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संजय दत्त को बचाने के लिए राजनीतिक कोहराम है, क्योंकि उनके अपराध के पीछे 'सेक्युलर टैग' लगा है। इसी 'सेक्युलर टैग' के चलते पिछले कुछ समय से आतंकवाद के सिलसिले में जेल में बंद मुस्लिम युवाओं को रिहा करने की मुहिम चल रही है। चूंकि जेल में बंद ये युवा मुस्लिम हैं, इसलिए इनके मानवाधिकारों की तो चिंता होती है, किंतु स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा सिंह की सुधि कोई नहीं लेता। क्यों? क्योंकि उनके साथ 'कम्युनल टैग' लगा है? साध्वी प्रज्ञा सालों से जेल में बंद हैं, अभियोजन पक्ष अब तक कोई ठोस सबूत नहीं पेश कर पाया है। साध्वी कैंसर से ग्रस्त हैं और बेहतर इलाज के लिए याचना कर रही हैं, किंतु कहीं सुनवाई नहीं हो रही। जबकि इसी देश में कोयंबटूर बम धमाकों के आरोपी अब्दुल नसीर मदनी को तमिलनाडु की जेल में पांचसितारा सुविधाएं और आधुनिकतम उपचार उपलब्ध कराए जाते हैं। क्यों? शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहां विधायिका ने किसी राष्ट्रविरोधी व्यक्ति को अपना समर्थन दिया हो। 16 मार्च, सन 2006 को होली की छुट्टी के दिन केरल विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर 'मानवता के आधार' पर कोयंबटूर बम धमाकों के आरोपी अब्दुल नसीर मदनी की रिहाई के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया।बलबीर पुंज
साध्वी प्रज्ञा
0मालेगांव बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार 0मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध कानून) लगाया गया 0अब तक आरोप सिद्ध नहीं 0पिता की मृत्यु पर गत 5 मार्च को पैरोल पर आयीं, फिर जेल में।0इन दिनों भोपाल के केन्द्रीय कारागार में 0गिरफ्तारी के समय स्वस्थ थीं, अब कैंसर से पीड़ित 0चलने फिरने में अक्षम 0स्वतंत्र रूप से इलाज कराने की भी अनुमति नहीं 0न्यायालय ने ही पुलिस से पूछा कि 'आप प्रज्ञा को जीवित देखना चाहते हैं या नहीं?'
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