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असम की कानून-व्यवस्था दिन-प्रतिदिन बद से बदतर हालात की ओर बढ़ती जा रही है, पर कांग्रेस सरकार और उसके मुख्यमंत्री तरुण गोगोई इस सबसे बेखबर हैं। असम की जनता एक प्रकार से नि:सहाय जीवन जीने को मजबूर है। देश की सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण व चुनौतीपूर्ण इस सीमान्त राज्य की आन्तरिक सुरक्षा भगवान भरोसे ही है। यह बात इसलिए भी चिन्ता में डालने वाली है कि अगर स्थानीय स्तर पर अपराध और हिंसा बढ़ेगी तो उसका लाभ वे राष्ट्रविरोधी तत्व अवश्य उठाने की कोशिश करेंगे, जिसके लिए वे हमेशा तैयार रहते हैं।
पिछले 15 महीनों में अपराध का जो आंकड़ा हाल ही में राज्य सरकार के गृह मंत्रालय ने ही प्रस्तुत किया उसके अनुसार इस दौरान 2300 चोरी, 74 डकैती, 295 हत्या, 208 लूट, 961 लोगों के अपहरण तथा महिला उत्पीड़न से संबंधित 1339 घटनाएं दर्ज की गईं। (ध्यान रहे यह केवल दर्ज घटनाओं की संख्या है, वास्तविक व गैरसरकारी आंकड़ों की संख्या इससे दोगुनी है।) इसके अलावा शैतान या डायन बताकर लोगों द्वारा मौत के घाट उतार दिए गए लोगों की संख्या भी 5 दर्ज हुई है। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक पदार्थ भी बरामद हुआ है। विभिन्न घटनाओं व राष्ट्रविरोधी तत्वों से मुठभेड़ के दौरान केवल गुवाहाटी में ही विभिन्न सुरक्षा बलों के 26 जवान शहीद हुए। डिब्रूगढ़ व तिनसुकिया में 23 व नौगांव में 21 जवानों का बलिदान हुआ। गुवाहाटी में ही 2438 गैरकानूनी हथियारों को जब्त किया गया। इससे पूर्व 2012 में 444 स्वचालित व अत्याधुनिक रायफलें (ए.के. सिरीज की), 9337 गोलियां, 166 हथगोले, 114 आईईडी की छड़ें व 887 किग्रा. विस्फोटक पदार्थ जब्त किया गया था। असम से बासुदेब पाल
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