिवसेना और अकाली दल जैसे अनेक महत्वपूर्ण राजनीतिक दलों का नामोल्लेख इस आदेश-पपत्र में नहीं है। किंतु यदि एक बार आयोग का यह निर्णय लागू हो गया तो सभी राजनीतिक दलों का उसकी परीधि के भीतर आना अपरिहार्य हो जाएगा। फिलहाल, आयोग ने इन छह दलों को आदेश दिया है कि वे अपने यहां सूचना अधिकारी नियुक्त करें जो सूचना अधिकार कानेन के अन्तर्गत मांगी गयी जानकारी को 60 दिन के भीतर आयोग को भेजने की व्यवस्था करे।

इस एकजुटता के मायने

जिस देश का समूचा लोकतांत्रिक ढांचा दल और वोट की राजनीति पर टिका हो और जहां दिन-रात जवाबदेही, जिम्मेदारी और पारदर्शिता का ढोल पीटा जाता हो, वहां जनता के प्रति जवाबदेही वाले सूचना आयोग के इस लोकतांत्रिक आदेश के विरुद्ध तत्काल सभी राजनीतिक दल एकजुट होकर आयोग के खिलाफ हमला बोल देंगे, यह एक तथ्य सभी राजनीतिक दलों में व्याप्त समान राजनीतिक संस्कृति का दर्शन कराने के लिए पर्याप्त है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सूचना आयोग के विरुद्ध युद्ध का बिगुल सबसे पहले 10, जनपथ यानी सोनिया के अधिकृत प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने बजाया। यह तथ्य इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि सूचना अधिकार कानून को बनवाने का पूरा श्रेय अब तक सोनिया ही लूटती चली आ रही हैं और अब आयोग के विरुद्ध उन्हीं के फतवे को जनार्दन द्विवेदी ने अपनी भाषा में प्रसारित किया। प्रस्ताव की भाषा गौर करने लायक है। द्विवेदी ने कहा, 'पार्टी सीआईसी के इस फैसले को सिरे से खारिज करती है कि हमारी पार्टी सूचना कानून के दायरे में आती है और उसे जनता को जवाब देना चाहिए।' द्विवेदी ने हास्यास्पद दलील दी कि सूचना अधिकार कानून के दायरे में आने से लोकतांत्रिक संस्थाओं को क्षति पहुंचेगी और यह जनतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ है। उन्होंने इसे अति क्रांतिकारिता की संज्ञा देते हुए कहा कि मुख्य सूचना आयुक्त ने जो कुछ तय किया है उसके पहले उन्हें यह सोचना चाहिए था कि जितनी भी संस्थाएं हैं वे सब कानून और संविधान में से पैदा हुई हैं। लोकतंत्र की परिकल्पना के बाद संविधान का निर्माण हुआ है। किसी भी लोकतंत्र में यह सब करने वाले राजनीतिक दल हैं। राजनीतिक दल लोकतंत्र का आधार हैं। इसे किसी भी तरह कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।

गोपनीयता की जरूरत क्यों?

बहुधा एक पंक्ति में फतवा जारी करने वाली सोनिया कांग्रेस के महासचिव और मीडिया विभाग के अध्यक्ष जनार्दन द्विवेदी से मुख्य सूचना आयुक्त के निर्णय पर इस लम्बी, उलझी, दार्शनिक प्रतिक्रिया से लगता है कि इस निर्णय से 10, जनपथ को सबसे गहरी चोट पहुंची है। इस फतवे के जारी होते ही पी.चिदम्बरम, सलमान खुर्शीद, वीरप्पा मोइली जैसे कई केन्द्रीय मंत्री और संदीप दीक्षित जैसे पार्टी प्रवक्ता मैदान में कूद पड़े। सबने मुख्य सूचना आयुक्त के आदेश की निंदा की और निर्णय का विरोध किया। प्राप्त समाचारों के अनुसार अब ये लोग सूचना अधिकार कानून में ही कटौती करने की योजना बना रहे हैं और संभवत: अगले मानसून सत्र में वे इस निर्णय को क्रियान्वित कर डालेंगे।

इस प्रश्न पर, सूचना आयोग के निर्ण के विरुद्ध सभी राजनीतिक दलों ने जो एक जुटता दिखायी है वह हमारी दलीय राजनीति के चरित्र को उजागर करता है। अभी कल ही राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे संवेदनशील मुददे पर जो दल एक नहीं हो पा रहे थे, वे अपने दलीय गोपनीयता की रक्षा के लिए एकजुट हो गये। लोकतांत्रिक केन्द्रीयकरण जैसे शब्दजाल के आवरण में आंतरिक लोकतंत्र को अस्वीकार करने वाली माकपा ने एक लम्बा वक्तव्य जारी करके दावा किया कि हमारी विचारधारा से सहमत लोग ही दल के सदस्य बनते हैं, हम सूचना आयोग के नहीं, अपने सदस्यों के प्रति जवाबदेह हैं। माकपा का कहना है कि इस आदेश से राजनीतिक दल की कार्यप्रणाली बाधित होगी। राजनीतिक दल नागरिकों का एक स्वैच्छिक संगठन होता है जिसके सदस्य उसकी विचारधारा, कार्यक्रम और नेतृत्व में आस्था रखते हैं। सूचना कानून के दायरे में आने का अर्थ होगा कि पार्टी की आंतरिक विचार प्रक्रिया-चाहे वह नीति संबंधी हो, या संगठनात्मक या प्रत्याशियों के चयन का प्रश्न हो, को सार्वजनिक करना होगा, उसका लिखित रिकार्ड रखना होगा। इससे दल की आंतरिक कार्यविधि, बहस उस प्रक्रिया की गोपनीयता बाधित होगी जिसका परिणाम राजनीतिक प्रणाली के क्षरण में होगा। हमारे राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी सूचना अधिकार का प्रयोग हमारे विरुद्ध उपयोग करेंगे।

दोष प्रणाली का

हमने जानबूझकर माकपा के वक्तव्य को विस्तार से दिया है कि क्योंकि यह भारत के राजनीतिक नेतृत्व का वास्तविक संकट है। वे बात तो विचारधारा और सार्वजनिक समस्याओं की करते हैं, बडे-बडे चुनाव घोषणा पत्र प्रकाशित करते हैं, किंतु वोट की जमीनी राजनीति, जाति, क्षेत्र, सम्प्रदाय के आधार पर करते हैं। बाहुबलियों और धनिकों को प्रत्याशी बनाते हैं। इस सच को कौन अस्वीकार कर सकता है कि चुनावी राजनीति में विचारधारा और आदर्शवाद का कोई स्थान नहीं रह गया है अब जो अधिकांश राजनीतिक दल वंशवादी या व्यक्ति केन्द्रित बन गये हैं। ऐसे परिवेश में एकाध विचारधारा केन्द्रित, व्यक्तिपूजा से मुक्त आंतरिक लोकतंत्र का यथासंभव पालन करने वाला दल अपने को बड़ी विषम स्थिति में पाता है। हार-जीत का निर्णय चुनाव के मैदान में होता है और इसका आधार वोटों का प्रतिशत न होकर सीटों की संख्या होती है। सीट पर हार जीत का निर्णय स्थानीय समीकरणों पर निर्भर करता है। चुनाव का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है। लोकसभा की कौन कहे नगर निगम के चुनाव का खर्च भी करोड़ों पार कर जाता है जबकि चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित सीमा अभी भी कुछ लाख रुपये रखी गयी है। किसी पार्टी या प्रत्याशी के पास इतना धन कहां से आयेगा? क्या कोई भी प्रत्याशी चुनाव आयोग को अपने आय व्यय का सही ब्योरा दे सकता है? काला धन और बेईमानी का खेल तो यहीं से शुरू हो जाता है। प्रत्येक राजनेता और दल चुनावी राजनीति के इस यथार्थ से परिचित है, अत: चुनावी अखाड़े के नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। इस यथार्थ का चेहरा देखने के लिए दो नवीन उदाहरण देना पर्याप्त होगा। कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा की पराजय का मुख्य कारण भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई न करने को बताया गया, किंतु कर्नाटक की जनता ने येदियुरप्पा को भारी अंतर से जिताकर सिद्ध कर दिया कि भ्रष्टाचार उसके लिए मुख्य मुद्दा था ही नहीं। अभी कल ही गुजरात में पोरबंदर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी विट्ठल राडाडिया ने 1 लाख 28 हजार मतों से जीत दर्ज की। इस पर कटाक्ष करते हुए केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी, जो अभी भी युवा कांग्रेस की मानसिकता से ऊपर नहीं उठ पाए हैं, ने पत्रकारों से कहा कि 'यह राडाडिया तो कांग्रेस में था, टोलटैक्स चौकी पर बंदूक घुमाता था, तब उसे भाजपा ने कांग्रेसी गुंडा कहा था और अब वह भाजपा में आ गया तो गंगा नहा गया' आज सभी समाचार पत्रों ने इन चुनाव परिणामों का प्रश्न करते हुए लिखा कि सौराष्ट्र की जिन छह सीटों (2 लोकसभा और 4 विधानसभा) को भाजपा ने कांग्रेस से छीना है वे सभी पटेल जाति प्रधान हैं अत: जो प्रत्याशी पटेलों को स्वीकार्य है वहीं वहां से जीतेगा। पर मनीष ने इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया कि यदि राडाडिया इतना खराब व्यक्ति था तो कांग्रेस ने इतने वर्षों तक उसे सिर पर क्यों उठाए रखा और क्यों पूरे पटेल समाज का कांग्रेस की जातिवादी राजनीति से मोहभंग हो गया।

सच सामने आने का डर

इस चुनावी यथार्थ को समझना उन भावुक, आदर्शवादी, विचारधारा निष्ठ कार्यकर्त्ताओं के लिए बहुत आवश्यक है जो आदर्शों की दुनिया में जीते हैं और इस राजनीतिक प्रणाली के भीतर ही अपने सपनों का भारत बनाना चाहते हैं। विगत 63 वर्षों का अनुभव बताता है कि देश के सामने मुख्य संकट विचारधारा, दल या नेतृत्व का नहीं है ने उस राजनीतिक प्रणाली का है जिसने पूरे राजनीतिक नेतृत्व को इस यथार्थ के साथ समझौता करने के लिए बाध्य कर दिया है। इस राजनीतिक प्रणाली ने जिस राजनीतिक संस्कृति को जन्म दिया है वह धीरे-धीरे सभी राजनीतिक दलों में व्याप्त हो चुकी है। सभी दलों का इस प्रणाली में निहित स्वार्थ उत्पन्न हो गया है। इसीलिए कल (6 जून) की पत्रकार वार्ता में नरेन्द्र मोदी का यह कथन था कि, 'सत्ताधारी नेतृत्व को राष्ट्रीय सुरक्षा की नही, अपनी राजकीय सुरक्षा की अधिक चिंता है।' उनके इस कटाक्ष से तिलमिलाकर

वस्तुत: केन्द्रीय वित मंत्री पी.चिदम्बरम और सूचना प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी मीडिया की शरण में पहुंच गये। केन्द्रीय सूचना आयोग का यह नया आदेश इस मुद्दे पर सब राजनीतिक दलों को एकजुट कर देगा। अपनी वंशवादी राजनीति के हित में सोनिया कांग्रेस सूचना अधिकार कानून के पंख कतरने की पूरी कोशिश करेगी। यदि राजनीतिक दल सूचना अधिकार कानून के अन्तर्गत आ गये तो क्या पहले की तरह इस प्रश्न को ठुकराया जा सकेगा कि सोनिया जी का व्यक्तिगत धर्म क्या है और कि उनकी विदेश यात्राओं पर धन कहां से खर्च होता है? यह आदेश लागू हो गया तो सोनिया की राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् (एनएसी) और सीबीआई से रिश्तों पर प्रश्न पूछा जा सकेगा। उनके पास अकूत सम्पत्ति और वित्तीय स्रोतों पर जन दृष्टि केन्द्रित की जा सकेगी। मंत्रियों, प्रदेशाध्यक्षों और मुस्लिम, ईसाई नेताओं से गुप्त वार्ताओं पर प्रकाश पड़ सकेगा। अभी हाल में बस्तर के एकमात्र विधायक लखमा से दिग्विजय सिंह की बंद करने में लम्बी वार्ता के रहस्य को भेदा जा सकेगा। पर इस मामले में जुलाई में होने वाले मानसून सत्र की प्रतीक्षा कीजिए, दलों-राजनीति के वास्तविक चेहरे का दर्शन करने के लिए। देवेन्द्र स्वरूप

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

क्या होगा अगर अश्लील सामग्री आपके बच्चों तक पहुंचे..? : ULLU APP के प्रबंधन को NCW ने लगाई फटकार, पूछे तीखे सवाल

पंजाब पर पाकिस्तानी हमला सेना ने किया विफल, RSS ने भी संभाला मोर्चा

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

क्या होगा अगर अश्लील सामग्री आपके बच्चों तक पहुंचे..? : ULLU APP के प्रबंधन को NCW ने लगाई फटकार, पूछे तीखे सवाल

पंजाब पर पाकिस्तानी हमला सेना ने किया विफल, RSS ने भी संभाला मोर्चा

Love jihad Uttarakhand Udhamsingh nagar

मूर्तियां फेंकी.. कहा- इस्लाम कबूलो : जिसे समझा हिन्दू वह निकला मुस्लिम, 15 साल बाद समीर मीर ने दिखाया मजहबी रंग

Operation Sindoor : एक चुटकी सिंदूर की कीमत…

नागरिकों को ढाल बना रहा आतंकिस्तान : कर्नल सोफिया कुरैशी ने पाकिस्तान को किया बेनकाब

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies