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आज की जीवन शैली और असंयमित खान-पान ने पेट के रोग को व्यापक रूप से बढ़ावा दिया है। पेट के रोगी होने के कारण दूसरे अन्य रोग शरीर में आसानी से पैदा हो जाते हैं। अत: यह जरूरी है कि पेट के स्वस्थ रखने की पूरी चिन्ता की जाए। यदि पेट स्वस्थ है और उसकी मांसपेशियां मजबूत हैं तो हम यह मान सकते हैं कि शरीर की नींव मजबूत है। साधारणत: विभिन्न प्रकार के व्यायाम, खेलकूद और विभिन्न प्रकार की शारीरिक गतिविधियों के माध्यम से शरीर के अधिकांश अंगों से जुड़ी मांसपेशियों की कसरत होती रहती है लेकिन परिश्रम का सीधे-सीधे ऐसा कोई कार्य नही है जिससे पेट की सभी मांसपेशियों पर जोर पड़ सके। अधिकतर श्रेणी के लोगों के पेट का उतना विकास नहीं हो पाता है जितना की शरीर के शेष भाग का। साधारणत: वह लोग भी जो शरीर निर्माण के कार्य को गंभीरता से लेते हैं, वह भी पेट और पीठ को भूल जाते हैं और इस कारण अपने शरीर का सर्वांगीण विकास नहीं कर पाते। पेट की मांस पेशियों को मजबूत होना ही चाहिए क्योंकि यह दूसरी मांसपेशियों के कार्य में सहायता करती हैं। पेट की मांसपेशियों का प्रधान कार्य आमाशय, आंतों एवं वस्तिदेश के अव्ययों को अपने निश्चित स्थान पर सुरक्षित रखना है। यही मांसपेशियां जब कमजोर होती हैं तो आमाशय और आंतों में पड़े भोजन के बोझ के कारण बाहर की ओर लटक जाती हैं। आमाशय और आंतों के लटक जाने के कारण भोजन के आमाशय से छोटी आंत, छोटी आंत से बड़ी आंत और बड़ी आंत से बाहर निकलने के रास्ते में रुकावट पैदा होती है। लटके हुए अव्ययों के दबाव से नाड़ी मंडल और रक्त संचालन में विघ्न उत्पन्न हो जाता है और आगे चलकर हर्निया (आंतों का बाहर आना) आदि बीमारियों की उत्पत्ति का कारण बनती हैं। यह बीमारियां इस बात की सूचक हैं कि हम पेट की मांसपेशियों की घोर उपेक्षा करते हैं। पेट की मांसपेशियां बहुत ही व्यवस्थित ढंग से शरीर में सजी हुई हैं और यह पेट के प्रत्येक भाग को पूरा-पूरा सहारा देती हैं तथा पेट को एक पूर्ण विकसित अंग का रूप देती हैं। पेट की मांसपेशियों की स्थिति विभिन्न प्रकार की होने के कारण यह जरुरी है कि प्रत्येक मांसपेशी में हरकत पैदा करने के लिए विभिन्न प्रकार की कसरतें की जाएं। उठने और बैठने वाली कसरतें कुछ ही मांसपेशियों में हरकत पैदा कर पाती हैं। दूसरी मांसपेशियों पर कम ही प्रभाव पड़ता है। यदि केवल उठने और बैठने वाली ही कसरतें की जाएं तो पेट उतना सुडौल और मजबूत नहीं हो पाएगा जितना कि होना चाहिए। पेट के पूर्ण निर्माण के लिए पीठ की मांसपेशियों, रीढ़ और पैर के बीच की मांसपेशियों पर पूर्ण ध्यान देना होगा। वास्तव में शरीर के किसी एक अंग को सुन्दर एवं मजबूत बनाने के लिए शरीर के सभी अंगों को सुन्दर एवं मजबूत बनाना चाहिए। पेट को सुन्दर एवं सुडौल बनाने के लिए कुछ व्यायाम का वर्णन आपके लिए प्रस्तुत है।
पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को सिर के पीछे बांध लें। पैरों को जमीन से लगा रहने दें और सीधे रखें। केवल ऊपरी धड़ को उठाएं। वापस पहली अवस्था में आ जाएं। थोड़े आराम के बाद इसी तरह दस-पन्द्रह बार करें। इस कसरत में जानने योग्य बात यह है कि धड़ उठाते समय उसकी मांसपेशियों पर अधिक जोर डालने में हाथ की स्थिति का बहुत बड़ा सहयोग रहता है। धड़ को उठाने के लिए हाथों को ऊपर सीधे तान कर रखें और धड़ को उठाने के साथ-साथ हाथों को सामने की ओर ले जाएं। दूसरा आसान तरीका यह है कि यह कसरत हाथों को पेट पर या नितम्ब पर रखकर की जाए। जब शरीर अधिक शक्तिशाली हो जाए तो दोनो हाथों को सीने पर बांध कर करें और यह तरीका आसान हो जाने पर दोनों हाथों को सिर के पीछे बांधकर किया करें। धड़ को उस समय उठाना बहुत कठिन हो जाता है, जब हाथों को सिर के पीछे बांध कर रखा जाता है। इसी कसरत की अगली अवस्था में धड़ को धीरे-धीरे उठाएं और दोनों कुहनियों को घुटने पर टेक दें फिर वापस पहली अवस्था में आ जाएं। इस प्रकार दस-पन्द्रह बार करें। तीसरी साधारण कसरत में पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को सीधा जमीन पर रखें। पैरों को सीधा जमीन पर रखें। अंगूठों को तान कर रखें। दोनों पैर को धीरे-धीरे उठाएं और धीरे-धीरे पीछे ले जाकर पैर के अंगूठों को जमीन से छुआ दें। वापस पहली अवस्था में आ जाएं। थोड़ा आराम करते हुए दस-पन्द्रह बार यह व्यायाम करें। चौथे व्यायाम में पैर फैलाकर बैठें। हाथ को कमर पर रखें। ऊपरी धड़ को बायीं ओर फिर दाहिनी ओर मोंड़े फिर अधिक से अधिक पीछे झुककर धड़ को दायें-बायें घुमाएं। पहली अवस्था में आ जाएं। इस प्रकार दस से पन्द्रह बार तक करें। पांचवें व्यायाम में पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को पीछे ले जाकर सीधा जमीन पर रखें। पैरों को सीधा रखें। हाथों, धड़ और पैरों को क्रमश: उठाएं। हाथों और पैरों को जरा भी मोड़ें नहीं। हाथों की अंगुलियों से पैर के अंगूठों को छूने की कोशिश करें। पहली अवस्था में आ जाएं। आराम करने के बाद दस से पन्द्रह बार ऐसा करें।
जब हम ये सभी कसरतें एक समतल स्थान पर आसानी से करने लग जाएं तब इन कसरतों को अधिक कठिन बनाने के लिए एक ढाल वाले तख्त पर जिसका सिर पैर की ओर से एक फुट ऊंचा हो करने लग जाएं। आरम्भ में सिर की नीचाई छह इंच भी रखी जा सकती है। बहुत कम ऐसे खेलकूद हैं जो पेट की मांसपेशियों के लिए विशेष उपयोगी हों इसलिए खेलने वालों को भी उदर की मांसपेशियों के लिए विशेष कसरतें करनी चाहिए। तैराकी, कुश्ती, नाव चलाने और कूदने से भी उदर की मांसपेशियों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। उक्त व्यायामों को करने से पूर्व योग विशेषज्ञ अथवा संबंधित चिकित्सक से परामर्श ले लेना चाहिए। डा. हर्ष वर्धन एम.बी.बी.एस., एम.एस. (ई.एन.टी.)
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