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महाराष्ट्र में जल माफिया की वजह से भी जल-संकट है। जल माफिया गन्ने और अंगूर की खेती करने वाले किसानों को कभी भी जल की आपूर्ति कर देते हैं, बशर्ते उन्हें मुंह-मांगा पैसे मिलने चाहिए। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो पानी के संरक्षण और भण्डारण में लगे हैं। उद्देश्य है जलस्तर को बनाए रखना, ताकि लोगों को जल की दिक्कत न हो। अरुण देशपाण्डे और सुमंगला देशपाण्डे पति-पत्नी हैं। ये दोनों एक बड़ी कम्पनी में सलाहकार के रूप में कार्य कर चुके हैं। गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर इन दोनों ने समाज के लिए कुछ करने का मन बनाया और फिर जल बैंक का कार्य शुरू किया। सोलापुर जिले के अंकोली गांव में स्थानीय महिला स्वयं-सहायता समूह की मदद से इन दोनों ने 'जल बैंक' शुरू किया है। तिरपाल से ढका यह बैंक 5 एकड़ में फैला हुआ है। हर सदस्य इस बैंक में आसपास के कुंओं से लाकर पानी जमा करता है। जो जितना पानी जमा करता है उसे उतना ही पानी इस बैंक से लेने की अनुमति है। सूखे के इस दौर में जल बैंक की बड़ी चर्चा हो रही है। प्रतिनिधि
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