|
सज्जन कुमार की रिहाई के खिलाफ दंगा पीड़ित एक महिला निरप्रीत कौर 3 मई से नई दिल्ली के जन्तर-मन्तर पर आमरण अनशन पर बैठीं। 8 मई को उनका अनशन उस समय समाप्त हुआ जब पूरा विपक्ष उनके साथ खड़ा हुआ। निरप्रीत की चार मांगें थीं। पहली मांग थी 1992 में सज्जन कुमार के खिलाफ जो आरोपपत्र तैयार हुआ है उसे अदालत में प्रस्तुत किया जाय। दूसरी मांग थी उस आरोपपत्र को दबाने वाले पुलिस अधिकारी राजीव रंजन को नौकरी से बर्खास्त करो। तीसरी मांग थी इस कत्लेआम की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम बनाओ। चौथी मांग थी सीबीआई सज्जन कुमार के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करे।
निरप्रीत के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग जन्तर-मन्तर पहुंचे। यूथ सिख के कार्यकर्ता इनकी सेवा में लगे रहे। किसी ने लोगों को पानी पिलाया तो किसी ने भोजन कराया। गुरुद्वारों से भोजन तैयार होकर आता था। वहां गुरबाणी का पाठ भी हुआ। इस आन्दोलन के सूत्रधार बाबू सिंह दुखिया कहते हैं कि सरकार ही कातिलों को बचा रही है। किन्तु जब तक कातिलों को सजा नहीं मिलेगी और पीड़ितों को पूरा मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक यह आन्दोलन नहीं रुकेगा। हम लोग मरते दम तक न्याय के लिए लड़ेंगे।
टिप्पणियाँ