सपा-मुलायम और मुस्लिम तुष्टिकरण के पैंतरे
July 19, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • ऑपरेशन सिंदूर
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • जनजातीय नायक
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सपा-मुलायम और मुस्लिम तुष्टिकरण के पैंतरे

by
Jun 1, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मन की श्रद्धा से मिलेगी जीवन ऊर्जा

दिंनाक: 01 Jun 2013 12:07:53

'विश्वास' एक खूबसूरत धारणा है। देखे, सुने और जांचे हुए को मानना विश्वास है, और सुने-सुनाए को यों ही मान लेना अंधविश्वास। विश्वास हमारे इन्द्रिय-बोध का परिणाम है। हमारे आंख, कान, नाक, जीभ और स्पर्श से बुद्धि को संवेदन मिलते हैं। बुद्धि उनका विवेचन करती है और विश्वास या अविश्वास प्रकट करती है। अविश्वास और विश्वास दोनों ही बुद्धिगत निर्णय हैं। वे इन्द्रिय-बोध के ही परिणाम हैं। इन्द्रिय-बोध से प्राप्त समझ बदला करती है। इसलिए विश्वास और अविश्वास भी बदला करते हैं, लेकिन भारतीय चिन्तन में इससे भी परे एक धारणा है। इस धारणा का नाम है श्रद्धा। विश्वास या अविश्वास विषयगत होते हैं। हम किसी मनुष्य पर विश्वास कर सकते हैं और अविश्वास भी, लेकिन श्रद्धा अस्तित्वगत है। विराट अस्तित्व और उसकी महिमा का सहज स्वीकार और आदर ही श्रद्धा है। श्रद्धा विश्वास नहीं है। यह हमारे इन्द्रियबोध का परिणाम नहीं है। यह अनुभूति परक है। पांच इन्द्रिय-द्वारों से परे परिशुद्ध अन्तर्जगत की अनुभूति है यह। इसलिए श्रद्धा में बड़ी ऊर्जा है।

ऋग्वेद विश्व का प्रथम ज्ञान अभिलेख है।  ऋग्वेद (10.151) में श्रद्धा देवता हैं। देवता अर्थात प्रकृति की दिव्य शक्ति। यहां श्रद्धा हमारे अंतकरण का ही स्वीकार भाव नहीं है। प्रकृति के अणु-परमाणु में मौजूद एक अंतरंग दिव्यता है। ऋषि प्रकृति की कार्यवाही को यज्ञ की तरह संचालित देख रहे थे। अग्नि प्रकृति की विराट शक्ति हैं। वैदिक पूर्वजों ने उन्हें सूर्य में देखा, जल में देखा, वनों-उपवनों की काष्ठ लकड़ियों में भी देखा था। वे अग्नि मनुष्यों द्वारा स्तुतियां पाते थे। मनुष्य अग्नि जलाते भी थे लेकिन ऋषि का भावबोध गहरा है। कहते हैं, 'यज्ञ की अग्नि श्रद्धा से ही प्रज्जवलित किया जा सकती है और श्रद्धा से ही यज्ञ/ हवन में समिधा डाली जाती है।' (वही 1) ठीक बात है। श्रद्धा न हो तो यज्ञ अग्नि की जरूरत ही क्या है? तब यज्ञ अग्नि में समिधा डालने का प्रश्न ही नहीं उठता। ऋग्वेद में श्रद्धा ब्रह्माण्ड की सभी विभूतियों में श्रेष्ठतम है- श्रद्धां भगस्य मूर्धनि। वे श्रद्धा प्रकृति में हैं, वे सभी विभूतियों में शीर्षा हैं। उन्हीं का प्रवाह हमारे भीतर होना चाहिए। ऋग्वेद के अनुसार देवता भी श्रद्धा करते हैं। देवगण भी प्रत्येक शुभ संकल्प के समय श्रद्धा की उपासना करते हैं। तो ऋषि भी श्रद्धा का आवाहन क्यों न करें? ऋषि स्तुति करते हैं, 'हम प्रात:काल श्रद्धा का आवाहन करते हैं, मध्याह्न में श्रद्धा का आवाहन करते हैं, सायंकाल भी श्रद्धा की ही उपासना करते हैं। हे श्रद्धा! आप हम सबको श्रद्धा से परिपूर्ण करें – श्रद्धे श्रद्धापयेह न:।

श्रद्धा अस्तित्व में है, प्रकृति में उपस्थित है, आस्तिकता के रूप में। हम सबके भीतर भी है ऋषि इसी श्रद्धा का आवाहन, उपासन, स्मरण और पुरूश्चरण करते हैं। ऋग्वेद का ब्राह्मण ग्रन्थ ऐतरेय ने लिखा था। ऐतरेय ब्राह्मण के एक दिलचस्प मंत्र में 'श्रद्धा और सत्य' की जोड़ी का उल्लेख है। ठीक बात है। सत्य के प्रति श्रद्धा होनी ही चाहिए। इसी तरह श्रद्धा के साथ सत्य भी। ऐतरेय ने बताया है, 'श्रद्धा सत्यं तदित्युत्तमं मिथुनम् – श्रद्धा और सत्य का मिथुन उत्तम है। इन दोनों के 'मिथुन श्रद्धायासत्येन मिथुने' से स्वर्गलोक मिलते हैं। ऐतरेय ने दोनों के सम्बन्धों के लिए मिथुन शब्द प्रयोग किया है। मिथुन यानी रति सम्बन्ध/परिपूर्ण प्रीति सम्बन्ध। श्रद्धा और सत्य को यों ही नहीं जोड़ना। दोनों को आनंदपूर्वक मिलाना, मिलाते हुए, मिलते हुए एक कर देना-श्रद्धया सत्येन मिथुने। सत्य बड़ा अनुभव है। पहले तो सत्य का साक्षात्कार ही कठिन, फिर सत्य का सामना और भी कठिन। लेकिन श्रद्धा सब कुछ संभाल लेती है। श्रद्धा सत्य से साक्षात्कार की ही धीर प्रतीक्षा है।

सत्य पर समय का प्रभाव नहीं पड़ता। सत्य समय से अप्रभावित सत्ता है। सारा प्रत्यक्ष सत्य नहीं होता। प्रत्यक्ष का अर्थ है – जो हमारे सामने है, वही प्रत्यक्ष है। हमारा इन्द्रिय-बोध चूक भी कर सकता है। हमारे सामने रूप, आकार होते हैं। रूप आकार परिवर्तनीय होते हैं। उन पर समय का प्रभाव पड़ता है। इसलिए वे सत्य नहीं होते। बेशक वे 'कुछ समय के सत्य' हो सकते हैं। लेकिन सत्य समय की सीमा में नहीं बंधता। वह सदा 'नित्य' रहता है। सत्य के दर्शन से सब कुछ एक साथ जान लिया जाता है। लेकिन इसके लिए बड़ा धीरज चाहिए। ज्ञान यात्रा में तमाम रूप खुलते हैं, वे तथ्य होते हैं। मन तथ्य को सत्य मानने लगता है। समय तथ्यों को मिटा देता है। तथ्य भी समय के भीतर ही होते हैं। कालचक्र उन्हें रौंदता हुआ आगे बढ़ता है। भारतीय चिन्तन में इसीलिए 'धैर्य' को धर्म का पहला और प्रमुख लक्षण कहा गया है। धैर्य असाधारण साधना है। धैर्य धारण करना बहुत कठिन तप श्रम है। लेकिन 'श्रद्धा' इस कठोर तप को आसान कर देती है। ऐतरेय ने 'सत्य और श्रद्धा' का मिथुन रूपक आंतरिक अनुभूति के आधार पर ही गढ़ा होगा। सत्य के शोध में श्रद्धा का साथ जरूरी है।

श्रद्धा यानी सत्य का स्वीकार। एक सत्य के प्रति प्रीति। अनन्तकाल की प्रतीक्षा। श्रद्धा आधी अधूरी नहीं होती, आधे अधूरे के लिए भी नहीं होती। यह पूर्ण होती है, पूर्ण के लिए ही होती है। श्रद्धा को पूर्ण अमृतघट चाहिए। वह पूर्ण है, पूर्णता में ही उसका मधुरस- अभिषेक है। सिर्फ विश्वास से काम नहीं चलेगा। विश्वास बुद्धिगत है, श्रद्धा अनुभूतिपरक। वह स्वयं पूर्ण है, सत्य अभीप्सु है, संशय विहीन है। ऋषि ठीक कह गए हैं कि श्रद्धा और सत्य की जोड़ी स्वर्ग दिलाती है। स्वर्ग आखिर है क्या? वह पूर्ण आनंद का ही पर्याय है और हमारी कामनाओं की पूर्ति वाली आंतरिक चित्तदशा। श्रद्धा और सत्य की एकात्मक प्रीति मे ही जीवन का सर्वोत्तम प्रकट होता है। यूं सत्य अपने आप में परिपूर्ण है। लेकिन सत्य की प्यास की आकुलता को धीरजपूर्ण प्रतीक्षा में बनाए रखने का काम श्रद्धा ही करती है। दुर्भाग्य से आधुनिक जीवन श्रद्धाविहीन हो गया है। यहां उधार के विश्वास हैं या जमे जमाए अंधविश्वास। इसलिए श्रद्धा के गीत-छन्द उगते ही नहीं। सत्य अभीप्सा है ही नहीं। ज्ञान की प्यास होती भी है तो श्रद्धा के अभाव में जल्दी ही दम तोड़ देती है। जीवन, जगत् और विराट सत्य सत्ता के प्रति श्रद्धाभाव में ही जीवन की समसुरता, छन्दबद्धता और लयबद्धता है। श्रद्धालु एकाकी नहीं होते। उनकी श्रद्धा में वे समूचे ब्रह्माण्ड से जुड़े होते हैं। वे तनावग्रस्त नहीं होते। श्रद्धा उन्हें सम्हाल लेती है। श्रद्धा जीवन ऊर्जा की अनुपम शक्ति है।

चिश्ती के उर्स पर अवकाश और दंगा आरोपी को लालबत्ती

त्तर प्रदेश की सपा सरकार में अब मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स (देहान्त के दिन) पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। उल्लेखनीय है कि चिश्ती के उर्स पर किसी भी मुस्लिम देश तक में सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है। यहां तक कि चिश्ती के जन्म स्थान अफगानिस्तान में भी अवकाश नहीं होता है। ख्वाजा चिश्ती की दरगाह राजस्थान के अजमेर में है, वहां भी उर्स पर छुट्टी नहीं होती है। यह भी उल्लेखनीय है कि है कि मोइनुद्दीन चिश्ती मोहम्मद गोरी द्वारा भारत पर हमलों के दौरान यहां आए थे। और अब केवल मुस्लिम ही नहीं बल्कि बड़ी संख्या में हिन्दू भी उनकी दरगाह पर चादर चढ़ाने जाते हैं। उत्तर प्रदेश में हजरत अली के जन्म दिवस (24 मई) पर भी सार्वजनिक अवकास होता है।

उधर उत्तर प्रदेश सरकार ने ऑल इण्डिया इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख तौकीर रजा खां को हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग में सलाहकार बनाकर लाल बत्ती लगी गाड़ी भेंट की है। ये वही तौकीर रजा खां हैं जिन पर साम्प्रदायिक दंगे के सम्बंध में कई मामले चल रहे हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले भी लम्बित हैं।

पिछले कुछ साल में बरेली में अनेक बार साम्प्रदायिक दंगे हुए हैं। माना जाता है कि कट्टरवादियों को भड़काने में तौकीर की अहम भूमिका रहती है। दंगे के आरोपी को लालबत्ती लगी गाड़ी देने पर भाजपा ने विरोध जताया है। 30 मई को भाजपा के प्रतिनिधिमण्डल ने बरेली के ए.डी.एम (सिटी) को एक ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन में कहा गया है कि इससे साम्प्रदायिकता को बढ़ावा मिलेगा। हृदयनारायण दीक्षित

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ज्ञान सभा 2025 : विकसित भारत हेतु शिक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन, केरल के कालड़ी में होगा आयोजन

सीबी गंज थाना

बरेली: खेत को बना दिया कब्रिस्तान, जुम्मा शाह ने बिना अनुमति दफनाया नाती का शव, जमीन के मालिक ने की थाने में शिकायत

प्रतीकात्मक चित्र

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में छह नक्सली ढेर

पन्हाला दुर्ग

‘छत्रपति’ की दुर्ग धरोहर : सशक्त स्वराज्य के छ सशक्त शिल्पकार

जहां कोई न पहुंचे, वहां पहुंचेगा ‘INS निस्तार’ : जहाज नहीं, समंदर में चलती-फिरती रेस्क्यू यूनिवर्सिटी

जमानत मिलते ही करने लगा तस्करी : अमृतसर में पाकिस्तानी हथियार तस्करी मॉड्यूल का पर्दाफाश

Pahalgam terror attack

घुसपैठियों पर जारी रहेगी कार्रवाई, बंगाल में गरजे PM मोदी, बोले- TMC सरकार में अस्पताल तक महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं

अमृतसर में BSF ने पकड़े 6 पाकिस्तानी ड्रोन, 2.34 किलो हेरोइन बरामद

भारतीय वैज्ञानिकों की सफलता : पश्चिमी घाट में लाइकेन की नई प्रजाति ‘Allographa effusosoredica’ की खोज

डोनाल्ड ट्रंप, राष्ट्रपति, अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप को नसों की बीमारी, अमेरिकी राष्ट्रपति के पैरों में आने लगी सूजन

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • जीवनशैली
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies