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मुस्लिम वोटों की चाहत में भुलाया 'राजधर्म'
मुस्लिम वोट पटाने का कोई मौका कांग्रेस अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती। एक ताजा मामले में कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित आतंकी हमले के एक आरोपी के साथ मंच पर जा बैठीं। श्रीमती दीक्षित गत 17 अप्रैल को दिल्ली में उर्दू अखबार 'कौमी सलामती' के दोबारा शुरु होने के समारोह में हिस्सा लेने पहुंची थीं। जहां वह अहमद काजमी के साथ मंच पर दिखाई दीं जो विस्फोट के एक मामले में आरोपी हैं। काजमी ही इस अखबार के संपादक हैं। इस्रायली दूतावास की कार पर दिल्ली में फरवरी, 2012 में हमला हुआ था। इसमें इस्रायली रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधि की पत्नी येहोशुआ कोरेन जख्मी हो गई थीं।
दिल्ली की मुख्यमंत्री के आतंकी हमले के आरोपी के साथ मंच साझा करने का इस्रायल के दूतावास और विपक्षी दल भाजपा ने कड़ा विरोध किया है। इस्रायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता यीगल पालमोर ने कहा कि इतने गंभीर मामले के आरोपी के साथ मंच साझा किए जाने को इस्रायल अनुचित मानता है। ऐसे व्यक्ति को सम्मान दिया जा रहा है जिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। आखिर भारत सरकार ने ऐसा होने की इजाजत कैसे दे दी?
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य व प्रवासी विभाग के संयोजक विजय जौली ने कहा कि एक तरफ केंद्र सरकार, राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां और दिल्ली पुलिस काजमी को बम धमाकों की साजिश का आरोपी मान रही है, वहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री उनके कार्यक्रम में शामिल होती हैं। क्या दिल्ली सरकार ने काजमी को 'क्लीन चिट' दे दी है? प्रतिनिधि
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