रा.स्व.संघ द्वारा अनेक स्थानों पर पथ संचलन
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एकता और अनुशासन दिखा
रा.स्व.संघ के तत्वावधान में गत दिनों देशभर में अनेक स्थानों पर पथ संचलन निकले। भिन्न-भिन्न उपलक्ष्यों में आयोजित संचलनों में गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर अनुशासन और एकता का परिचय दिया।
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हिन्दू नववर्ष, विक्रमी संवत 2070 के उपलक्ष्य में गत 7 अप्रैल को संचलन निकला। शहर के ऐंग्लो बंगाली इण्टर कालेज में एकत्रित स्वयंसेवकों ने यहां प्रार्थना की। इसके बाद संचलन शहर में अनेक स्थानों पर होते हुए वापस विद्यालय परिसर में समाप्त हुआ। संचलन का शहर में अनेक स्थानों पर पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत हुआ।
नव संवत्सर के उपलक्ष्य में ही देहरादून (उत्तराखण्ड) में भी पथ संचलन निकला। संचलन शहर के गुरुनानक इंटर कॉलेज से प्रारम्भ होकर घंटाघर, पल्टन बाजार, भंडारी चौक, तिलक रोड, बिंदाल चौक से होता हुआ वापस गुरुनानक इंटर कॉलेज पर ही समाप्त हुआ।
दमोह (म.प्र.) में भी 7 अप्रैल को पथ संचलन निकला। यह पथ संचलन अन्य संचलनों से अद्भुत रहा। इसमें सभी स्वयंसेवक गणवेश में किसी न किसी घोष वाद्य का वादन करते हुए चल रहे थे। यह संचलन रा.स्व. संघ के मालवा प्रांत द्वारा आयोजित प्रांत घोष वर्ग के समापन की पूर्व संध्या पर निकाला गया। संचलन के दौरान के स्वयंसेवकों ने करीब तीन किलोमीटर से अधिक की दूरी तय की। प्रतिनिधि
भोपाल में पंडित माखनलाल चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यान
भारतीय भाषाओं में अंतरसंवाद पर विमर्श
हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है, यदि हम भारतीय भाषाओं के मध्य अंतरसंवाद करना चाहते हैं तो यह हिंदी के माध्यम से ही संभव हो सकता है। यदि पूरे विश्व के लिए एक भाषा के सिद्धांत पर विचार किया होता तो शायद आज भाषायी अंतरसंवाद की आवश्यकता ही नहीं होती।
– बलशौरी रेड्डी, वरिष्ठ पत्रकार
भाषा के कमजोर पड़ने से संस्कृति व संस्कार भी कमजोर पड़ते हैं। जब भाषा– संस्कृति और संस्कारों का क्षरण होता है तो देश की एकजुटता पर प्रश्नचिह्न लगता है। पत्रकारिता के माध्यम से भाषा एवं मूल्यों को बचाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए भारतीय भाषाओं के बीच अंतरसंवाद जरूरी है।
–रमेश नैयर, वरिष्ठ पत्रकार
भारतीय युवाओं में भारतीयता तभी आएगी जब वे भाषायी संस्कारों के प्रति समर्पित रहेंगे। भारत की संस्कृति और उप संस्कृतियों के मध्य संवाद खड़ा करने में हिंदी ने सबसे बड़ा योगदान दिया है। आज युवाओं को चाहिए कि वे सभी भाषाओं का सम्मान करें और बहुभाषी बनें।
–प्रो. बृजकिशोर कुठियाला, कुलपति, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय
भोपाल (म.प्र.) स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गत 4 अप्रैल को 'पं. माखनलाल चतुर्वेदी स्मृति व्याख्यान' का आयोजन किया गया। 'भारतीय भाषाओं में अंतरसंवाद, पत्रकारिता की भूमिका' विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार श्री बलशौरी रेड्डी थे, जबकि मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ पत्रकार श्री रमेश नैयर। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने की।
उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय हर साल स्व. माखनलाल चतुर्वेदी की स्मृति में उनके जन्मदिवस (4 अप्रैल) पर व्याख्यान का आयोजन करता है, उसी कड़ी में इस वर्ष का आयोजन था। व्याख्यान में भारतीय भाषाओं में अंतरसंवाद पर गहनता से विचार-विमर्श हुआ।
समारोह में मंचस्थ अतिथियों को शॉल, श्रीफल एवं स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय के इलैक्ट्रानिक मीडिया विभाग के विभागाध्यक्ष डा. श्रीकांत सिंह ने किया, जबकि अभार व्यक्त किया विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव प्रो. रामदेव भारद्वाज ने। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, अधिकारी, कर्मचारी एवं विद्यार्थियों सहित नगर के गणमान्य नागरिक एवं मीडियाकर्मी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
प्रतिनिधि
स्वधर्म में लौटे 7 मतांतरित परिवार
आंध्र प्रदेश के चित्तूर में गत दिनों 7 परिवारों के 35 सदस्य दोबारा स्वधर्म में वापस आ गए। यह परिवार कुछ समय पहले विभिन्न कारणों से ईसाइयत में मतांतरित हो गए थे। विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित परावर्तन के कार्यक्रम में यह परिवार पूरे रीति-रिवाज के साथ अपने मूल हिन्दू धर्म में लौटे।
कार्यक्रम में विहिप के कार्यकर्ताओं के अलावा स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
परावर्तन कार्यक्रम के अलावा विहिप द्वारा और भी कार्यक्रम आयोजित किए गए। मथिनिपट्टम में कृष्ण जिले का जिला सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इसमें 11 प्रखंडों से करीब 100 कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। गोदावरी जिले में सामूहिक सत्यनारायण पूजन कार्यक्रम संपन्न हुआ। इसमें करीब 200 हिन्दू परिवारों ने भाग लिया, जबकि एक हजार के करीब अन्य लोग इस आयोजन में उपस्थित थे। प्रतिनिधि
अशोक सिंहल ने किया वेद विद्यालय का उद्घाटन
विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल ने गत दिनों उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में नवनिर्मित वेद विद्यालय का उद्घाटन किया। वैदिक रीति-रिवाज से सम्पन्न हुए उद्घाटन कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी गोविन्द देव गिरि एवं विशिष्ट अतिथि स्वामी रामरतन दासजी 'फलाहारी बाबा' उपस्थित थे।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरू स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि हमारी संस्कृति पर पाश्चात्य सभ्यता का कुठाराघात लगातार हो रहा है, लेकिन ऐसे विद्यालय ही संस्कारों को जीवित रखे हुए हैं। वेद विद्यालयों में भारतीय संस्कृति की शिक्षा दी जाती है। इस अवसर पर विहिप के महामंत्री श्री चम्पत राय विशेष रूप से उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार
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